श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने सोमवार को मुख्य न्यायाधीश जयंत जयसूर्या की उपस्थिति में राष्ट्रपति पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण के बाद, उन्होंने कहा कि वे श्रीलंका में पुनर्जागरण का नया दौर शुरू करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। शनिवार को हुए राष्ट्रपति चुनाव के बाद रविवार को उनके जीत की घोषणा की गई, जिसमें जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) और नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) गठबंधन के उम्मीदवार दिसानायके ने साजिथ प्रेमदासा को हराया।
मार्क्सवादी विचारधारा के नेता दिसानायके का चीन के प्रति झुकाव माना जाता है, हालांकि उनकी पार्टी ने स्पष्ट किया है कि श्रीलंका किसी भी वैश्विक राजनीति का हिस्सा नहीं बनेगा और न ही देश का क्षेत्र किसी अन्य राष्ट्र के खिलाफ उपयोग किया जाएगा। इसे चीन के संदर्भ में भारत को आश्वस्त करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
एनपीपी के प्रवक्ता बिमल रत्नायके ने कहा कि श्रीलंका का भूभाग किसी के खिलाफ नहीं इस्तेमाल होगा, जबकि एनपीपी की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति के सदस्य प्रोफेसर अनिल जयंती ने श्रीलंका की रणनीतिक स्थिति पर जोर देते हुए कहा कि भारत एक महत्वपूर्ण पड़ोसी और महाशक्ति है, जिसका हिंद महासागर में अपना महत्व है।
दिसानायके के पास राजनीति का व्यापक अनुभव है। 1980 के दशक में छात्र राजनीति से शुरुआत करने वाले दिसानायके 2000 में पहली बार सांसद बने और 2004 में मंत्री बने थे। वे 2014 से जेवीपी के अध्यक्ष हैं और 2019 में भी राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़े थे। उनका जन्म थंबुट्टेगामा में एक दिहाड़ी मजदूर के परिवार में हुआ था, और वे अपने गांव से विश्वविद्यालय जाने वाले पहले छात्र थे। उनकी मौजूदा सफलता का श्रेय 2022 में आई श्रीलंका की आर्थिक मंदी को दिया जा रहा है, जिसे उन्होंने अपने अभियान का प्रमुख मुद्दा बनाया था।