जयपुर

जिम्मेदारी की लड़ाई में 10 साल बर्बाद हुई घाट की गूणी में विरासत, अब याद आई तो खुल गया विवादों का पिटारा

एडमा ने 2010-11 छह टेंडर कर कराया था घाट की गूणी में फसाड का 5 करोड़ का काम

अब पुरातत्व विभाग 4 करोड़ का काम एक ही ठेकेदार को देने को तैयार

जयपुर। प्रदेश की भ्रष्ट अफसरशाही पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार वार कर रहे हैं, लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है। मुख्यमंत्री गहलोत ने कुछ समय पूर्व कानून व्यवस्था को लेकर पुलिस के अधिकारियों को नसीहत दी थी और हाल ही में उन्होंने सड़कों को लेकर ठेकेदारों के पार्टनर बन रहे अधिकारियों पर तंज कसा है। ऐसा ही कुछ मामला पुरातत्व विभाग में सामने आ रहा है, जहां विभाग के अधिकारी एक लंबे काम को टुकड़ों में कराए जाने के बजाए एक ही ठेकेदार को देना चाह रहे हैं।

पुरातत्व विभाग ने हाल ही में कुछ संरक्षण कार्यों की एनआईटी निकाली है। इसमें राजधानी स्थित घाट की गूणी की 4.44 करोड़ की निविदा को लेकर ठेकेदारों में हंगामा मचा हुआ है। तीन साल तक कोरोना जैसी विश्वव्यापी बीमारी के कारण बेकार बैठे रहे पुरातत्व के जानकार ठेकेदारों को आस थी कि अधिकारी इन कार्यों को टुकड़ों में निविदा निकाल कर कराएंगे, ताकि सभी ठेकेदारों को कुछ न कुछ काम मिल जाए, लेकिन अधिकारियों ने एक ही एनआईटी निकाल दी। ऐसे में ठेकेदार आरोप लगा रहे हैं कि अधिकारी अपने चहेते ठेकेदारों को पूरा काम देने की कोशिशों में लगे हैं।

एक दशक पूर्व एडमा ने 6 टुकड़ों में कराया था काम
जानकारी के अनुसार वर्ष 2010-11 में आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण ने घाट की गूणी के बाहरी फसाड का 5 करोड़ का कार्य करीब 6 टुकड़ों में कराया था। इसके लिए प्रथम चरण में 4 निविदाएं निकाली गई और चार अलग-अलग ठेकेदारों से संरक्षण कार्य कराया गया था। शेष बचे कार्य को दूसरे चरण में दो निविदा निकाल कर दो अलग ठेकेदारों से कराया कया, लेकिन अब पुरातत्व विभाग के अधिकारी एक ही ठेकेदार को यह पूरा काम देने के लिए उतावले हो रहे हैं, ताकि दो या तीन डबल ए क्लास ठेकेदार ही निविदा में भाग ले सके।

यह होगा फायदा-नुकसान
पुरातत्व ठेकेदारों का कहना है कि किसी बड़े कार्य को टुकड़ों में कराने के कई फायदे हैं, जिनको अधिकारी नजरंदाज कर रहे हैं। एक कार्य की टुकड़ों में कराए जाने से निविदाओं में अच्छी प्रतिस्पर्धा होती है और सही रेट पर कार्य होते हैं, जबकि बड़े कार्य की एक ही निविदा निकालकर चहेते ठेकेदारों को मनमानी दर पर काम देकर सरकारी राजस्व को चूना लगाया जाता है। पुरातत्व संरक्षण कार्य प्राचीन परंपरा और प्राचीन निर्माण सामग्रियों से होत हैं और इस कार्य में काफी संसाधन और समय लगता है। एक ठेकेदार के पास इतने संसाधन नहीं होते हैं कि वह समय पर और सही कार्य कर सके। जबकि यदि यही कार्य टुकड़ों में कराया जाता है, तो तीन से चार ठेकेदार इस कार्य को करेंगे और उनके पास संसाधन ज्यादा उपलब्ध रहेंगे। काम समय पर पूरा होगा। दूसरी ओर पुरातत्व विभाग की इंजीनियरिंग शाखा के अधिकारी दलील दे रहे हैं कि टुकड़ों में यदि कार्य कराया जाता है तो ठेकेदारों की निगरानी कौन करेगा। यदि कोई ठेकेदार गलत कार्य करके भाग गया तो उसे कौन पकड़ कर लाएगा। एक ठेकेदार काम करेगा तो काम तेजी से और समय पर पूरा होगा।

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