ऑर्गन ट्रांसप्लांट फर्जी एनओसी केस में RUHS के वीसी डॉ. सुधीर भंडारी ने गुरुवार (9 मई) को अपना इस्तीफा दिया था। राज्यपाल कलराज मिश्र ने डॉ. सुधीर भंडारी का त्यागपत्र तुरंत प्रभाव से स्वीकार कर लिया। अब उनकी जगह पर Rajasthan University of Health Sciences के नए वीसी के पद पर डॉ धनंजय अग्रवाल (Dr. Dhananjay Aggarwal) को नियुक्त किया गया है। फिलहाल आरयूएचएस के कार्यवाहक वीसी के पद पर नियुक्त किया गया है।
राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने राज्य सरकार की सलाह से आदेश जारी कर सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज, जयपुर में नेफ्रोलोजी विभाग के वरिष्ठ आचार्य डॉ धनंजय अग्रवाल को अग्रिम आदेशों अथवा नियमित कुलपति की नियुक्ति होने तक, जो भी पहले हो, कामचलाऊ व्यवस्था के अंतर्गत अतिरिक्त प्रभार के रूप में राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति के कार्यों का निर्वाहन करने के लिए निर्देशित किया है।
उल्लेखनी है इस पद से गुरुवार को ही डॉ सुधीर भंडारी ने इस्तीफा दिया था। उनके त्यागपत्र के कुछ घंटे बाद ही राज्यपाल सचिवालय ने नए कुलपति की नियुक्ति का आदेश जारी किया। डॉ धनंजय अग्रवाल का एसएमएस अस्पताल में काम करने का लंबा अनुभव है। वे ऑर्गन ट्रांसप्लांट मामलों के विशेषज्ञ भी माने जाते हैं।
ऑर्गन ट्रांसप्लांट मामले में डॉ सुधीर भंडारी ने दिया था इस्तीफा
ऑर्गन ट्रांसप्लांट मामले में फर्जीवाड़े की जांच की जद में डॉक्टर सुधीर भंडारी ने ने इस्तीफा दे दिया था। डॉ सुधीर भंडारी ने गुरुवार को ही राज्यपाल से मुलाकात की थी और अपने ऊपर लग रहे आरोपों पर जवाब दिया था। ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए फर्जी एनओसी देने के मामले में सरकार पहले ही दो डॉक्टरों, अचल शर्मा और राजीव बगरहट्टा को बर्खास्त कर चुकी है। डॉ सुधीर भंडारी को भी सोट्टो के अध्यक्ष पद से हटाया जा चुका था लेकिन सरकार की तरफ से उनके कुलपति पद से इस्तीफा देने का दबाव भी था। अंततः सुधीर भंडारी ने गुरुवार को राज्यपाल से मिलकर कुलपति के पद अपना इस्तीफा सौंप दिया।
कुलपति की नियुक्ति के लिए सर्च कमेटी का गठन होता है और यह कमेटी ही कुलपति की नियुक्ति करती है। आरयूएचएस को नए कुलपति मिलने में फिलहाल वक्त लगेगा, तब तक डॉक्टर धनंजय अग्रवाल ही कामकाज संभालेंगे।
18 फरवरी 2022 को राज्यपाल ने डॉक्टर सुधीर भंडारी को कुलपति के पद पर नियुक्त किया था। उनकी नियुक्ति कार्यभार संभालने से 5 साल अथवा 70 वर्ष की आयु में जो भी पहले हो, तब तक के लिए थी लेकिन अपना कार्यकाल पूरा किए बिना ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।