जयपुर

जयपुर के आमेर महल में चल रही खजाने की खोज, खजाने के लिए अधिकारी खपा रहे अपनी जिंदगी

धरम सैनी

जयपुर। प्राचीन किलों और महलों में गड़े खजाने की अफवाहें आपने खूब सुनी होगी, लेकिन एक महल ऐसा भी है, जहां दशकों से गड़े खजाने की खोज चल रही है। इस खोज को करवा रहा है राजस्थान का पुरातत्व विभाग। जयपुर के आमेर महल में न जाने कैसा खजाना गड़ा है कि अधिकारी यहां पर अपनी जिंदगी खपाने को तैयार हैं। आमेर में रहने के लिए उन्होंने सर्विस रूल्स को न जाने कहां खंडहरों में दफन कर दिया है।

विभाग में कहा जा रहा है कि आमेर महल अधीक्षक और संविदा पर लगे स्मारक निरीक्षक अंतिम सांस तक महल में जमे रहना चाहते हैं। स्मारक निरीक्षक के यहां तैनात रहने पर कहा जा रहा है कि जरूर महल में कुछ खोज चल रही है, तभी सेवानिवृत्ति के बाद पांचवी बार यह स्मारक निरीक्षक अपनी संविदा नियुक्ति आमेर महल में कराने में कामयाब हो गए हैं, लेकिन विभाग के सूत्र कह रहे हैं कि यह सारी कवायद किसी पुराने खजाने को खोजने के लिए नहीं है, बल्कि सरकारी खजाने को चूना लगाकर खुद के महल खड़े करने के लिए हो रही है।

पांचवी बार हुई संविदा नियुक्ति

सूत्र बताते हैं कि पुरातत्व विभाग के स्मारक निरीक्षक गोरधन शर्मा वर्ष 2010 में आमेर महल में पदस्थापित हुए थे और अक्टूबर 2016 सेवानिवृत्त हो गए। इसके बाद से ही हर वर्ष उन्हें आमेर महल अधीक्षक की सिफारिश और सहयोग से संविदा नियुक्ति पर इसी पद पर लगा दिया जाता है। इस बार उन्हें पांचवी बार संविदा पर लगाया गया है। शर्मा का कहना है कि वह महल में स्मारक निरीक्षक का काम कर रहे हैं। इस संबंध में विभाग के निदेशक पीसी शर्मा और आमेर महल अधीक्षक का पक्ष भी जानना चाहा, लेकिन वह फोन पर उपलब्ध नहीं हुए।

सेटिंगबाजी कर नियुक्ति करवा ली

हकीकत यह है कि यह एकमात्र पद पुरातत्व मुख्यालय में है। स्मारक निरीक्षक का काम स्मारकों की ढांचागत मजबूती और सुरक्षा व्यवस्था को जांचना है और पूरी तरह से तकनीकी पद है, लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि शर्मा विभाग में लिपिक पद पर तैनात थे, शर्मा ने सेटिंगबाजी कर इस खाली पद पर अपनी नियुक्ति करवा ली और प्रदेशभर में दौरा करने के बजाए अपनी नियुक्ति आमेर महल में करवा ली। स्मारकों पर रात में फिल्मी शूटिंग के विवाद में भी उनका नाम आ चुका है।

इस लिए हुआ सारा खेल

सूत्रों के अनुसार आमेर महल की सालाना आय 35 से 40 करोड़ रुपए है, जो कि प्रदेश के सभी स्मारकों में सबसे ज्यादा है। प्रदेश के स्मारक सालभर में जितनी आय देते हैं, उससे ज्यादा तो यही एक स्मारक दे जाता है। राजस्व में छीजत सभी सरकारी विभागों की समस्या है और एक से दो फीसदी छीजत आम बात है।

टिकटों की आय के अलावा महल के लिए सालभर कई प्रकार के टेंडर कराए जाते हैं और सबसे ज्यादा वाणिज्यिक गतिविधियां भी इसी स्मारक पर होती है, जिससे छीजत की मात्रा कई गुना बढ़ जाती है। सरकारी राजस्व को चूना लगाने में रिस्क भी कई रहते हैं, ऐसे में संविदा कर्मचारी से यह कार्य कराना काफी सुरक्षित हो जाता है। इसीलिए बार बार शर्मा को इसी जगह पर संविदा नियुक्ति लगाया जा रहा है।

अधीक्षक ने भी दस साल झोंक डाले

आमेर महल अधीक्षक पंकज धरेंद्र भी आमेर महल में विगत एक दशक से पदस्थापित हैं। जबकि सेवा नियमों के अनुसार कोई भी अधिकारी एक ही पद पर पांच वर्ष से अधिक समय तक पदस्थापित नहीं रह सकता है। ऐसे में अधीक्षक का नियमविरुद्ध एक ही स्थान पर जमे रहना, विभाग के उच्चाधिकारियों पर सवालिया निशान लगा रहे हैं कि क्या आमेर महल में कुछ बड़ी गड़बड़ चल रही है?

टिकट घोटाले में हो चकी है एसीबी की रेड

आमेर महल पिछले एक दशक से कई विवादों में घिरा रहा। एक विदेशी महिला द्वारा महल की टिकट विंडो से नकली टिकट की बिक्री की शिकायत के बाद एक बार एसीबी यहां रेड कर चुकी है। विभाग में टिकट वेंडिंग मशीनों के जरिए हुए टिकट घोटाले में भी आमेर महल का नाम उछला था, लेकिन विभाग के उच्चाधिकारियों ने तब आमेर महल की जांच नहीं कराना भी सवाल खड़े कर रहा है।

ऐसे में सूत्र कह रहे हैं कि उच्चाधिकारियों की चुप्पी के बाद जब तक सरकार के स्तर पर आमेर महल में चल रही गड़बडिय़ों की जांच नहीं होती, तब तक आमेर महल का खजाना लुटता रहेगा और विभाग में ऊपर से नीचे तक बंटता रहेगा।

Related posts

अचानक बदलने जा रहा मौसम, अगले 3-4 दिन कैसा रहेगा मौसम..?

Clearnews

राहुल गांधी के दौरे से पहले कांग्रेस में नजर आई गुटबाजी, अजय माकन के किशनगढ़ दौरे से नदारद रहे पायलट

admin

किसानों को पर्याप्त बिजली सुनिश्चित कराने के प्रयास, जहां दिन के 2 ब्लॉक में बिजली आपूर्ति, अब वहां 1 ब्लॉक में ही मिलेगी

admin