जयपुर

जयपुर परकोटे में विरासत संरक्षण को यूनेस्को बता रहा दक्षिण एशिया के लिए रोल मॉडल, नियमों की उड़ रही धज्जियां

यूनेस्को का वल्र्ड हैरिटेज सिटी का नक्शा जारी होने से पहले बदल ना जाए जयपुर के परकोटा शहर की सूरत

जयपुर। राजधानी के परकोटा शहर को यूनेस्को ने विश्व विरासत शहर (वल्र्ड हैरिटेज सिटी) का दर्जा दिया है। शहर को यह दर्जा मिलने के बाद सरकार की ओर से यहां की विरासत को संरक्षित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों को यूनेस्को ने दक्षिण एशिया के प्राचीन शहरों की बसावट को सुरक्षित रखने के लिए मॉडल बता रहा है, जबकि जयपुर में नियमों की धज्जियां उड़ाकर प्राचीन बसावट को खत्म कर नवीन निर्माण धडल्ले से जारी है।

यूनेस्को परकोटे की हैरिटेज संपत्तियों के सूचीकरण करवा रहा है। परियोजना में 710 हैक्टेयर में फैले परकोटा शहर की 1 लाख से अधिक हैरिटेज संपत्तियों को सूचीबद्ध किया जाएगा। इस डेटाबेस की मदद से यूनेस्को हैरिटेज सिटी के नक्शे तैयार कराएगा, जिसमें सभी प्रमुख हैरिटेज प्रॉपर्टीज को दर्शाया जाएगा। बाद में यह डेटाबेस और नक्शे वल्र्ड हैरिटेज कमेटी के सामने पेश किए जाएंगे, लेकिन परकोटे के वर्तमान हालातों को देखकर तो ऐसा लग रहा है कि यूनेस्को का नक्शा तैयार होने से पहले ही हैरिटेज सिटी बदसूरत हो जाएगी।

प्राचीन इमारतों में हो रही तोड़फोड़, अवैध निर्माण

शहर में अवैध निर्माण को लेकर हंगामा मचा हुआ है। हाल ही में बापू बाजार में छत पर नवीन निर्माण कर दुकान बना ली गई। भाजपा इस अवैध निर्माण के लिए कांग्रेसी विधायक और निगम अधिकारियों को जिम्मेदार ठहरा रही है। भाजपा नेताओं और पार्षदों ने इसके खिलाफ धरना-प्रदर्शन भी किया, लेकिन कहा जा रहा है कि भाजपा के नेता भी दूध के धुले नहीं है। भाजपा की सरकार और बोर्ड के रहते परकोटे में प्राचीन इमारतों को तोड़ा गया और कॉम्पलेक्स खड़े किए गए। सूत्रों का कहना है कि परकोटे के कुछ कांग्रेस-भाजपा नेताओं, नगर निगम के अधिकारियों-कर्मचारियों और कुछ बिल्डरों का एक कॉकस बना हुआ है, जो लगातार शहर की विरासत पर प्रहार कर रहा है।

नियम हवाई, रोग की जड़ कमाई

वल्र्ड हैरिटेज सिटी का दर्जा मिलने के बाद स्वायत्त शासन मंत्री ने परकोटे को नो कंस्ट्रक्शन जोन घोषित किया गया था। परकोटे के लिए नगर निगम की ओर से ‘स्पेशल एरिया हैरिटेज प्लान’ का निर्माण कर रहा है। राजस्थान सरकार ने परकोटे की विरासत को बचाने का जिम्मा लिया है और इसके लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में ‘स्टेट हैरिटेज कमेटी, जयपुर हैरिटेज सैल और टैक्निकल हैरिटेज कमेटी’ का निर्माण किया गया, लेकिन प्राचीन इमारतों को ध्वस्त करके अवैध निर्माण से होने वाली कमाई के आगे सरकार के यह सभी प्रयास बौने साबित हो रहे हैं।

हालात देखकर यूनेस्को छीन लेगा दर्जा

शहर में विरासत संरक्षण कार्यों की निगरानी के लिए यूनेस्को विशेषज्ञों को समय-समय पर जयपुर आना था और यहां स्टेक होल्डर्स के साथ वर्कशॉप आयोजित कर कार्यों की समीक्षा करनी थी, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण विशेषज्ञ जयपुर नहीं आ पाए और कार्यशाला को दिल्ली में ऑनलाइन आयोजित किया जा रहा है।

जिस दिन यूनेस्को के विशेषज्ञ जयपुर आ गए और शहर का औचक निरीक्षण कर लिया, तो जयपुर का यह दर्जा छिनने में देर नहीं लगेगी, क्योंकि तमाम नियम-निर्देशों के बावजूद यहां बड़े स्तर पर प्राचीन इमारतों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। विरासत की रखवाली का जिम्मा संभालने वाली सरकार के विधायक और नगर निगम के पार्षद व अधिकारी खुद प्राचीन इमारतों की बर्बादी में शामिल हो रहे हैं।

पूर्व में उठा चुके हैं आपत्तियां

शहर को दर्जा दिए जाने से पूर्व यूनेस्को के विषय विशेषज्ञ जयपुर के दौरे पर आए थे। उस दौरे में भी उन्होंने सरकार के सामने परकोटे में चल रहे नवीन विकास कार्यों स्मार्ट सिटी और जयपुर मेट्रो पर आपत्तियां उठाई थी। यूनेस्को की गाइडलाइन के अनुसार हैरिटेज सिटी में नवीन निर्माण का कोई प्रावधान ही नहीं है। ऐसे में सरकार को ही परकोटे में चल रही व्यावसायिक गतिविधियों, नवीन निर्माण और अतिक्रमण पर सख्ती दिखानी होगी। यूनेस्को अंतरराष्ट्रीय संस्था है और उसके आगे सरकार की दोहरी नीतियां नहीं चल पाएंगी कि एक ओर तो सरकार नियम बनाए और दूसरी ओर विधायक व नगर निगम अवैध निर्माण कराने में जुटे रहे।

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