जयपुर

अब जयपुर नगर निगम ग्रेटर बनेगा राजनीति का अखाड़ा

महापौर और आयुक्त होंगे आमने-सामने, खुल सकते हैं कई नए कारनामे, शुरूआत में बीवीजी कंपनी को लेकर हो सकती है तकरार

जयपुर। नगर निगम ग्रेटर जयपुर अब राजनीति का बड़ा अखाड़ा बन जाएगा। पिछले साल 6 जून को मेयर पद से निलंबित हुई सौम्या गुर्जर ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से मिले आदेशों के बाद फिर से मेयर की कुर्सी संभाल ली है। कार्यवाहक मेयर शील धाभाई की गैर मौजूदगी में सौम्या गुर्जर ने महापौर का पद ग्रहण किया।

पदभार ग्रहण करने से पहले गुर्जर ने सुबह भाजपा मुख्यालय जाकर वरिष्ठ पदाधिकारियों से मुलाकात की। गुर्जर ने शहर के आराध्य गोविंद देवजी और गणेश मंदिर में पूजा अर्चना की और उसके बाद पदभार ग्रहण किया। इस दौरान नगर निगम मुख्यालय में सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस और होमगार्ड के जवान पहले से तैनात कर दिए गए। निगम परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया।

गहलोत सरकार ने 6 जून 2021 को सौम्या गुर्जर को मेयर पद और अन्य तीन पार्षदों को आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव के साथ हुए विवाद के बाद निलंबित कर दिया था। निलंबन के बाद सरकार ने पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच भी शुरू करवा दी। सरकार के निलंबन के फैसले को गुर्जर ने राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद सौम्या के समर्थन में भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को चुनौती दी थी।

जागे गुर्जर के सितारे
सौम्या गुर्जर के निलंबन से पूर्व बीवीजी कंपनी महापौर और आयुक्त के बीच विवाद का बड़ा कारण बनी थी। बाद में महापौर के पति का नाम भी बीवीजी के साथ जुड़ गया और मामला एसीबी तक पहुंच गया। अब महापौर का पदभार संभालते ही खबर आ गई कि राजस्थान उच्च न्यायालय की ओर से डोर-टू-डोर सफाई कंपनी बीवीजी कंपनी को मिला स्टे आर्डर समाप्त हो गया। जस्टिस इंद्रजीत सिंह ने बीवीजी कंपनी की याचिका को खारिज कर दिया।

अब निगम में उछलेगी बीवीजी के नाम से कीचड़
महापौर सौम्या गुर्जर बीवीजी कंपनी को निगम से बाहर का रास्ता दिखाना चाहती थी और इसके लिए बोर्ड में प्रस्ताव पास कर आयुक्त यज्ञमित्र सिंह के पास भेजा गया था, लेकिन आयुक्त ने कंपनी को बाहर का रास्ता दिखाने में समय लगाया, जिससे कंपनी को न्यायालय में जाने का समय मिल गया और वह निलंबन के खिलाफ स्टे ले आई। इसके बाद भी जब भी कंपनी को बाहर करने की कोशिशें की गई, तो उच्चाधिकारियों ने कोर्ट स्टे का हवाला देते हुए कंपनी को निलंबित करने में असमर्थता जाहिर कर दी। अब स्टे खारिज होने के बाद सबसे पहले महापौर और आयुक्त के बीच बीवीजी कंपनी को लेकर फिर तनातनी हो सकती है।

छह महीनों के कामकाज की हो सकती है समीक्षा
निगम के जानकारों का कहना है कि महापौर सौम्या गुर्जर अब निगम में पिछले छह महीनों में हुए कामकाज की समीक्षा कर सकती है। इस दौरान अधिकारियों की ओर से किए गए घपलों-घोटालों पर नजर रहेगी और यह तय माना जा रहा है कि भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आ जाएंगे। ऐसे में महापौर बोर्ड की बैठक भी बुला सकती है। बोर्ड बैठक में अधिकारियों से जले-भुने बैठे भाजपा पार्षद अधिकारियों पर जमकर कीचड़ उछालेंगे।

न्यायिक जांच पक्ष में नहीं आई तो फिर होगा न्यायालय का रुख
सरकार की ओर से भी गुर्जर के खिलाफ न्यायिक जांच कराई जा रही है। यदि जांच रिपोर्ट महापौर के खिलाफ आई तो महापौर फिर से न्यायालय का रुख कर सकती हैं। ऐसे में यह मामला फिर से लंबे समय तक न्यायिक प्रक्रिया में उलझ जाएगा और महापौर अपना काम करती रह सकती है।

Related posts

सरकार के 3 साल पूरे होने (completion) पर भाजपा (BJP) ने साधा निशाना, कहा गहलोत सरकार (Gehlot govt.) झूठे वादे (false promises) करके सत्ता में आई, जनता की हर परीक्षा में हुई फेल (failed)

admin

Gogamedi Murder Case: जयपुर में ही हुई थी गोगामेड़ी की हत्या की साज़िश… पुलिस को मिले कई अहम सुराग !

Clearnews

दूसरे राज्यों (other states) में संक्रमण (infection) को देखते हुए निरंतर सतर्कता बनाए रखें : गहलोत

admin