नयी दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष ने राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी शुरू कर दी है। यह प्रस्ताव भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 (बी) के तहत लाया जाएगा। इस अनुच्छेद के अनुसार, उपराष्ट्रपति को उनके पद से हटाने के लिए राज्यसभा के सदस्यों के बहुमत और लोकसभा की सहमति की आवश्यकता होती है। प्रस्ताव पेश करने के लिए 14 दिन पहले नोटिस देना अनिवार्य है।
क्या है विपक्ष का रुख?
सूत्रों के अनुसार, विपक्ष के कई सांसदों ने इस प्रस्ताव पर पहले ही हस्ताक्षर कर दिए हैं। तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद भी इस प्रस्ताव का समर्थन कर रहे हैं। TMC के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस को इस पहल को आगे बढ़ाना चाहिए। यह चर्चा संसद के मानसून सत्र में भी उठी थी, लेकिन उस समय विपक्ष ने प्रस्ताव को आगे नहीं बढ़ाया।
विपक्ष का आरोप है कि सभापति धनखड़ का व्यवहार पक्षपातपूर्ण है। कांग्रेस और INDIA गठबंधन के नेताओं का कहना है कि मल्लिकार्जुन खरगे, जो राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं, को अक्सर बोलने से रोका जाता है, और कई बार उनका माइक बंद कर दिया जाता है। विपक्ष का कहना है कि सदन की कार्यवाही को नियमों और परंपराओं के अनुसार चलाया जाना चाहिए।
संसद में माहौल गर्म
सोमवार को संसद में दोनों सदनों में गहमागहमी देखी गई। बीजेपी ने अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस और गांधी परिवार के कथित संबंधों को लेकर कांग्रेस को निशाने पर लिया, जबकि विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
तीन बार स्थगन के बाद, उच्च सदन की बैठक दोपहर 3 बजे शुरू हुई, लेकिन हंगामा जारी रहा। विपक्ष के कुछ सदस्य अपनी सीट से आगे बढ़कर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।
नड्डा और खरगे के साथ बैठक
सभापति धनखड़ ने सदन में हंगामे के बीच जेपी नड्डा (सदन के नेता) और मल्लिकार्जुन खरगे के साथ बैठक की। बैठक में कई अन्य वरिष्ठ सदस्य भी शामिल हुए। धनखड़ ने सदन को सुचारू रूप से चलाने की अपील की और आत्मचिंतन करने का अनुरोध किया। इसके बावजूद, जब हंगामा थमने का नाम नहीं लिया, तो उन्होंने दोपहर 3:10 बजे सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी।
उपराष्ट्रपति की संवैधानिक भूमिका
भारतीय संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। वह अन्य कोई लाभ का पद धारण नहीं कर सकते। उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के कार्यों का निर्वहन करते समय राज्यसभा के सभापति के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करते हैं और इस दौरान वेतन या भत्ता प्राप्त करने के हकदार नहीं होते।
विपक्ष का तर्क
विपक्ष का कहना है कि सभापति धनखड़ सदन में निष्पक्षता से काम नहीं कर रहे हैं। वे विपक्षी नेताओं के खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणियां करते हैं और विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश करते हैं। विपक्ष ने कहा है कि वे इस प्रस्ताव के जरिए सदन में निष्पक्षता और परंपराओं की बहाली करना चाहते हैं।
संविधान का अनुच्छेद 67 (बी)
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 (बी) के तहत उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए राज्यसभा और लोकसभा की सहमति आवश्यक है। इसके लिए प्रस्ताव पेश करने से पहले 14 दिनों का नोटिस देना होता है। इस अनुच्छेद के अनुसार, उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। अगर उपराष्ट्रपति इस्तीफा देना चाहते हैं, तो उन्हें राष्ट्रपति को लिखित रूप में सूचित करना होगा।
संसद में विपक्ष और सत्तारूढ़ दल के बीच जारी खींचतान से स्पष्ट है कि शीतकालीन सत्र में राजनीतिक टकराव बढ़ने की संभावना है। उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव, अगर आगे बढ़ता है, तो यह भारतीय राजनीति में एक दुर्लभ और महत्वपूर्ण घटनाक्रम होगा।