कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हिजाब विवाद मामले में फैसला सुनाते हुए कहा है कि हिजाब पहनना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है। इसके साथ ही न्यायालय ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि छात्र यूनिफॉर्म पहनने से मना नहीं कर सकते और न ही वे हिजाब पर रोक का विरोध कर सकते हैं।
कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने हिजाब पहनने की इजाजत देने वाली सभी याचिकाएं भी खारिज कर दीं। उन्होंने कहा कि सरकार के आदेश को खारिज करने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि हिजाब पर सरकार का आदेश संवैधानिक है। याचिकाकर्ता उच्च न्यायालय के इस फैसले के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे और इस फैसले को चुनौती देंगे।
उल्लेखनीय है कि इस मामले पर जनवरी 2022 से ही उच्च न्यायालय की बड़ी पीठ में सुनवाई चल रही थी। आज, 15 मार्च 2022 को न्यायालय के फैसले के मद्देनजर दक्षिण कर्नाटक के सभी स्कूलों को बंद कर दिया गया है और कई क्षेत्रों में धारा 144 लगाई गई है। राज्य सरकार ने सभी स्कूलों एवं कॉलेजों की घरेलू परीक्षाएं फिलहाल टाल दी हैं और बाहरी परीक्षाएं तय समय के अनुसार ही करवाने का फैसला किया है।
ध्यान दिला दें कि राज्य की शिक्षण संस्थाओं द्वारा हिजाब पहनने पर रोक लगाने के फैसले को अलग-अलग याचिकाओं में चुनौती दी गई थी और इन याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। यह मामला तब बना जब उडूपी जिले की गवर्नमेंट गर्ल्स पीयू कॉलेज की कुछ छात्राओं ने कहा कि हिजाब पहनने की वजह से उन्हें कॉलेज में प्रवेश नहीं दिया गया। इसके जवाब में कुछ स्कूलों में छात्र भगवा ओढ़कर पहुंचने लगे।
कर्नाटक का यह हिजाब विवाद वहां से निकलकर अन्य राज्यों में भी फैल गया। हिजाब पहनने के समर्थन में दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और अन्य जगहों पर प्रदर्शन हुए। इस विवाद ने राजनीतिक रंग भी लिया। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस मामले में दखल देने की मांग की गई। इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि पहले इस मामले की सुनवाई कर्नाटक उच्च न्यायालय में हो जाने दें। जरूरत पड़ने पर ही वह दखल देगा।