नयी दिल्ली। हाल ही में संसद में एक विधेयक पेश किया गया, जिसका उद्देश्य 1995 के वक्फ कानून में संशोधन करना है। इसका मुख्य उद्देश्य वक्फ बोर्डों के कामकाज में अधिक पारदर्शिता लाना और इनमें महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना है। सरकार का कहना है कि यह कदम मुस्लिम समुदाय के भीतर से उठ रही मांगों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। कैबिनेट द्वारा समीक्षा किए गए इस विधेयक में वक्फ अधिनियम के कई खंडों को संशोधित करने का प्रस्ताव है, जिससे वक्फ बोर्डों के अधिकारों में सीमितता लाई जा सके। इस विधेयक के तहत बोर्डों को बिना सत्यापन के संपत्ति वक्फ घोषित करने की मनमानी पर रोक लगाने का प्रावधान है। इसके चलते विधेयक को लेकर राजनीतिक दलों के बीच तीखी बहस जारी है।
वक्फ बोर्ड कानून का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
प्रारंभिक अवधारणा: वक्फ की प्रणाली का आरंभ दिल्ली सल्तनत के समय हुआ। उदाहरण के तौर पर, सुल्तान मुइज़ुद्दीन मोहम्मद ग़ोरी ने मुल्तान की जामा मस्जिद को एक गाँव समर्पित किया था।
औपनिवेशिक कानून: वर्ष 1923 में, ब्रिटिश शासन के दौरान मुसलमान वक्फ अधिनियम पारित हुआ, जो वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन का पहला प्रयास था।
स्वतंत्र भारत: 1954 में, वक्फ अधिनियम संसद द्वारा पारित किया गया, और इसे 1995 में एक नए अधिनियम के तहत संशोधित किया गया, जिसने वक्फ बोर्डों को व्यापक अधिकार दिए।
2013 संशोधन: इस संशोधन ने वक्फ संपत्तियों पर बोर्डों के दावों को और मजबूत किया, लेकिन इससे अतिक्रमण, अवैध पट्टे, और बिक्री से जुड़ी शिकायतों में भी वृद्धि हुई।
प्रस्तावित बदलावों पर विचार
संपत्ति के दावों का सत्यापन:
प्रस्तावित बिल में वक्फ बोर्डों के सभी संपत्ति दावों के लिए अनिवार्य सत्यापन की शर्त रखी गई है। यह कदम संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
वक्फ बोर्ड की संरचना में सुधार:
विधेयक का उद्देश्य वक्फ बोर्डों की संरचना और संचालन प्रक्रिया को सुधारना है। इसके लिए धारा 9 और 14 में संशोधन प्रस्तावित है, जिसमें बोर्डों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अनिवार्य किया जाएगा।
संपत्ति विवादों का समाधान:
वक्फ बोर्डों द्वारा दावा की गई संपत्तियों का दोबारा सत्यापन किया जाएगा। इसके साथ ही, दुरुपयोग रोकने के लिए जिला मजिस्ट्रेटों को वक्फ संपत्तियों की निगरानी में शामिल करने का प्रावधान है।
मनमानी शक्तियों पर रोक:
यह विधेयक वक्फ बोर्डों की कथित मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए लाया गया है। केंद्र सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि वक्फ बोर्डों के अधिकारों को लेकर उठ रही व्यापक चिंताओं के समाधान के लिए इस कानून का प्रस्ताव किया गया है।
उदाहरण के तौर पर सितंबर 2022 में, तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने हिंदू बहुल तिरुचेंदुरई गांव पर वक्फ संपत्ति के तौर पर दावा किया था। ऐसे विवादों से बचने के लिए कानून में सुधार की आवश्यकता महसूस की गई।
अब विस्तार से समझते हैं कि वक्फ बोर्ड क्या है और इसे लेकर विवाद क्यों है..
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024, जिसे वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करने के लिए पेश किया गया है, वक्फ बोर्डों के कामकाज में अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने और इन निकायों में महिलाओं की अनिवार्य भागीदारी सुनिश्चित करने का उद्देश्य रखता है। हालाँकि, यह विधेयक मुस्लिम समुदाय में विवाद का कारण बना है।
विपक्ष का विरोध और जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी को भेजा गया विधेयक
विपक्षी दलों के विरोध के बाद, इस विधेयक को गहन समीक्षा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेज दिया गया। सरकार ने लोकसभा में एनडीए के “धर्मनिरपेक्ष” सहयोगियों – तेलुगु देशम पार्टी (TDP) और जनता दल यूनाइटेड (JD(U)) का समर्थन हासिल किया।
विधेयक के मुख्य बिंदु और वक्फ संपत्तियों का महत्व
वक्फ क्या है?
