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शक्ति (Shakti) के नौ स्वरूपों की उपासना (Upasana) का शरद ऋतु का महापर्व ‘शारदीय नवरात्र’ (Shardiya Navratri) आज 7 अक्टूबर से ही.. घट स्थापना मुहूर्त सुबह 11:52 बजे से दोपहर 12:38 बजे तक

हिन्दू समाज में शक्ति (Shakti) की उपासना (Upasana) बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। ईश्वर में आस्था रखने वाले हिन्दू समाज के लोग नवरात्र में शक्ति के नौ रूपों की आराधना करते हैं। शरद ऋतु के लगभग आरंभ से शक्ति स्वरूपा दुर्गा मां के नौ रूपों की आराधना की जाती है। इस आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri) 7 अक्टूबर से ही प्रारंभ हो रहे हैं। नवरात्रि पूरा की शुरुआत घट स्थापना (Ghat Sthapana) या कलश स्थापना के साथ होती है इस बार घट स्थापना या कलश स्थापना का मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त (Muhurat) ही रहेगा जो 7 अक्टूबर को सुबह 11:52  बजे से दोपहर 12:38  बजे तक है।

क्या होती हैं नवरात्रि

उल्लेखनीय है कि देवी पुराण के अनुसार नव यानी नौ शक्तियों के मिलन को नवरात्रि कहा जाता है जो प्रत्येक वर्ष चार बार चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ माहों में आती हैं। बसंत में आने वाली नवरात्रि को चैत्र या वासंती नवरात्रि कहते हैं। आश्विन मास में श्राद्ध पक्ष समाप्ति के तुरंद बाद शरद ऋतु के आरंभ में आने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहते हैं। शेष दो नवरात्रि गुप्त नवरात्रि कहे जाते हैं जो क्रमशः माघ और आषाढ़ महीने में आते हैं और इन दिनों मां दुर्गा की 10  महाविधाओं की साधना होती है।

इस बार नवरात्रि आठ दिन की

इस बार के शारदीय नवरात्रि की विशेष बात यह है कि ये नौ दिन नहीं आठ दिन के ही होंगी। इसका अर्थ यह है कि नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार को हो रही है और इसका समापन भी गुरुवार को ही होगा। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि इस पंचांग के अनुसार चतुर्थी तिथि का क्षय हो रहा है। इन स्थितियों में महाष्टमी पूजन 13 अक्टूबर को और महानवमी पूजन 14 अक्टूबर को होगा। दशहरा 15 अक्टूबर को मनाया जायेगा।

किस दिन होगी किस देवी मां की पूजा
गुरुवार 7 अक्टूबरः कलश स्थापना, मां शैलपुत्री स्वरूप की पूजा
शुक्रवार 8 अक्टूबरः मां के दूसरे रूप ब्रह्मचारिणी की पूजा
शनिवार 9 अक्टूबरः मां के तीसरे रूप चंद्रघंटा की पूजा
रविवार 10 अक्टूबरः मां के चौथे रूप कुष्मांडा की पूजा
सोमवार 11 अक्टूबरः मां के पांचवे रूप स्कंदमाता व छठे रूप कात्यायनी की पूजा साथ में होगी
मंगलवार 12 अक्टूबरः नवपत्रिका प्रवेश, नेत्रदान, माता कालरात्रि की पूजा
बुधवार 13 अक्टूबरः मां महागौरी की पूजा, अष्टमी उपवास, निशा रात्रि पूजा
गुरुवार 14 अक्टूबरः महानवमी व्रत, माता सिद्धिदात्री की पूजा, अष्टमी पारण, शांति हवन
शुक्रवार 15 अक्टूबरः विजया दशमी, अपराजिता पूजा, मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन

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