जयपुर

संविधान की मूल भावना को आत्मसात करते हुए हमें अपने व्यवहार एवं भाषा पर संयम रखने की जरूरत : गहलोत

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि महापुरूषों की जयंती मनाते हुए हमें उनके विचारों को अपनाना चाहिए। देश में जैसी परिस्थितियां आज हैं, ऐसे में हमें बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलते हुए समाज में समरसता कायम करने की ज़रूरत है।

गहलोत बुधवार को मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अम्बेडकर जयंती पर आयोजित ‘सर्व समाज की भूमिका शांतिपूर्ण प्रदेश के लिए’ विषयक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जिस परिवार में झगड़े होते हैं, वहां सुख-शांति कायम नहीं हो सकती। यही बात हमारे समाज, प्रदेश एवं देश पर भी लागू होती है।

आज समाज को विघटित करने वाली भाषा प्रयोग में लाई जा रही है, लोगों को गुमराह किया जा रहा है। इससे समाज के विभिन्न वर्गों में वैमनस्य कायम हो रहा है। धर्म निपेक्षता की मूल भावना को भुला दिया गया है। संवैधानिक संस्थाओं पर भारी दबाव है। संविधान की मूल भावना को आत्मसात करते हुए हमें अपने व्यवहार एवं भाषा पर संयम रखने की आवश्यकता है।

अल्पसंख्यक मामलात मंत्री शाले मोहम्मद ने कहा कि आज जाति और धर्म के आधार पर समाज को बांटने के प्रयास किए जा रहे हैं, ऐसे में गांधीजी और बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर के विचारों को अपनाने की जरूरत है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री राजेन्द्र यादव ने कहा कि बाबा साहेब के विचारों को अपनाते हुए प्रदेश में दलित, शोषित एवं पिछड़े वर्गों के कल्याण की भावना के साथ कार्य किया जा रहा है।

संगोष्ठी के वक्ता गांधीवादी विचारक डॉ. एन सुब्बाराव ने कहा कि धर्म, जाति एवं क्षेत्र के आधार पर किसी तरह का विभेद नहीं हो और पूरी मानव जाति को एक परिवार की तरह माना जाए, ऐसी शिक्षा हमें हमारे बच्चों को देने की जरूरत है। गांधी पीस फाउण्डेशन के पूर्व उपाध्यक्ष पीवी राजगोपाल ने कहा कि समाज को तोड़ने वाली भाषा के प्रयोग का हमारी भावी पीढ़ी पर गलत असर पड़ेगा। भाषा का संतुलन एवं ज्ञान आधारित सूचना आज समाज के लिए बहुत जरूरी है।

डॉ. भीमराव अम्बेडकर विधि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. देव स्वरूप ने कहा कि बाबा साहेब ने पहली बार दलित एवं शोषित वर्ग में चेतना पैदा की और उन्हें इस बात का अहसास दिलाया कि संसाधनों पर उनका भी बराबरी का हक है।

मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने कहा कि रागात्मक एवं भावनात्मक एकता बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर के सिद्धांतों का एक बड़ा पहलू था, जिसकी आज जरूरत है। शासन सचिव सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता डॉ समित शर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया। शांति एवं अहिंसा प्रकोष्ठ के समन्वयक मनीष शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

कार्यक्रम की शुरूआत में मुख्यमंत्री एवं अन्य अतिथियों ने बाबा साहेब की तस्वीर पर पुष्प अर्पित किए। इस अवसर पर उल्लेखनीय सेवाओं के लिए पुरस्कार वितरित किए गए। वर्ष 2020 का अम्बेडकर सामाजिक सेवा पुरस्कार कोदरलाल बुनकर को जबकि 2021 का अम्बेडकर सामाजिक सेवा पुरस्कार ए. आर. खान को दिया गया। पुरस्कार के तहत एक लाख रुपए का चैक एवं प्रतीक चिन्ह दिया गया।

50 हजार रूपए का अम्बेडकर सामाजिक न्याय पुरस्कार एडवोकेट महावीर जिंदल को जबकि 50 हजार रुपए का अम्बेडकर महिला कल्याण पुरस्कार अरमान फाउण्डेशन की डॉ. मेनका भूपेश को दिया गया। इसके अलावा प्रदेश के विभिन्न जिलों से चयनित 17 प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को अम्बेडकर शिक्षा पुरस्कार के तहत 51-51 हजार रुपए की राशि के चैक दिए गए।

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