क्राइम न्यूज़जयपुर

भारतीय दंड संहिता के तहत राजस्थान में दर्ज मामलों में 14.21 फीसदी की कमी किंतु हत्या के 3.62 और हत्या के प्रयास के मामले 8.24 फीसदी बढ़े

राजस्थान में वर्ष 2020 में भारतीय दंड संहिता के तहत दर्ज मामलों की संख्या वर्ष 2019 के मुकाबले 14.21 फीसदी तक कम हो गई है। हालांकि हत्या के मामलों में 3.62 और हत्या के प्रयास के मामलों में 8.24 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है किंतु अपहरण के मामलों में 22.64 फीसदी की कमी दर्ज की गई है।

राजस्थान पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी, राजस्थान) एमएल लाठर ने मीडिया को प्रेस ब्रीफिंग के दौरान बताया कि जिन क्षेत्रों में हत्या व इसके प्रयासों के मामले बढ़े हैं, वहां के पुलिस महानिरीक्षकों (आईजीपी) और पुलिस अधीक्षकों (एसपी) को मामलों की समीक्षा करने के निर्देश दिये गये हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 के कारण उत्पन्न आर्थिक-सामाजिक परिस्थितियों के कारणों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

लंबित मामले निपटाने को प्राथमिकता

पुलिस महानिदेशक राजस्थान, एमएल लाठर (मध्य में)

लाठर ने कहा कि यद्यपि हत्या व हत्या के प्रयास के मामलों में आंशिक वृद्धि हुई है किंतु ऐसे जघन्य अपराधों में चालानी प्रतिशत 97-99 फीसदी तक रहा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 के अंत तक यानी 31 दिसंबर तक लंबित मामलों की स्थिति 20.63 फीसदी रही है।

लाठर ने बताया कि पुलिस ने एक वर्ष से अधिक समय तक लंबित मामलों के निस्तारण को प्राथमिकता दी और वर्ष 2020 में 6427 मामलों का निस्तारण किया। बलात्कार के मामलों में कोर्ट के माध्यम से दर्ज प्रकरण कभी 30 फीसदी से भी अधिक थे जो वर्ष 2019 में घटकर 18 फीसदी और वर्ष 2020 में 15 फीसदी रह गये।

सीसीटीएनएस के तहत 200 मामले दर्ज

डीजीपी लाठर ने बताया कि राजस्थान देश में एक मात्र ऐसा राज्य है जहां पुलिस अधीक्षक कार्यालय में क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम्स (सीसीटीएनएस) में प्रकरण दर्ज कराने की सुविधा है। जून 2019 से लागू की गई इस व्यवस्था के तहत अब तक 200 प्रकरण दर्ज किये गये हैं।

इसके अलावा राजस्थान के प्रत्येक थाने में स्वागत कक्ष निर्माण की घोषणा राजस्थान सरकार की ओर से की गई है जिसकी अनुपालना में अब तक 266 थानों पर स्वागत कक्ष बनाये जा चुके हैं और 238 थानों पर कार्य प्रगति पर चल रह है। उन्होंने बताया कि महिला अत्याचारों के मामलों में 2020 के दौरान 2019 की तुलना मे 16 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। अलबत्ता दहेज मृत्यु के मामलों में 6 फीसदी की वृद्धि हुई है।

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