हैदराबाद। सोमवार को तेलंगाना हाई कोर्ट ने भारत राष्ट्र समिति (BRS) के नेता चेनमननेनी रमेश को जर्मन नागरिक करार दिया और उन पर भारतीय नागरिकता हासिल करने और चुनाव लड़ने के लिए दस्तावेज़ों में हेरफेर का दोषी पाया।
यह फैसला कांग्रेस नेता आदी श्रीनिवास की याचिका पर आया, जिन्होंने पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में वेमुलवाड़ा सीट से रमेश को हराया था। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, इस चुनाव में कांग्रेस ने BRS से सत्ता छीन ली थी।
श्रीनिवास ने अपनी याचिका में दावा किया कि रमेश ने “धोखाधड़ी” के ज़रिए भारतीय नागरिकता प्राप्त की थी।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने पाया कि रमेश ने जर्मन दूतावास से यह साबित करने के लिए कोई दस्तावेज़ प्रस्तुत नहीं किया कि वह अब यूरोपीय देश के नागरिक नहीं हैं। अदालत ने रमेश पर ₹30 लाख का जुर्माना लगाया, जिसमें से ₹25 लाख याचिकाकर्ता श्रीनिवास को भुगतान करना होगा।
भारतीय संविधान के अनुसार:
• किसी भी भारतीय नागरिक को दूसरे देश की नागरिकता लेने के लिए अपनी भारतीय नागरिकता छोड़नी होती है।
• भारतीय नागरिकता के लिए, व्यक्ति को आवेदन की तारीख से कम से कम 12 महीने पहले भारत में रहना अनिवार्य है।
• गैर-भारतीय व्यक्ति न तो चुनाव लड़ सकता है और न ही मतदान कर सकता है।
रमेश का नागरिकता विवाद:
• रमेश 1990 के दशक की शुरुआत में जर्मनी गए और 1993 में जर्मन नागरिक बन गए।
• 2008 में वह भारत लौटे और उनकी भारतीय नागरिकता का आवेदन तत्कालीन कांग्रेस सरकार के तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा स्वीकार कर लिया गया।
• 2009 में रमेश ने संयुक्त आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के उम्मीदवार के रूप में वेमुलवाड़ा सीट जीती।
• 2010 में उन्होंने BRS (तत्कालीन तेलंगाना राष्ट्र समिति) जॉइन कर ली और उपचुनाव भी जीते।
• तेलंगाना राज्य बनने के बाद, उन्होंने 2014 और 2018 में भी यह सीट जीती।
• जुलाई 2020 में, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाली सरकार ने उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी।
• फरवरी 2021 में केंद्र ने हाई कोर्ट में अपने रुख की पुनः पुष्टि की।