वक्फ का अर्थ है चल या अचल संपत्तियों का स्थायी समर्पण, जो मुस्लिम कानून के अनुसार धार्मिक, धार्मिक और परोपकारी उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
वक्फ अधिनियम, 1995
इस अधिनियम के अनुसार, वक्फ उन संपत्तियों का स्थायी समर्पण है, जो इस्लाम में धार्मिक, परोपकारी, या धार्मिक उद्देश्यों के लिए समर्पित हैं।
वक्फ संपत्तियाँ क्या हैं?
ये संपत्तियाँ इस्लाम धर्म के अनुयायियों द्वारा दान की जाती हैं और समुदाय के सदस्य इनका प्रबंधन करते हैं।
प्रत्येक राज्य में एक वक्फ बोर्ड होता है, जो एक कानूनी इकाई है और संपत्तियों का अधिग्रहण, प्रबंधन और हस्तांतरण कर सकता है।
वक्फ संपत्तियों को बेचा या स्थायी रूप से पट्टे पर नहीं दिया जा सकता।
भारत में वक्फ बोर्ड की संपत्तियाँ
वक्फ बोर्ड 8.7 लाख संपत्तियों में फैले 9.4 लाख एकड़ भूमि का प्रबंधन करता है।
इन संपत्तियों का अनुमानित मूल्य ₹1.2 लाख करोड़ है।
यह भारतीय रेलवे और सशस्त्र बलों के बाद भारत का तीसरा सबसे बड़ा भू-संपत्ति मालिक है।
संशोधन की आवश्यकता और विवाद
विधेयक में प्रस्तावित बदलाव
वक्फ बोर्डों को अपनी संपत्तियों का पंजीकरण जिला कलेक्टरों के पास कराना अनिवार्य होगा, ताकि उनकी वास्तविक मूल्यांकन सुनिश्चित हो सके।
वर्तमान में, वक्फ बोर्ड के अधिकांश सदस्य चुने जाते हैं लेकिन नए विधेयक के तहत सभी सदस्य सरकार द्वारा नामांकित किए जाएंगे।
प्रावधान है कि वक्फ बोर्ड का CEO एक गैर-मुस्लिम भी हो सकता है और कम से कम दो सदस्य गैर-मुस्लिम होंगे।
विवाद का कारण
यह आशंका जताई जा रही है कि इस संशोधन से वक्फ बोर्ड पर सत्ता में बैठे लोगों का पूरा नियंत्रण हो सकता है।
मुस्लिम समुदाय इसे वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता पर अतिक्रमण मान रहा है।
देश में वक्फ बोर्ड और संपत्ति से जुड़े विवाद
भारत में कुल 30 वक्फ बोर्ड हैं।
वक्फ संपत्तियों में मुख्यतः कृषि भूमि, इमारतें, दरगाह, मजार, कब्रिस्तान, ईदगाह, मदरसे, मस्जिदें, प्लॉट, तालाब, स्कूल, दुकानें और अन्य संस्थान शामिल हैं।
वक्फ से जुड़े विवाद:
वर्तमान में वक्फ न्यायाधिकरणों में 40,951 मुकदमे लंबित हैं।
इनमें से 9,942 मामले मुस्लिम समुदाय द्वारा वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के खिलाफ दर्ज किए गए हैं।
क्या वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित कर सकता है?
नहीं, वक्फ का अर्थ है किसी व्यक्ति द्वारा ऐसी संपत्ति का स्थायी समर्पण, जो मुस्लिम कानून के अनुसार धार्मिक, धार्मिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए समर्पित हो।
वक्फ बोर्ड केवल उन्हीं संपत्तियों का दावा कर सकता है, जो धार्मिक कार्यों के लिए दान की गई हों।
नए संशोधन से संभावित प्रभाव
यह विधेयक वक्फ बोर्डों में सुधार लाने और बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करने का दावा करता है।
हालाँकि, मुस्लिम समुदाय और विपक्षी दल इसे वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश मान रहे हैं।