भारत की कारागार प्रणाली को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दों और पूरे भारत में खुली जेलों को शीघ्र लागू किए जाने की आवश्यकता को रेखांकित किया
जयपुर। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, जस्टिस संजय किशन कौल सहित सर्वोच्च न्यायालय के तीन शीर्ष न्यायाधीश सांगानेर की खुली जेल का दौरा करेंगे। यह इस तरह का पहला उच्च-स्तरीय दौरा होगा। वो यहां जाकर किफायती और मानवीय जेल मॉडल के कामकाज का मूल्यांकन करेंगे, जहां कैदियों में सुधार लाया जाता है और वो अपने परिवार के सदस्यों के साथ रहकर वहां अपना जीवन यापन करते हैं।
जयपुर के सांगानेर स्थित खुली जेल के दौरे में, न्यायमूर्ति कौल के साथ उच्चतम न्यायालय के उनके साथी, न्यायमूर्ति रवींद्र भट और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, पंकज मित्तल, राजस्थान और ओडिशा उच्च न्यायालयों के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति के एस झावेरी होंगे।
जेल के इस दौरे में सेवानिवृत्त आईपीएस और राजस्थान के पूर्व पुलिस एवं कारागार महानिदेशक अजीत सिंह भी शामिल होंगे। पीएएआर (प्रिजन एड एंड एक्शन रिसर्च) द्वारा यह दौरा आयोजित कराया जा रहा है। पीएएआर एक निष्पक्ष अनुसंधान संगठन है जो देश भर में जेल प्रणाली का अध्ययन करता है और राजस्थान के ओपन जेल मॉडल के विस्तार का हिमायती है।
स्मिता चक्रवर्ती, जो पीएएआर की संस्थापक हैं जिनकी 2017 की रिपोर्ट के आधार पर 2018 में खुली जेल का ऐतिहासिक फैसला पारित हुआ। चक्रवर्ती ने कहा,’मानवीय विकल्प होने के साथ-साथ खुली जेलों का संचालन किफायती है और ये सरकारी खजाने पर कम बोझ डालती हैं। ये जेल पारंपरिक बंद जेलों की तुलना में 14 गुना सस्ती हैं, जहां जेल कर्मचारियों की जरूरत पारंपरिक या बंद जेल प्रणाली की तुलना में 81 गुना कम है। खुली जेल में अपराधियों द्वारा फिर से अपराध किए जाने या कैदियों के फिर से अपराध करने की दर भी न के बराबर है।’
2018 में, न्यायमूर्ति एमबी लोकुर ने प्रत्येक जिले में एक खुली जेल स्थापित करने का ऐतिहासिक निर्णय दिया था और केंद्र से दिशा-निर्देश तैयार करने हेतु पहल करने का आग्रह किया था। अब तक की प्रगति पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, ‘खुली जेलों के मानवीय विचार को लागू करने का समय आ गया है। मैं सभी राज्य सरकारों से इस विचार को आगे बढ़ाने और हर जिले में खुली जेल स्थापित करने का आग्रह करता हूं।’
सेवानिवृत्त आईपीएस और राजस्थान के पुलिस एवं जेल महानिदेशक रहे अजीत सिंह ने कहा, ‘मुझे अभी भी यह दृढ़ विश्वास है कि खुली जेलों से जेल की कई समस्याएं हल हो सकती हैं। किसी भी आपराधिक न्याय प्रशासन का लक्ष्य कैदी का सुधार और पुनर्वास करना है। ओपन जेल मॉडल के लाभ न्याय, स्वतंत्रता और कैदी की गरिमा के बुनियादी मानवाधिकारों से जुड़े हैं। हमें इसे पूरे देश में लागू करने और बढ़ाने में गति नहीं खोनी चाहिए।’
जेल के दौरे के बाद सुस्मित बोस का एक विशेष प्रदर्शन होगा जो सामाजिक परिवर्तन कार्यकर्ता हैं और पांच दशकों से मानवाधिकारों को उजागर करने के लिए संगठित शक्ति का उपयोग कर रहे हैं।