कार्तिक मास कृष्ण पक्ष अमावस्या यानी गुरुवार दिनांक 4 नवंबर 2021 को दीपावली (Deepawali) पर्व है। पांच दिवसीय महापर्व (festival) का यह मुख्य (main) त्योहार है और इस दिन मां लक्ष्मी और पिता शिव के पुत्र भगवान श्रीगणेश जी के साथ मां महालक्ष्मी का पूजन किया जाता है। इस दिन पूजन के लिए मुहूर्त प्रदोष काल संध्या 05 : 38 से 08:15 तक है। यह समय पूजन के लिए श्रेष्ठ है। प्रदोषकाल में मनुष्यों को दीपक हाथ में लेकर अपने पितरों को मार्ग दिखाना चाहिए तथा उनका पूजन करना चाहिए। इसी तरह पूजन का एक अन्य मुहूर्त स्थिर लग्न वर्षभ में स्थिर नवमांश कुंभ का समय सायं 06 :31 से 06:44 तक है। जो लोग सिंह लग्न में पूजन करने के इच्छुक रहते हैं उनके लिए सिंह लग्न में पूजन का समय रात्रि 12.50 से 03.06 तक है।
सामर्थ्य के अनुसार करें पूजन
दीपावली सनातन संप्रदाय का सबसे प्राचीन पर्व है। दीपावली शब्द दीप+अवलि शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ है दीपों की पंक्ति या दीपों की कतार। इस पर्व पर दीप जलाने और संसार को जगमग करने का विशेष महत्व है। दीपावली पर मां लक्ष्मी और प्रथम पूज्य ईश्वर गणेश जी की पूजा की जाती है। इस पर्व की शुरुआत स्नानादि के पश्चात पितरों का तर्पण करके अन्न जल देकर करनी चाहिए। तत्पश्चात संध्या काल शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी जी और गणेश जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए। पूजन अपने सामर्थ्य अनुसार करना चाहिए।
यह पर्व भगवान श्रीराम के रावण पर विजय से जुड़ा हुआ है। रावण को परास्त कर भगवान राम, देवी सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या लौटे थे, तभी अयोध्या वासियों ने घर घर दीपक जलाकर खुशियां मनाई थी। इसके बाद से सनातन संप्रदाय मानने वाले इस पर्व को पारम्परिक तौर पर दीप प्रज्ज्वलित कर खुशियां मनाने लग गये।
इस बार ऐसे करें पूजन
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन के साथ, प्रथन पूज्य गणेश जी, समस्त कलाओं की देवी सरस्वती, धन-धान्य और समद्धि के देवता कुबेर के अलावा देवताओं के राजा इन्द्र और बही खाता पूजन भी किया जाता है। लक्ष्मी पूजन के लिए रोली, मोली, चावल, इलायची,पान, सुपारी, कपूर, गुड़, पुष्प, जौ, गेहूं, चंदन, नारियल, खील, बताशे, सिन्दूर, ऋतु फल, मिठाई, पंचरत्न, पंचामृत, लक्ष्मी जी का पाना, सफेद, लाल, कलश, घी, कमल पुष्प, कमल गट्टा, जलपात्र, चांदी के सिक्के, इत्र, रुई आदि सामग्री लें। लक्ष्मी पूजन के समय हल्के रंग के वस्त्र धारण करें। पीला वस्त्र अति शुभ है अतः इसे धारण करना श्रेयस्कर है। लक्ष्मी पूजन से पूर्व सर्वप्रथम गणेश जी का पंचोपचार पूजन करें। तत्पश्चात लक्ष्मी जी का पंचोपचार पूजन करें। पूजन के पश्चात श्रीसूक्त, गोपाल सहस्रनाम का जाप करें। मंत्र इस प्रकार है –
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
इस मंत्र की कम से कम एक माला जरूर करें। लक्ष्मी पूजन के समय अन्य मिठाई हो या न हो किंतु एक कटोरी में अपने पितरों को याद करते हुए खीर का भोग अवश्य लगाने का प्रयास करना चाहिए।