केंद्रीय मंत्री शेखावत ने साधा गहलोत पर निशाना, कहा गहलोत को जुबानी जमाखर्च के बजाय लेना चाहिए कड़ा निर्णय
जयपुर। भरतपुर में साधू द्वारा अवैध खनन को लेकर किए गए आत्मदाह के प्रयास के बाद प्रदेश कांग्रेस में सियासत तेज हो गई है। कांग्रेस के सांगोद से वरिष्ठ विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर खानमंत्री प्रमोद जैन भाया पर हमला बोला। उन्होंने भाया को सबसे बड़ा खनन माफिया बताते हुए उन्हें बर्खास्त करने की मांग की। भाया के खनन मंत्री बनने के बाद से वह कुंदनपुर के निशाने पर रहे हैं और कुंदनपुर बार—बार मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अवैध खनन पर चेताते रहे हैं।
कुंदनपुर ने अपने पत्र में गहलोत को चेतावनी दी कि प्रदेश में अवैध खनन को रोकने का एक मात्र मार्ग अगर भतरपुर के साधु वाला मार्ग ही है, तो मुझे इस कारगर मार्ग पर चलकर आप तक बात पंहुचानी पड़ेगी, कृपया इंतजार कीजिए।
गहलोत को उन्होंने ने पत्र में आत्मदाह का प्रयास करने की धमकी दी है। कुंदनपुर ने गहलोत को पत्र में कहा है कि अवैध खनन का सीधा संबन्ध गुण्डागिरी से है और यह शासन के संरक्षण के बिना संभव नही हो सकता। उन्होंने पत्र में लिखा है कि प्रदेश के खनन माफिया तो खुद खनिज मंत्री है।
कुंदनपुर ने अपने पत्र में आगे लिखा कि खनन मंत्री प्रमोद भाया द्वारा अवैध खनन का अपने गृह जिले में रिकॉर्ड कायम किया है। बांरा जिले में छांट-छांट के भ्रष्ट अधिकारी को कलक्टर, मण्डल वन अधिकारी व अन्य उच्च पदों पर भाया द्वारा नियुक्त कराया गया है। जंगल, जमीन, नदी नालों पर अवैध खनन करवाकर भ्रष्टाचार मचा रखा है। बांरा जिले में अवैध खनन करने के कारण कई लोग मरे हैं। गहलोत को याद दिलाते हुए कहा कि सोरसन और गोडावन संरक्षण पर मैं अनेक पत्र लिख चुका हूं। लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
उधर इस मामले में अब भाजपा भी कूद गई है। कुंदनपुर के पत्र को आधार बना केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मुख्यमंत्री गहलोत पर निशाना साध है। ट्वीट कर उन्होंने लिखा कि ‘सांगोद विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को “कांख में छोरा गांव में ढिंढोरा” से इशारा दिया है कि अवैध खनन रोकने के लिए उन्हें क्या करना होगा, इस मामले में खान मंत्री का जिला ही नंबर वन है, कांग्रेस के ही विधायक का अपने मुखिया से पूछना कि क्या अवैध खनन रोकने के लिए अपना जीवन खतरे में डालकर संदेश देना होगा? एक बड़ा सवाल है, गहलोत जी को जुबानी जमाखर्च के बजाय कड़ा निर्णय लेकर दिखाना चाहिए।’