धरम सैनी
जयपुर। एक दशक से पुरातत्व विभाग में जो कामचोरी, लालफीताशाही चल रही है, उसका खामियाजा प्रदेश के स्मारकों और पुरातत्व सामग्रियों को भुगतना पड़ रहा है। इसका जीता-जागता उदाहरण विभाग की रसायन शाला है, जहां वर्षों से कोई कम नहीं हो रहा है। सितंबर में विभाग की मुख्य रसायनवेत्ता रिटायर होने वाली हैं, ऐसे में अल्बर्ट हॉल में जल भराव के कारण खराब हुई पुरा सामग्रियों का भविष्य खराब दिखाई दे रहा है।
जल भराव के बाद जब मंत्री अल्बर्ट हॉल के दौरे पर आए तो उन्हें अधिकारियों ने आश्वासन दे दिया कि पानी से खराब हुई सामग्रियों का केमिकल टीटमेंट कर उन्हें बचाने का पूरा प्रयास किया जाएगा, लेकिन यह आश्वासन पूरा होता दिखाई नहीं दे रहा है।
सूत्रों का कहना है कि विभाग के पास पुरा स्मारकों और सामग्रियों का केमिकल ट्रीटमेंट करने के लिए मुख्य रसायनवेत्ता का एक ही पद है। इस पर पर लंबे समय से शशि स्वामी काम कर रही थी, जो सितंबर में रिटायर होने वाली है। स्वामी विभाग में केमिस्ट की पोस्ट पर लगी थी और प्रमोशन होते-होते मुख्य रसायन वेत्ता बनीं। विभाग के उच्चाधिकारियों को इस बात का पता था, इसके बावजूद विभाग ने इस पद पर दूसरी नियुक्ति के लिए कोई कार्रवाई नहीं की। न ही विभाग ने एक दशक से केमिस्ट की भर्ती के लिए कोई प्रक्रिया चलाई।
लंबे समय से कराया जा रहा दूसरा काम
सूत्रों का कहना है कि विभाग में सिर्फ एक ही रसायनवेत्ता होने के बावजूद स्वामी से विभाग के उच्चाधिकारी अन्य कार्य करा रहे थे। वर्ष 2015-16 में विभाग में टिकट घोटाला उजागर होने के बाद जंतर-मंतर वेधशाला के अधीक्षक को पद से हटाया गया था और उनकी जगह शशि स्वामी को अधीक्षक लगा दिया गया था। कुछ महीनों पूर्व ही उन्हें इस दायित्व से मुक्त किया गया है। इससे पूर्व भी उनके कार्य के विपरीत विभाग में अन्य जिम्मेदारियां सौंपी गई थी, जिसके कारण रसायनशाला ठप्प पड़ी थी और स्मारकों व सामग्रियों की देखरेख नहीं हो पा रही थी।
डेप्युटेशन पर बुलाने होंगे रसायनवेत्ता
पुरातत्व विभाग के सामने इस समय एक ही उपाय है कि वह पुरा सामग्रियों को बचाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग या फिर अन्य राज्यों के पुरातत्व विभागों से प्रतिनियुक्ति पर रसायनवेत्ता बुलाए और पानी में भीगी हुई पुरा सामग्रियों का उपचार कराए। वहीं प्रदेश में भी मुख्य रसायनवेत्ता और केमिस्ट की भर्ती प्रक्रिया चलाए। तभी प्रदेश की पुरा सामग्रियों के साथ न्याय हो पाएगा।
संभागवार हो केमिस्टों की नियुति
पुरातत्व विभाग के पास इस समय 25 स्मारक हैं, वहीं करीब 20 संग्रहालय के साथ लाखों की संख्या में पुरा सामग्रियां है। पुरा सामग्रियों के रसायनिक उपचार के लिए विभाग में मैन्युअल बना हुआ है, जिसके हिसाब से समय-समय पर स्मारकों और सामग्रियों का उपचार होना चाहिए, लेकिन विभाग यह काम ठेकेदारों के अकुशल कर्मचारियों से करवा लेता था। विभाग को मुख्य रसायनवेत्ता मिलना तो मुश्किल होगा, लेकिन वह संभागवार केमिस्टों की नियुक्ति प्रक्रिया अभी से शुरू कर सकता है।
सूख कर सही हो जाएंगी सामग्रिया
विभाग के निदेशक पी सी शर्मा का कहना है कि सभी पुरा सामग्रियों को ट्रीटमेंट की आवश्यकता नहीं होती है। पानी में भीगी पुरा सामग्रिया सूख कर सही हो जाएंगी। यदि उन्हें ट्रीटमेंट की आवश्यकता होगी तो विशेषज्ञ हायर कर लिया जाएगा। भर्ती प्रक्रिया काफी लंबी होती है। चीफ केमिस्ट के रिटायर होते ही आरपीएससी को रिक्वायरमेंट भेज दी जाएगी।