नयी दिल्ली। पाकिस्तान अपनी वायुसेना के लिए चीनी J-35A फाइटर जेट हासिल करने की योजना बना रहा है। यह पांचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ फाइटर आधुनिक एवियोनिक्स और हथियार प्रणाली से लैस है। इसे शामिल करने से पाकिस्तान की हवाई युद्ध क्षमताओं में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम दक्षिण एशिया के शक्ति संतुलन को बदल सकता है।
भारत की चुनौती:
चीन-पाकिस्तान के बढ़ते सैन्य सहयोग से भारत को एक मजबूत जवाबी उपाय की आवश्यकता होगी। खासतौर पर जब चीन के पास पहले से ही J-20 जैसे उन्नत पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट हैं। ऐसे में अमेरिका द्वारा भारत को F-35A फाइटर जेट की पेशकश एक रणनीतिक और तकनीकी लाभ दे सकती है।
अमेरिका की पेशकश और बाधाएं:
F-35A वर्तमान में दुनिया के सबसे उन्नत फाइटर जेट्स में से एक है। हालांकि, भारत को इसे हासिल करने में कुछ मुश्किलें हैं।
1. भारत के पास रूसी S-400 वायु रक्षा प्रणाली है, जिससे अमेरिका के नियमों के तहत F-35A की तैनाती चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
2. अमेरिका ऐसी शर्तें रख सकता है कि F-35 और S-400 के ऑपरेशन में आपसी संपर्क न हो।
आर्थिक और रणनीतिक पहलू:
F-35A की ऊंची लागत और इसे संचालित करने के खर्च के साथ-साथ स्वदेशी लड़ाकू विमान परियोजनाओं पर इसका प्रभाव हो सकता है। साथ ही, इसे स्वीकार करने से रूस के साथ भारत के लंबे समय से चले आ रहे रक्षा संबंधों में तनाव बढ़ सकता है।
यदि भारत F-35A हासिल करता है, तो यह क्षेत्रीय संतुलन में बड़ा बदलाव ला सकता है। इसके साथ ही यह अमेरिका-भारत रक्षा साझेदारी को और मजबूत करेगा और चीन के प्रभाव को सीमित करने में मदद करेगा। लेकिन भारत को इसके सभी रणनीतिक, तकनीकी और आर्थिक पहलुओं का गंभीरता से मूल्यांकन करना होगा।