सांसद और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम का कहना है कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण (Scientific vision) और यूनिवर्सल वैक्सीनेशन (Universal Vaccination) से ही इस कोरोना (Corona) महामारी से मुकाबला किया जा सकता है और इसके लिए दुनिया के सक्षम देशों को आपसी सहयोग से यह जिम्मेदारी उठानी होगी। उन्होंने कहा कि इस महामारी ने बच्चों को शिक्षा से वंचित कर दिया है, लोगों को रोजगार महरूम कर दिया है और लोगों के बीच असमानता की खाई को इसने और भी गहरा कर दिया है।
चिदम्बरम ने कहा कि इस महामारी के दो चिन्ताजनक पहलू हैं, पहला तो स्वयं यह महामारी और दूसरा लोकतंत्र पर इसका प्रभाव। उन्होंने कहा कि इस महामारी ने दुनिया के हर देश की शासन प्रणाली पर चाहे वह लोकतंत्र हो, राजतंत्र हो या फिर तानाशाही सभी को प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में आलोचना होना स्वाभाविक है और इसीलिये यह दूसरे प्रकार की शासन प्रणालियों से अलग है।
शुक्रवार, 16 जुलाई को राजस्थान विधानसभा में वैश्विक महामारी तथा लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियां विषय पर राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ (सीपीए), राजस्थान शाखा द्वारा आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देशों में वैक्सीन नेशनलिज्म का अनोखा चलन सामने आया है। जो वैक्सीन मैंने बनाई या मैं खरीद सकता हूं, वह मेरी है या अपनी वैक्सीन प्रमोट करने के लिए मैं दूसरे की वैक्सीन को अनुमति नहीं दूंगा। इस चलन ने महामारी से लड़ने के वैश्विक सहयोग की भावना को नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि सक्षम देशों द्वारा आबादी की दो या तीन गुना वैक्सीन खरीद की वजह से कई छोटे और गरीब देश वैक्सीन की उपलब्धता के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस महामारी ने दुनिया के लगभग 18 करोड़ 87 लाख 18 हजार, 805 लोगों को प्रभावित किया है और करीब 40 लाख 62 हजार 394 लोगों की मृत्यु हुई। सिर्फ हमारे देश में ही कोविड से मरने वालों की संख्या 4 लाख 12 हजार 563 है।
चिदम्बरम ने कहा कि इस महामारी ने हर शासन पद्धति की कमियों को सामने ला दिया है। उन्होंने कहा कि कोई भी लोकतंत्र तभी सही मायनों में लोकतंत्र है, जब उसका प्रधानमंत्री हर दिन और अपने हर कार्य में संसद के प्रति जवाबदेह हो और उस लोकतंत्र में एक जागरूक संसद और लोगों के प्रश्न पूछने वाली मीडिया भी मौजूद हो। उन्होंने कहा कि यह जानने और समझने की जरूरत है कि हमारे देश में रूल ऑफ लॉ है ना की रूल बाय लॉ। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जवाबदेही से बचने वालों को भी आखिरकार तो जवाब देना ही होता है।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में संसाधन और उनका उचित आवंटन दोनों बराबर महत्वपूर्ण हैं। आज तक देश में किसी भी राजनैतिक पार्टी को स्कूलों और अस्पतालों की दयनीय स्थिति के कारण दंडित नहीं किया गया है और ना ही ऑक्सीजन, बैड और दवाइयों की कमी के कारण। लोकतंत्र में धीरे धीरे ही यह पता लगता है कि विगत की गलतियां ही वर्तमान की बुरी दशा का कारण हैं। उन्होंने कहा कि हर कोई यह जानता है कि यदि इस महामारी के कहर को नियंत्रित नहीं किया गया और देश के लोगों को वैक्सीन से वंचित रखा गया, तो उसके परिणाम भुगतने होंगे।
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी. पी. जोशी ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि चिदंबरम ने केन्द्र में विभिन्न विभागों के मंत्री के रूप में देश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया कि चिदंबरम ने वित्त मंत्री के रूप में देश का पहला ग्रीन बजट पेश किया था और देश को आर्थिक संकट से उबारने के लिए नई आर्थिक नीति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
कोरोना से लड़ाई के लिए पूर्व बचाव के उपाय अपनाने चाहिएः सीपी जोशी
डॉ. जोशी ने कहा कि वर्तमान में कोविड महामारी के इस दौर में सामाजिक विषमता को कम करने, आर्थिक नीति को सुदृढ़ करने और प्रति व्यक्ति आय को बढ़ाने के लिए नीतिगत फैसले लिये जाने चाहिये। उन्होंने कहा कि इस बीमारी से लड़ने के लिए हमारे साथ-साथ दुनिया के दूसरे देशों ने भी क्यूरेटिव मेजर्स अपनाए। किसी ने भी प्रिवेंटिव मेजर्स नहीं लिये। उन्होंने प्रिवेन्टिव मेजर्स को मजबूत करने और इसके लिये प्रत्येक व्यक्ति को कर्तव्यों के निर्वहन की आवश्यकता प्रतिपादित की।
नेता प्रतिपक्ष श्री गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि इस महामारी ने पूरे विश्व को प्रभावित किया है और लोकतांत्रिक देशों के लिए महामारी का यह दौर सबसे कठिन है। उन्होंने कहा कि महामारी पक्ष-विपक्ष, धार्मिक मान्यता, अमीर-गरीब कुछ नहीं देखती। इस कठिन समय में शिक्षा, आर्थिक गतिविधियों के साथ लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत करना सबसे जरूरी है।
सीपीए की राजस्थान शाखा के सचिव और विधायक संयम लोढ़ा ने सीपीए के कार्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर चिदंबरम द्वारा राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की राजस्थान शाखा के 60 वर्ष पूर्ण होने पर स्मारिका का विमोचन भी किया गया। राजस्थान विधान सभा सचिव प्रमिल कुमार माथुर ने स्मारिका के बारे में बताया कि 1911 में लोकतांत्रिक देशों का संगठन सीपीए स्थापित किया गया। वर्ष 1948 में इसका वर्तमान स्वरूप अस्तित्व में आया। गत वर्षों में राजस्थान शाखा ने अपनी सक्रियता में अभिवृद्धि करते हुए महत्वपूर्ण विषयों पर सेमिनार आयोजित की।