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सर्वोच्च न्यायालय ने भोजशाला परिसर ने चल रहे सर्वे पर रोक लगाने से इनकार किया..!

सर्वोच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश के धार में भोजशाला परिसर के चल रहे ‘वैज्ञानिक सर्वे’ पर रोक लगाने के मामले में सुनवाई की और सर्वे को रोकने को लेकर कोई भी निर्देश देने से मना कर दिया। मध्य प्रदेश के उच्च न्यायासय की इंदौर पीठ ने वाराणसी की ज्ञानवावी की तर्ज पर धार स्थित भोजशाला परिसर में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) से सर्वेक्षण कराने और तय समय सीमा में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। इसी सर्वे को रुकवाने के लिए मुस्लिम पक्षकारों ने 22 मार्च को सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी।
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद अब भोजशाला के विवादित स्थल और कमल मौला मस्जिद परिसर में सर्वे की कार्रवाई जारी रहेगी। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार एएसआई सर्वे के दौरान ऐसी कोई खुदाई नहीं की जाएगी, जिससे भोजशाला के स्ट्रक्चर में बदलाव हो। अदालत ने आगे आदेश दिया कि उसकी अनुमति के बिना एएसआई सर्वेक्षण रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि भोजशाला परिसर, मध्य प्रदेश के धार जिले में एक ऐतिहासिक स्थल है, जिस पर हिंदू और मुस्लिम दोनों ही अधिकार जताते हैं। भोजशाला परिसर, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित 11वीं शताब्दी का स्ट्रक्चर है, जो दोनों पक्षों के लिए महत्व रखती है। हिंदू इसे वाग्देवी (देवी सरस्वती) को समर्पित मंदिर के रूप में मानते हैं, जबकि मुस्लिम इसे कमल मौला मस्जिद का नाम देते हैं। सात अप्रेल, 2003 को एएसआई की व्यवस्था के अनुसार, हिंदू मंगलवार को पूजा करते हैं, जबकि मुस्लिम परिसर के भीतर शुक्रवार को नमाज अदा करते हैं।
न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति पीके मिश्रा की पीठ ने मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी द्वारा वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका के जवाब में केंद्र, मध्य प्रदेश सरकार और एएसआई सहित विभिन्न अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। पीठ ने निर्देश दिया है, ‘चार सप्ताह में नोटिस जारी करें। अंतरिम आदेश में कोर्ट ने कहा, सर्वे के नतीजे पर इस अदालत की अनुमति के बिना कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि कोई भी ऐसा उत्खनन नहीं किया जाना चाहिए जिससे परिसर के चरित्र में बदलाव की संभावना हो।’

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