अदालतदिल्ली

सरकार सभी निजी संपत्तियों को सार्वजनिक हित के नाम पर अधिगृहीत नहीं कर सकतीः सर्वोच्च न्यायालय

आज सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम निर्णय में कहा कि सरकार सभी निजी संपत्तियों को सार्वजनिक हित के नाम पर अधिगृहीत नहीं कर सकती। यह फैसला चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 9 जजों की संविधान पीठ ने सुनाया, जिसमें 8-1 के बहुमत से यह निष्कर्ष दिया गया है कि निजी संपत्तियों पर सरकार का पूर्ण नियंत्रण उचित नहीं है। इस पीठ में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ के साथ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस सुधांशु धूलिया, जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस बी वी नागरत्ना, जस्टिस जे बी पारदीवाला, जस्टिस राजेश बिंडल और जस्टिस ए जी मसीह शामिल थे।
इस फैसले के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 1978 के बाद के उन निर्णयों को पलट दिया है जो समाजवादी सिद्धांतों का पालन करते हुए सरकार को सार्वजनिक हित में सभी निजी संपत्तियों पर कब्जा करने का अधिकार देते थे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकार जनता के हित में केवल उन्हीं भौतिक और सामुदायिक संसाधनों पर अधिकार कर सकती है जो सीधे तौर पर समुदाय के उपयोग में आते हैं और सामाजिक भलाई के लिए आवश्यक हैं।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय संपत्ति के अधिकार को एक नई दिशा देता है, जिससे स्पष्ट होता है कि सरकार को निजी संपत्तियों के अधिग्रहण का असीमित अधिकार नहीं है। यह फैसला भविष्य में सरकार द्वारा संपत्ति अधिग्रहण के मामलों को लेकर आने वाली कई चुनौतियों के लिए महत्वपूर्ण दृष्टांत बनेगा।

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