जयपुर। प्रदेशभर में शुक्रवार को शीतलाष्टमी पर्व धूमधाम से मनाया गया। श्रद्धालुओं ने गुरुवार को बनाए पकवानों का भोग शीतला माता को लगाया। इस अवसर पर प्रदेशभर में कई जगहों पर मेलों का आयोजन किया गया, जहां राजस्थान की रंग—बिरंगी संस्कृति, पहनावे और लोकगीतों ने अपनी छटा बिखेरी। लोगों ने माता को भोग लगाकर अपने परिवार को निरोग रखने की कामना की।
शीतलाष्टमी के उपलक्ष्य में राजधानी जयपुर से 45 किलोमीटर दूर चाकसू की शील की डूंगरी में पारंपरिक लक्खी मेले का भव्य आयोजन हुआ। कोरोना संक्रमण के कारण दो वर्ष बाद आयोजित हुए मेले में जयपुर समेत पूरे राजस्थान से श्रद्धालुओं ने शिरकत की। शील की डूंगरी में यह लक्खी मेला सैंकड़ों वर्षों से अनवरत आयोजित होता आ रहा है। श्रद्धालुओं ने डूंगरी के उपर स्थित माता के मंदिर में प्रसाद चढ़ाया और मेले के आनंद लिए। इस दौरान जगह—जगह पर ग्रामीणों ने पारंपरिक राजस्थानी वेशभूषा में लोकगीतों का गायन किया। मेले में ग्रामीणों ने कृषि कार्यों में उपयोगी औजार व अन्य घरेलू सामानों की खरीद—फरोख्त भी की।
बाग- बगीचों में रचाए बींद-बींदणी के स्वांग
इस दौरान शहर के बाग- बगीचों में बींद-बींदणी भी नजर आए। ईसर- पार्वती के रूप में सोलह दिन गणगौर की पूजा कर रही बालिकाएं और महिलाएं छोटी बच्चियों को दूल्हा दुल्हन बनाकर मंगल गीत गाते हुए बाग-बगीचों में लेकर आई। शहर के रामनिवास बाग, जयनिवास उद्यान, पौण्ड्रिक पार्क, सेंट्रल पार्क सहित अन्य पार्कों में मेले सा माहौल देखने को मिला।