जयपुरताज़ा समाचार

अवैध निर्माण की सील खोलने की नीति मंजूर

पारदर्शी नीति का दावा, क्या रुक पाएगी सील में डील

जयपुर। नगरीय विकास, स्वायत्त शासन एवं आवासन मंत्री शांति धारीवाल ने राजस्थान नगर पालिका अधिनियम एवं विकास प्राधिकरण अधिनियम के तहत अवैध रूप से निर्मित भवनों की सील खोलने की नीति को मंजूरी दे दी है। यह पारदर्शी नीति सभी नगरीय निकायों, विकास प्राधिकरणों, न्यासों में लागू होगी। इस संबंध में स्वायत्त शासन विभाग एवं नगरीय विकास विभाग द्वारा शीघ्र ही आदेश जारी किये जाएंगे। स्वायत्त शासन और नगरीय विकास विभाग की ओर से इस नीति को लेकर कहा जा रहा है कि यह पारदर्शी नीति है, लेकिन आने वाला समय बताएगा कि क्या इस नीति से सील में डील पूरी तरह से रुक जाएगी।

अवैध रूप से निर्मित भवनों की सील खोलने के लिए बनाई गयी पारदर्शी नीति में विकास प्राधिकरणों में उपायुक्त अवैध भवनों को सील कर सकेंगें तथा सील खोलने के प्राधिकृत अधिकारी के रूप में आयुक्त को अधिकृत किया गया है। इसी प्रकार नगर निगम क्षेत्र में अवैध भवनों को उपायुक्त सील कर सकेंगें तथा सील खोलने के लिए निदेशक, स्थानीय निकाय विभाग को अधिकृत किया गया है। नगर परिषदों एवं पालिका क्षेत्र में मुख्य नगर पालिका अधिकारी अवैध भवन सील कर सकेंगें तथा सील खोलने के लिए निदेशक, स्थानीय निकाय विभाग को अधिकृत किया गया है।

सील खोलने की प्रक्रिया में स्थानीय निकायों द्वारा निर्माण करने के लिये अनुज्ञेय से भिन्न उपयोग करने/निर्धारित पार्किंग उपयोग से भिन्न उपयोग करने, कृषि भूमि पर बिना रूपांतरण किये निर्माण करने आदि प्रकरणों में विधिक प्रावधानों के अन्तर्गत भवनों को सील किया जाता है। नई नीति के अनुसार संबंधित निकायों द्वारा सील किये गये भवनों का मौके पर नजरी नक्शा बनाया जायेगा, जिसमें वैध निर्माण, स्वीकृत योग्य निर्माण एवं अवैध निर्माण को पृथक-पृथक रंग में दर्शाया जाना आवश्यक होगा।

सील किए गए भवन के स्वामी द्वारा संबंधित निकाय में निर्धारित धरोहर राशि जमा कराकर निर्माण स्वीकृति लेने, अवैध निर्माण हटाने, भू-उपयोग परिवर्तन कराने, अवैध उपयोग बंद करने या पट्टा लेने के लिए शपथ-पत्र प्रस्तुत करते हुए संबंधित प्राधिकृत आयुक्त/मुख्य नगर पालिका अधिकारी को सील खोलने का प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत किया जा सकेगा। बिना स्वीकृति निर्माण के प्रकरणों में बिल्टअप क्षेत्र पर 50 रुपए प्रतिवर्ग फीट की दर से धरोहर राशि जमा कराकर 60 दिवस के भीतर निर्माण स्वीकृति प्राप्त करनी होगी।

स्वीकृति से अधिक निर्माण एवं सेटबैक निर्माण के प्रकरणो में अवैध बिल्टअप क्षेत्र पर 300 रुपए प्रतिवर्ग फीट की दर से धरोहर राशि जमा कराकर 60 दिवस में अवैध निर्माण हटाना होगा। इसी प्रकार अनुज्ञेय से भिन्न उपयोग के प्रकरणों में अवैध बिल्टअप क्षेत्र पर राशि 300 रुपए प्रति वर्गफीट की दर से धरोहर राशि जमा कराकर 90 दिवस में भू-उपयोग परिवर्तन कराना होगा। इसी प्रकार अनुज्ञेय से भिन्न उपयोग के प्रकरणों में अवैध बिल्टअप क्षेत्र पर 500 रुपए प्रतिवर्ग फीट की दर से धरोहर राशि जमा कराकर 60 दिवस में भिन्न भू-उपयोग बन्द करना/हटाना होगा।

