श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में राजपक्षे परिवार की राजनीतिक पकड़ पूरी तरह कमजोर हो गई है। कभी श्रीलंका की सत्ता में मुख्य भूमिका निभाने वाले महिंदा और गोटबाया राजपक्षे के इर्द-गिर्द देश की राजनीति घूमती थी। इस परिवार के सभी उम्मीदवार बहुसंख्यक सिंहली समुदाय के समर्थन से हर चुनाव में बड़ी जीत हासिल करते थे। लेकिन अब स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि महिंदा और गोटबाया राजपक्षे जनता के भारी विरोध के चलते चुनाव में हिस्सा भी नहीं ले सके। महिंद्रा राजपक्षे के बेटे, नमल राजपक्षे ने किसी तरह राष्ट्रपति चुनाव लड़ने का साहस किया, लेकिन उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा।
महिंद्रा राजपक्षे के बेटे और पूर्व खेल व युवा मंत्री, नमल राजपक्षे, को राष्ट्रपति चुनाव में मात्र 3% वोट ही मिले। ताजा खबरों के मुताबिक, वामपंथी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके अन्य उम्मीदवारों से आगे चल रहे हैं और उन्हें 42% वोट प्राप्त हुए हैं। राष्ट्रपति पद के लिए जीत हासिल करने के लिए 51% वोट जरूरी होते हैं। विपक्षी नेता सजीथ प्रेमदासा दूसरे स्थान पर हैं, उन्हें लगभग 32% वोट मिले हैं। श्रीलंका में लगभग 1 करोड़ 70 लाख (17 मिलियन) मतदाता हैं।
श्रीलंका में राष्ट्रपति बनने के लिए कितने वोटों की जरूरत है
श्रीलंका में अगर कोई उम्मीदवार पहले दौर में 51% वोट हासिल नहीं कर पाता, तो दूसरी और तीसरी पसंद के आधार पर वोटों की गिनती की जाती है। 1982 से अब तक हुए सभी आठ राष्ट्रपति चुनावों में पहले दौर में ही विजेता का फैसला हो गया था। हालांकि, इस बार ऐसा लग रहा है कि दूसरे दौर की गिनती की आवश्यकता हो सकती है। इस साल का चुनाव श्रीलंका के इतिहास में सबसे प्रतिस्पर्धात्मक चुनावों में से एक माना जा रहा है।