जयपुर। कोरोना महामारी के चलते राजस्थान सरकार ने वेतन कटौती का निर्णय लिया है। सरकार के इस निर्णय का कर्मचारी यूनियानों ने विरोध शुरू कर दिया है और वह कह रहे हैं कि आपदा के नाम पर वेतन कटौती बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ ने सरकार के इस निर्णय की निंदा की है और इसे वापस लेने की मांग की है। यूनियन ने इस निर्णय को तानाशाही और कर्मचारी विरोधी करार दिया है। महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष आयुदान सिंह और प्रदेश महामंत्री तेज सिंह राठौड़ ने बयान जारी कर कहा कि सरकार को कर्मचारियों पर तरस खाना चाहिए और राजनेताओं और नौकरशाहों की वेतन कटौती कर जनता को राहत पहुंचानी चाहिए।
कर्मचारियों ने पूर्व में ही अपनी क्षमता से अधिक राशि राज्य हित में मुख्यमंत्री सहायता कोष में दान की है। कर्मचारियों में सरकार की ओर से की जा रही जबरन वसूली के खिलाफ भयंकर आक्रोश है। सरकार की ओर से कर्मचारियों को दो भागों में बांटने की कोशिश की जा रही है।
महासंघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष के के गुप्ता ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि कर्मचारियों के वेतन से एक रुपया भी बिना सहमति के नहीं काटने दिया जाएगा। सरकार या तो अपने फैसले पर पुनर्विचार करे, अन्यथा दूरगामी परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे।
महामंत्री तेज सिंह राठौड़ ने बताया कि 6 सितंबर को महासंघ की प्रदेश कार्यकारिणी और जिला अध्यक्षों की संयुक्त बैठक में इसके विरोध का निर्णय लिया जाएगा। महासंघ से संबद्ध 125 संगठन सरकार के इस फैसले के विरोध में आर-पार की लड़ाई करने के लिए तैयार हैं।