जयपुर

डोमेस्टिक ट्यूरिस्ट की तलाश, नहीं तो पर्यटन हो जाएगा खल्लास

मावठे में फिर से नावें चलाने की तैयारी

जयपुर। कोरोना महामारी के कारण पूरी दुनिया सकते में है और इसके जल्दी खत्म होने की आस लगाए बैठी है। राजस्थान में नया पर्यटन सीजन शुरू हो चुका है, लेकिन पर्यटक नदारद हैं। महामारी शुरू होने के बाद से ही प्रदेश में भी पर्यटन गतिविधियां ठप्प पड़ी है। लॉकडाउन हटने के भी काफी समय बाद अब कुछ घरेलू पर्यटक प्रदेश के पर्यटन स्थलों पर पहुंचने लगे हैं। ऐसे में प्रदेश में पर्यटन से जुड़े विभाग डोमेस्टिक ट्यूरिस्ट की तलाश कर रहे हैं, ताकि पर्यटन से जुड़े लोगों की रोजी रोटी चलती रहे।

पर्यटन विभाग का अमला इन दिनों प्रदेश में डोमेस्टिक ट्यूरिस्ट को आकर्षित करने के लिए योजनाएं तैयार करने में जुटा है। विभागीय सूत्रों के अनुसार इस वर्ष विदेशी पर्यटकों के आवक की उम्मीदें नहीं के बराबर है। यदि कोरोना के कारण इंटरनेशनल हवाई यातायात पर लगे प्रतिबंध को दो-तीन महीनों में हटा लिया जाता है, तो ही कुछ विदेशी पर्यटक भारत आ सकते हैं। यदि प्रतिबंध नहीं हटा तो इस पर्यटन सीजन विदेशी पर्यटकों के दीदार ही दुर्लभ हो जाएंगे।

सूत्र बताते हैं इसी के चलते विभाग डोमेस्टिक ट्यूरिस्टों को आकर्षित करने की योजनाओं पर काम कर रहा है। डोमेस्टिक ट्यूरिस्टों को पंसद आने वाली एक्टिविटीज तलाशी जा रही है। इसके तहत प्रदेश के सबसे प्रमुख पर्यटन स्थल आमेर महल के नीचे बने मावठे में नाव चलाने की योजना पर भी काम किया जा रहा है। विभाग की ओर से इसके लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है।

जल्द ही यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री के पास मंजूरी के लिए भेजा जा सकता है, क्योंकि पर्यटन मंत्री का इस्तीफा हो चुका है, इसलिए मुख्यमंत्री ही इसपर निर्णय करेंगे। पर्यटन विभाग ने नावों के संचालन के लिए पुरातत्व विभाग से भी सहमति मांगी है। पुरातत्व विभाग खुद चाहता है कि मावठे में नावों का संचालन किया जाए, ऐसे में मुख्यमंत्री से मंजूरी मिलते ही विभाग भी नाव चलाने की सहमति दे देगा।

आमेर का मावठा सिंचाई विभाग के तहत आता है। जानकारों का कहना है कि वर्ष 1996-97 तक मावठे में नावें चला करती थी। वर्ष 1998 से मावठे में पानी की आवक कम हो गई और इसके चलते नावों का चलना बंद हो गया था। उस समय या तो सिंचाई विभाग या फिर आरटीडीसी की ओर से पर्यटकों के लिए यह नावें चलाई जाती थी। वर्ष 2006 में भी मावठे में पूरा पानी आया और यहां फिर से नाव चलाने की कोशिशें शुरू हुई, लेकिन तब तक नाविकों के लाइसेंस एक्सपायर हो गए और लाइसेंस नहीं होने के चलते यह प्रयास ठंड़े बस्ते में चला गया था।

इसलिए जरूरी है नौकायन

पर्यटन विशेषज्ञों का कहना है कि डोमेस्टिक ट्यूरिस्टों की पहली पसंद नौकायन होता है। जयपुर में जलविहार के लिए मावठे, जलमहल और रामगढ़ के अलावा अन्य कोई बड़ा स्थान नहीं हुआ करता था, इसलिए यहां नावें चलाई जाती थी। इनके सूखने के बाद नावें चलना बंद हो गई। यदि यहां नौकायन फिर से शुरू होता है, तो यह पर्यटकों की पहली पसंद बनेगी। पर्यटकों के साथ-साथ हर सप्ताह शहर के निवासी भी यहां नौकायन के लिए उमड़ने लगेंगे।

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