राजनीति

राज्यसभा में जगदीप धनखड़ का दावा: अभिषेक मनु सिंघवी की सीट से 50,000 रुपये नकद बरामद, कांग्रेस ने किया विरोध

नयी दिल्ली। शुक्रवार, 6 दिसंबर को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि संसद सुरक्षा अधिकारियों ने कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की आवंटित सीट से 50,000 रुपये नकद बरामद किए। धनखड़ के इस बयान पर कांग्रेस सांसदों ने कड़ा विरोध जताया। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि किसी जांच से पहले किसी का नाम नहीं लिया जाना चाहिए।
सिंघवी ने आरोपों से किया इनकार
अभिषेक मनु सिंघवी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा, “मैं राज्यसभा में केवल 500 रुपये का नोट लेकर जाता हूं। मैं पहली बार इस बारे में सुन रहा हूं। कल मैं 12:57 बजे सदन में पहुंचा और 1 बजे सदन स्थगित हुआ। उसके बाद मैं 1:30 बजे तक अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद के साथ कैंटीन में बैठा और फिर संसद से निकल गया।”
सिंघवी ने घटना की जांच का स्वागत किया और कहा, “यह दर्शाता है कि हमें ऐसी सीटें चाहिए जिन्हें लॉक किया जा सके, और उनकी चाबी सांसद अपने साथ घर ले जा सकें, क्योंकि कोई भी कुछ भी सीट पर रख सकता है और इस तरह के आरोप लगा सकता है।”
धनखड़ का बयान और कांग्रेस का विरोध
राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही धनखड़ ने कहा, “सुरक्षा अधिकारियों ने कल सदन स्थगित होने के बाद नियमित जांच के दौरान सीट नंबर 222, जो अभिषेक मनु सिंघवी को आवंटित है, से मुद्रा के बंडल बरामद किए। कानून के अनुसार जांच की जाएगी।”
धनखड़ के इस बयान पर मल्लिकार्जुन खड़गे ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, “आपने कहा कि यह मामला जांच के अधीन है। जब तक इसकी पुष्टि नहीं हो जाती, किसी का नाम नहीं लिया जाना चाहिए।”
सरकार की प्रतिक्रिया
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, “इसमें कुछ भी गलत नहीं है। सीट नंबर और सांसद का नाम बताने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। संसद में नकदी का बंडल लाना क्या उचित है? इसकी उचित जांच होनी चाहिए।”
बीजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा, “यह बहुत गंभीर घटना है। यह सदन की गरिमा पर हमला है।”
सरकार और विपक्ष के बीच तनाव
इस घटना ने सरकार और विपक्ष के बीच एक और विवाद को जन्म दिया। शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “दुर्भाग्यपूर्ण है कि बीजेपी किस तरह से सदन को बाधित करती रहती है। आखिर क्या ऐसा है जो बीजेपी सांसदों को संसद चलने से रोकता है? क्या जनता के मुद्दे इतने अप्रासंगिक हो गए हैं?”
यह विवाद संसद में सरकार और विपक्ष के बीच खिंचते तनाव का नया केंद्र बन गया है।

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