जयपुर

आधी राजधानी होगी चकाचक, आधी कचरे के ढ़ेरों से सड़ेगी, नगर निगम हेरिटेज ने बीवीजी कंपनी को किया टर्मिनेट

निगम ग्रेटर में उच्च न्यायालय के निर्देश मिलने तक नहीं हो पाएगी कार्रवाई

जयपुर। वर्ल्ड हेरिटेज सिटी और पिंकसिटी के नाम से मशहूर राजस्थान की राजधानी जयपुर में अब दो तरह के नजारे देखने को मिलेंगे। यहां नगर निगम हेरिटेज क्षेत्र में तो सफाई व्यवस्था चकाचक मिलेगी, लेकिन नगर निगम गे्रटर का क्षेत्र कचरे के ढ़ेरों से सड़ता नजर आएगा, क्योंकि हेरिटेज ने तो अपने क्षेत्र में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन कर रही बीवीजी कंपनी को टर्मिनेट कर उससेे अपना पिंड छुड़ा लिया है, लेकिन निगम ग्रेटर को उच्च न्यायालय के स्टे के कारण इस कंपनी से जल्द मुक्ति मिलती नहीं दिखाई दे रही है।

नगर निगम हेरिटेज निर्माण के बाद नए निगम ने बीवीजी कंपनी के साथ नया अनुबंध किया था। बीवीजी कंपनी ने यहां पुराने ढर्रे के अनुसार ही काम किया। राजनीतिक प्रभाव और मिलीभगत के चलते अभी तक बीवीजी का यहां काम चल रहा था, लेकिन अब लगभग सभी लोग इस कंपनी से परेशान हो चुके थे। जयपुर की स्थानीय राजनीति के चलते बीवीजी कंपनी पर स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने भी कुछ दिनों पूर्व अपनी लाचारी जताई थी। जिसके बाद शुक्रवार को नगर निगम हेरिटेज से बीवीजी कंपनी को टर्मिनेट कर दिया गया। आयुक्त अवधेश मीणा ने अनुबंध की शर्त संख्या 72 के तहत कंपनी के प्रोजेक्ट हैड को टर्मिनेशन लेटर भेजा है।

आयुक्त अवधेश मीणा ने बताया कि बीवीजी कंपनी को काम में लापरवाही बरतने और अनुबंध शर्तों की पालना नहीं करने पर कई बार नोटिस जारी किए गए। इसके बाद भी काम में सुधार नहीं होने, लापरवाही बरतने और अनुबंध शर्तों की पालना नहीं करने पर कंपनी की सेवाए समाप्त कर दी गई है। नगर निगम प्रशासन खुद के संसाधनों से अब घर—घर कचरा संग्रहण करेगा। इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दे दिए गए है। शहर में सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक दो पारियों में हर वार्ड में घर—घर कचरा संग्रहण किया जाएगा। सफाई व्यवस्था में जुड़े सभी सफाई कर्मचारियों और अधिकारियों की छुट्टियां निरस्त कर दी है। घर—घर कचरा संग्रहण के लिए प्रोपर व्यवस्था जल्द ही सुनिश्चित की जाएगी।

ग्रेटर में सफाई का ठीकरा सरकार के सिर फूटना तय
बीवीजी कंपनी को बाहर का रास्ता दिखाने के बाद हेरिटेज क्षेत्र में तो सफाई व्यवस्था पटरी पर आ जाएगी, लेकिन ग्रेटर निगम क्षेत्र में सफाई उच्च न्यायालय से आदेश मिलने तक बदहाल ही रहेगी। हो सकता है कि इन्वेस्टर समिट तक ग्रेटर क्षेत्र सड़ता रहे। ऐसे में ग्रेटर की सफाई का ठीकरा सरकार के सिर फूटना तय माना जा रहा है, क्योंकि भाजपा बोर्ड और उसकी सफाई समिति ने तो कंपनी को टर्मिनेट करने का फैसला ले लिया था, लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत या लेटलतीफी की वजह से यह मामला न्यायालय में चला गया और कंपनी स्टे लेने में कामयाब हो गई।

करानी चाहिए उच्चस्तरीय जांच
नगर निगम ग्रेटर की साधारण सभा की पहली बैठक 30 जनवरी 2021 को आयोजित हुई थी। इस बैठक में पक्ष, विपक्ष और निर्दलीय सभी 150 पार्षदों ने एकमत से बीवीजी को टर्मिनेट करने का प्रस्ताव पास किया था। वहीं 30 अप्रेल को अधिशाषी अभियंता (प्रोजेक्ट) ने भी कंपनी को हटाने के लिए पत्र लिखा। इसके बाद 8 अप्रेल को सफाई समिति की बैठक में भी कंपनी को टर्मिनेट करने का प्रस्ताव पास किया गया। इसके बाद तुरंत प्रभाव से कंपनी को टर्मिनेट किया जाना चाहिए था, लेकिन नहीं किया गया, बल्कि उसे पत्रावली को दबाकर कंपनी को कोर्ट से स्टे लेने का समय दे दिया गया।

ऐसे में अब सरकार की जिम्मेदारी है कि वह उच्चस्तरीय जांच कराए कि किन अधिकारियों की मिलीभगत या फिर लापरवाही के कारण कंपनी को ग्रेटर निगम से टर्मिनेट नहीं किया जा सका। किनकी मिलीभगत से कंपनी को कोर्ट में जाने का मौका मिल गया। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, क्योंकि सफाई अब सरकार की प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है और अगले चुनावों में इसका खामियाजा भी सरकार को भुगतना पड़ सकता है।

कोर्ट स्टे हटवाने को छटपटा रहे अधिकारी
निगम सूत्रों का कहना है कि पहले तो मिलीभगत के चलते अधिकारियों ने कंपनी को कोर्ट से स्टे लेने में मदद की, लेकिन अब अधिकारी ही इस स्टे को हटवाने के लिए छटपटा रहे हैं, क्योंकि उनके सिर पर सरकार का डंडा है और उन्हें पता है कि यदि जल्द ही कंपनी को बाहर का रास्ता नहीं दिखाया गया तो इसकी आंच उनपर ही आएगी। निगम हेरिटेज में कंपनी को बाहर का रास्ता दिखाने के बाद अब उनपर भी कंपनी को बाहर का रास्ता दिखाने का दबाव बढ़ेगा, लेकिन स्टे के कारण वह कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं कर पाएंगे। वैसे कंपनी को मिले स्टे का मामला ड्यू कोर्स में है और इसकी सुनवाई 3 या 4 जनवरी को हो सकती है, उससे पहले निगम ग्रेटर इस कंपनी पर कोई भी एक्शन नहीं ले सकता है।

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