जयपुर। केंद्र सरकार की ओर से राजस्थान में पर्यटन सुविधाओं के विकास को आए 50 करोड़ रुपए पर्यटन विभाग और उसकी कार्यकारी एजेंसी राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) के बीच फुटबॉल बनकर रह गए हैं। तीन वर्ष बीत जाने के बावजूद अभी तक इस पैसे का सदुपयोग नहीं हो पाया है।
केंद्र सरकार ने राजस्थान को पर्यटन सुविधाओं के विकास के लिए 50 करोड़ रुपए प्रदान किए थे। इससे प्रदेश के 10 धार्मिक व ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों पर लाइट एंड साउंड शो विकसित होने थे। विभाग ने लाइट एंड साउंड शो लगाने का काम आरटीडीसी को सौंपा था।
आरटीडीसी ने गत वर्ष मई में इनकी निविदाएं आयोजित करने का प्रयास किया गया, लेकिन निविदाओं के भ्रष्टाचार को लेकर कुछ शिकायतें पर्यटन मंत्री के पास पहुंच गई। पर्यटन मंत्री ने इसका विरोध किया। काफी लंबी जद्दो जहद के बाद इस वर्ष जनवरी में निविदाएं आयोजित की गई, लेकिन गढ़ीसर तलाब, जैसलमेर के अलावा कोई भी निविदादाता निविदा में सफल नहीं हो पाए।
बाद में आरटीडीसी ने पर्यटन विभाग से दोबारा निविदाएं कराने की अनुमति मांगी, लेकिन पर्यटन मंत्री ने व्यवस्था दी कि निविदाओं की शर्तें पर्यटन विभाग तय करेगा और आरटीडीसी इसपर काम करेगा। मंत्री द्वारा व्यवस्था दिए जाने के बावजूद पिछले पांच महीनों से पर्यटन विभाग और आरटीडीसी के अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। जिसका खामियाजा प्रदेश के पर्यटन व्यवसाय को भुगतना पड़ेगा।
समय रहते यदि दोबारा निविदाएं करवा ली जाती, तो अब इन स्थानों पर कार्य कराया जा सकता था, क्योकि कोविड के कारण अभी पर्यटन स्थलों पर ज्यादा भीड़ नहीं है। इस घोर लापरवाही पर आरटीडीसी के कार्यकारी निदेशक (कार्य) माधव शर्मा का कहना है कि अभी तक हमें पर्यटन विभाग से दिशानिर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं। विभाग की ओर से दिशानिर्देश मिलते ही फिर से निविदाएं करवा कर कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
पर्यटन विभाग की ओर से चित्तोडग़ढ़ के कुंभलगढ़ किले, धौलपुर के मुचकुंड, जयपुर के जयनिवास उद्यान, नागौर मेड़ता के मीरा महल, चित्तौडग़ढ़ के सांवलिया जी मंदिर, उदयपुर के प्रताप गौरव केंद्र, अजमेर के पुष्कर, जैसलमेर की गढ़सीसर लेक और जयपुर की सांभर लेक पर लाइट एंड साउंड शो प्रस्तावित है।