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मुख्यमंत्री योगी: हिंदी को राजभाषा बनाने में पं. पंत का योगदान अतुलनीय

मंगलवार को, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री और भारत के पूर्व गृहमंत्री, भारत रत्न पंडित गोविंद वल्लभ पंत की 137वीं जयंती पर उनकी प्रतिमा को माल्यार्पण करके श्रद्धांजलि दी। उन्होंने बताया कि पंत जी के अविभाजित उत्तर प्रदेश और देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए किए गए कार्य हमेशा याद किए जाएंगे। उन्होंने उत्तर प्रदेश के विकास के लिए उनके योगदान को स्मरण करते हुए, प्रदेश सरकार और जनता की ओर से उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।
पंडित गोविंद वल्लभ पंत की कार्ययोजना पर ही आधारित है आज का उत्तर प्रदेश
मुख्यमंत्री योगी ने पंडित गोविंद वल्लभ पंत की मूर्ति पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद कहा कि उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल बहुत ही सफल रहा। उन्होंने बताया कि पंडित गोविंद वल्लभ पंत एक उल्लेखनीय स्वतंत्रता सेनानी थे। महात्मा गांधी के आह्वान पर उन्होंने अपनी वकालत छोड़ दी और स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए। उन्होंने आंदोलन में सक्रिय भाग लिया, जेल की सजा भुगती, लेकिन कभी भी आजादी के उस संघर्ष से विचलित नहीं हुए। उनके द्वारा किए गए योगदान और निरंतर संघर्ष के कारण, स्वतंत्र भारत में उन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद सौंपा गया।
उन्होंने 1954 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में अपनी सेवाएँ दीं। उस समय के उत्तर प्रदेश को विकसित करने के लिए, जनता को बुनियादी सुविधाएँ मुहैया कराने हेतु, शिक्षा, स्वास्थ्य और इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में उन्होंने एक व्यापक कार्ययोजना बनाई, जिसके ऊपर आज का उत्तर प्रदेश खड़ा है।
मुख्यमंत्री योगी ने यह भी कहा कि 1954-55 में पंडित गोविंद वल्लभ पंत को भारत के गृह मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। उनके द्वारा हिंदी को राजभाषा बनाने के प्रयास अत्यंत महत्वपूर्ण थे। राजस्व क्षेत्र में उनके सुधार आज भी गरीबों को न्याय प्रदान करते हैं।
इस कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, एमएसएमई मंत्री राकेश सचान, पर्यटन और संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह, महापौर सुषमा खर्कवाल, विधान परिषद सदस्य मुकेश शर्मा, लालजी प्रसाद निर्मल, रामचंद्र प्रधान, विधायक नीरज बोरा सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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