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सुपर स्प्रेडर बनने की राह पर स्वायत्त शासन विभाग

क्वारंटइन अधिकारी बिना मास्क कर रहे इंदिरा रसोइयों की जांच

जयपुर। प्रदेश में कोरोना संक्रमण फैलाव को रोकने के लिए खुद मुख्यमंत्री दिन-रात एक किए हुए हैं, लगातार कोरोना संक्रमण पर नजर रखे हुए हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि उनका खुद का एक विभाग सुपर स्प्रेडर की भूमिका निभा रहा है। विभाग की एक शाखा के अधिकारी क्वारंटाइन होने के बजाए प्रदेशभर में घूमकर इंदिरा रसोइयों की जांच में लगे हैं।

ऐसे में इंदिरा रसोई पर भी कभी भी सवालिया निशान खड़े हो सकते हैं। जब प्रदेश में लगातार कोरोना संक्रमण फैल रहा है, ऐसी लापरवाही कभी भी भारी पड़ सकती है। हम बात कर रहे हैं स्वायत्त शासन विभाग की।

सिविल लाइंस स्थित विभाग की इमारत में कार्यरत राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) की शाखा पूर्व में भी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुकी है। अब इसके अधिकारी एक बार फिर कोरोना की चपेट में आए हैं। पिछले बुधवार को शाखा के तीन स्टेट मैनेजर कोरोना पॉजिटिव निकल आए। इनमें एक महिला अधिकारी तो आईसीयू में भर्ती हैं।

निदेशक ने तय किया कि परियोजना अनुभाग में कार्यरत सभी नियमित व संविदा कर्मचारियों और अधिकारियों को गुरुवार को सेल्फ होम क्वारंटाइन कर दिया गया, ताकि आगामी पांच दिनों तक यह लोग एलएसजी में अन्य अधिकारियों-कर्मचारियों के संपर्क में नहीं आएं। नियमानुसार एनयूएलएम के अधिकारियों-कर्मचारियों को क्वारंटाइन में रहना चाहिए, लेकिन बिना टेस्ट कराए यह लोग घूमते फिर रहे हैं।

पहुंच गए इंदिरा रसोई की जांच करने

खतरनाक बात यह है कि एनयूएलएम के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुरेश चंद्र गुप्ता तो क्वारंटाइन होने के बजाए सवाईमाधोपुर में घूम-घूम कर इंदिरा रसोई की जांच में लगे हैं। इसका खुलासा एनयूएलएम के व्हाट्सअप ग्रुप से हुई, जिसमें किसी ने प्रोजेक्ट डायरेक्टर के सवाईमाधोपुर कार्यक्रम की फोटो डाल दी।

कोरोना गाइडलाइन की उड़ाई धज्जियां

इससे साफ हो रहा है कि गुप्ता ने कोरोना गाइडलाइन की जमकर धज्जियां उड़ाई। इंदिरा रसोई के दौरे में उन्होंने दिखावे के लिए तो मास्क लगा रखा था, लेकिन वह मास्क उनके मुंह और नाक पर होने के बजाए ठुड्डी पर लटक रहा था। वहीं सोश्यल डिस्टेंसिंग की भी पालना नहीं की गई। यदि यह अधिकारी कोरोना संक्रमित हुए तो वह सुपर स्प्रेडर के रूप में संक्रमण फैला सकते हैं। पूर्व में जब शाखा पर कोरोना संक्रमण फैला था, तब गुप्ता और उनकी पत्नि सबसे पहले कोरोना पॉजिटिव निकले थे।

मैं एकदम फिट हूं

इस संबंध में जब हमने गुप्ता से जानकारी चाही तो उनका कहना था कि मैंने सवाईमाधोपुर में दो और गंगापुर में दो इंदिरा रसोइयों का दौरा किया था। हमारी शाखा के कुछ अधिकारी पॉजिटिव आए थे। इसके बाद शाखा को बंद कर दिया गया था। मैं पॉजिटिव आए लोगों से अलग रहा था। मुझे एक महीना पहले कोरोना हुआ था। अब मैं एकदम फिट हूं। मुंह पर मास्क लगा हुआ था, लेकिन वह थोड़ा नीचे हो गया होगा, यह कोई बड़ी बात नहीं है। अब सवाल यह उठता है कि गुप्ता पूर्व में नेगेटिव हो चुके हैं तो क्या वह दोबारा संक्रमण से ग्रसित नहीं हो सकते हैं? क्या उच्चाधिकारियों का आदेश उनके लिए मान्य नहीं है।

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