कृषि भूमि का बिना रूपांतरण/संपरिवर्तन कराए निर्माण के प्रकरणों में बिल्टअप क्षेत्र की डीएलसी की 25 प्रतिशत की दर से धरोहर राशि जमा कराकर 120 दिवस में पट्टा लेना होगा।

सील किए गए प्रकरणों में अवैध निर्माणकर्ता को सील खुलवाने की दिनांक से निर्धारित अवधि में निर्माण की स्वीकृति प्राप्त करनी होगी अथवा अवैध निर्माण हटाना होगा अथवा भू-उपयोग परिवर्तन करना होगा या अवैध भू-उपयोग बंद कर पट्टा लेने की कार्यवाही किया जाना आवश्यक होगा। अन्यथा उसके द्वारा जमा धरोहर राशि समायोजित एवं जब्त की जा सकेगी। इसके लिए आवश्यक प्रक्रिया बनाई गयी है। जिसमें निर्धारित अवधि में अवैध निर्माण हटाने, अवैध भू-उपयोग बंद करने एवं पार्किंग की पूर्ति करने पर धरोहर राशि में से 10 प्रतिशत राशि प्रशासनिक शुल्क के रूप में काटकर शेष 90 प्रतिशत राशि लौटाई जा सकेगी। निर्धारित अवधि में निर्माण स्वीकृति लेने, भू-उपयोग परिवर्तन कराने एवं पट्टा लेने पर धरोहर राशि समायोजित कर शेष राशि ली जाएगी परंतु धरोहर राशि अधिक होने पर 10 प्रतिशत प्रशासनिक शुल्क काटकर शेष राशि लौटाई जा सकेगी।

अवैध निर्माणकर्ता के द्वारा निर्धारित अवधि में निर्माण स्वीकृति नहीं लेने, अवैध निर्माण नहीं हटाने, अवैध भू-उपयोग बंद नहीं करने, पट्टा नहीं लेने (जो भी लागू हो) पर धरोहर राशि जब्त कर ली जाएगी एवं अवैध निर्माण हटाने/पुनः सील करने की कार्यवाही संबंधित निकाय द्वारा अमल में लाई जाएगी जिसका हर्जा-खर्चा प्रार्थी से वसूल किया जाएगा। साथ ही आगामी 30 दिवस में संबंधित न्यायालय में निकाय के अधिकारी द्वारा अवैध निर्माणकर्ता के खिलाफ अभियोजन की कार्यवाही की जाएगी तथा उपरोक्त कार्यवाही में कोताही बरतने वाले अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी। ऐसे प्रकरणों की मॉनिटरिंग संबंधित निकाय द्वारा पाक्षिक रूप से कर रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रेषित की जाएगी।

निर्धारित अवधि में कार्यवाही नहीं करने पर अवैध भवन/निर्माण पुनः सील किया जा सकेगा। किसी भी प्रकरण में शिकायत के तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए राज्य सरकार किसी भी अवैध निर्माण को सील करने या सील हटाने का आदेश किसी भी समय दे सकती है।

स्वीकृति योग्य प्रकरणों में प्रार्थी द्वारा नियमानुसार समस्त दस्तावेज के साथ संबंधित निकाय में भवन निर्माण स्वीकृति/भू-उपयोग परिवर्तन/पट्टा प्राप्त करने का आवेदन करने एवं शुल्क जमा कराने के पश्चात् 30 दिवस में संबंधित निकाय द्वारा स्वीकृति योग्य भवन की निर्माण स्वीकृति, भू-उपयोग परिवर्तन एवं पट्टा देने की कार्यवाही की जाएगी।

Related posts

कांटों भरा ताज (crown full of thorns) त्याग कप्तान कोहली (Captain Kohli) अब सिर्फ बल्लेबाज..!

admin

जनजाति एवं सहरिया समुदाय के विधार्थियों को मिलेगी नि:शुल्क ऑन-लाईन प्री कोचिंग

admin

राजस्थान में जल जीवन मिशन के तहत 60 हजार से अधिक स्कूलों को जोड़ा नल कनेक्शन से

admin