जयपुर

मंत्री (minister) और विधायकों (legislators) की लड़ाई (tussle) में राजधानी (capital) जयपुर (Jaipur) की शामत

पर्यटकों की भारी आवक और ओमिक्रॉन की दहशत के बावजूद जयपुर में पटरी पर नहीं आ पा रही सफाई व्यवस्था

जयपुर। राजधानी (capital) में इन दिनों पर्यटन सीजन जोरों पर है। भारी संख्या में देशी पर्यटकों के जयपुर पहुंचने और ओमिक्रॉन के खतरे के बीच जयपुर के प्रभारी मंत्री (minister) और विधायकों (legislators) की आपसी लड़ाई में जयपुर (Jaipur) शहर की शामत आई हुई है। नगर निगम हेरिटेज मुख्य सड़कों से कचरा उठा रहा है, लेकिन पूरे परकोटे में कचरे के अलावा कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। रही सही कसर मावठ की बारिश ने पूरी कर दी है। बारिश के पानी के कारण कचरे के ढ़ेर सडऩे लगे हैं। परकोटे का हाल यह है कि तीन दिन में इतना कचरा इकट्ठा हो चुका है, जो सात दिन में भी नहीं उठाया जा सकता है।

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि राजधानी में बदहाल सफाई व्यवस्था के लिए प्रभारी मंत्री और विधायकों के बीच चल रही लड़ाई प्रमुख कारण है। कुछ समय पूर्व जयपुर के प्रभारी मंत्री व स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने राजधानी की सफाई व्यवस्था को लेकर लाचारी जताई थी। उन्होंने कहा था कि जयपुर में सफाई का काम कर रही फर्म को हटाना मुश्किल है। मंत्री के इस बयान के कुछ दिन बाद अचानक नगर निगम हेरिटेज की ओर से सफाई फर्म बीवीजी को टर्मिनेट कर दिया गया। कहा जा रहा है कि शायद मंत्री को नीचा दिखाने के लिए यह कदम उठाया गया है, क्योंकि हेरिटेज निगम यहां के चार विधायकों के इशारे पर ही चलता है और इन विधायकों का मंत्री शांति धारीवाल से छत्तीस का आंकड़ा है।

कांग्रेस सूत्र बता रहे हैं कि राजस्थान की राजनीति के दिग्गजों में शामिल मंत्री शांति धारीवाल के ट्रेप में जयपुर के विधायक एक बार फिर फंस गए और उन्होंने अपनी किरकिरी करा ली है। धारीवाल को यह अच्छी तरह से मालूम था कि बीवीजी कंपनी का भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के साथ कैसे और कितने गहरे संबंध है और यदि इस कंपनी को हटाया जाए तो शहर की सफाई पर क्या प्रभाव पड़ेगा। ऐसे में यदि वह स्वायत्त शासन मंत्री होने के नाते कंपनी के खिलाफ होने वाली कार्रवाई का सेनापति बनने की कोशिश करते, तो एक तरफ जयपुर के विधायक उनका साथ नहीं देते और बदहाल सफाई का ठीकरा उनपर फूट जाता। इसलिए उन्होंने विधायकों के पाले में गेंद फेंकते हुए अपनी लाचारी जता दी।

मंत्री ने लाचारी दिखाई तो विधायकों ने उन्हें नीचा दिखाने की ठान ली और तुरत-फुरत कंपनी को टर्मिनेट कर दिया। यहीं वह धारीवाल के टे्रप में फंस गए। उन्होंने मंत्री को नीचा दिखाने की जल्दी में शहर की जनता को निरीह समझ लिया और इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया कि कंपनी को अचानक बाहर करने के क्या परिणाम होंगे। कंपनी को टर्मिनेट करने से पूर्व उन्होंने सफाई के लिए कोई बैकअप प्लान नहीं बनाया। अब इसका पूरा खामियाजा शहर की जनता को भुगतना पड़ेगा।

पूर्व पार्षद विकास कोठारी ने सोमवार को कांग्रेस के प्रभारी मंत्री और विधायकों के बीच चल रही खींचतान पर सवाल उठाए हैं। कोठारी ने कहा कि शहर की बदहाल सफाई व्यवस्था ने इनके बीच चल रही खींचतान को जगजाहिर कर दिया है। बैकअप प्लान के बिना कंपनी को टर्मिनेट करना हेरिटेज के विधायकों और महापौर का बचकाना निर्णय है। मंत्री को नीचा दिखाने में उन्होंने शहर की जनता से भी कोई वास्ता नहीं रखा। ऐसे में सवाल उठता है कि जयपुर की जनता किस पर विश्वास करे? उन विधायकों और मंत्री पर जो खुद की लड़ाई में उलझे हुए हैं या उस नाकारा बोर्ड पर जो एक वर्ष बीतने के बावजूद जनता के कार्यों से जुड़ी समितियां भी नहीं बना पा रहा है।

मंत्री ने पहले भी दिखाया था आईना
उल्लेखनीय है कि पूर्व में भी शांति धारीवाल ने जयपुर के विधायकों को आईना दिखाया था। नगर निगम ग्रेटर में महापौर सौम्या गुर्जर का निलंबन और शील धाभाई को कार्यवाहक महापौर बनाने के मामले में धारीवाल ने इस तरह से चालें चली कि जयपुर के विधायकों को भी इन दोनों बड़े निर्णयों की खबर तक नहीं लगी थी। इसके जरिए उन्होंने यह बता दिया था कि प्रभारी मंत्री क्या कर सकता है? इसी बात को लेकर धारीवाल और विधायकों में ठनी हुई थी।

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