जयपुर

जयपुर के दोनों निगमों में बीवीजी कंपनी को बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी, लेकिन सफलता पर संदेह

इंडिपेंडेंट इंजीनियर को कार्य का डेटा उपलब्ध नहीं करा रही बीवीजी कंपनी, निगम कर रही भुगतान में कटौति की तैयारी

जयपुर। राजधानी में पिछले लगभग चार सालों से बीवीजी कंपनी डोर-टू-डोर सफाई का काम कर रही है। शुरूआत से ही इस काम में भारी भ्रष्टाचार चल रहा है, जिसमें कंपनी के साथ-साथ निगम के अधिकारी-कर्मचारी और जनप्रतिनिधि तक मिले हुए हैं। मिलीभगत के चलते कंपनी चार सालों से अनुबंध के विपरीत मनमानी से काम करती रही, लेकिन कोई भी इस कंपनी को जयपुर से बाहर का रास्ता नहीं दिखा पाया। अब कहा जा रहा है कि जल्द ही कंपनी को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा, लेकिन इस दावे की सफलता में संदेह नजर आ रहा है।

नगर निगम ग्रेटर आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव की ओर से कंपनी को निर्देशित किया गया था कि वह 30 अक्टूबर को सितंबर व अक्टूबर महीने का पूरा डाटा व रूट चार्ट उपलब्ध कराएं, लेकिन कंपनी ने डाटा उपलब्ध नहीं कराया। इस पर 26 नवंबर को बीवीजी कंपनी को नोटिस जारी किया गया है कि कंपनी स्वतंत्र इंजीनियर फर्म को कार्यों का डेटा उपलब्ध कराएं, ताकि कंपनी के कार्यों को सत्यापित किया जा सके। यदि कंपनी डाटा उपलब्ध नहीं कराती है तो स्वतंत्र इंजीनियर की रिपोर्ट मान्य की जाएगी और उसी आधार पर भुगतान की कार्रवाई होगी।

35 से 40 फीसदी हो रहा काम
ग्रेटर में स्वतंत्र इंजीनियर फर्म वीवॉइस लेब्स श्री श्याम ज्वाइंट वेंचर ग्रुप के अभिषेक गुप्ता का कहना है कि हमारी फर्म ने अक्टूबर से कार्य प्रारंभ किया है और अभी तक कंपनी के कार्यों की जांच में हमने पाया है कि कंपनी की ओर से 35 से 40 फीसदी कार्य ही किया जा रहा है। कंपनी डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण में तो फेल नजर आ रही है, लेकिन कार्य के दूसरे पार्ट डिपो से डंपिंग यार्ड तक कचरा पहुंचाने का काम पूरा किया जा रहा है। कुल मिलाकर कंपनी पूरा काम नहीं कर पा रही है।

दीपावली पर ही दिखी सफाई
गुप्ता का कहना है कि अक्टूबर और नवंबर माह में सिर्फ दीपावली के समय ही कुछ दिनों तक सफाई नजर आई थी। दीपावली के बाद से ही शहर में सफाई का स्तर गिरता गया और अब यह तीन दिनों की हड़ताल ने तो पूरी सफाई व्यवस्था को चौपट ही कर दिया।

भागती दिखाई देगी कंपनी
निगम सूत्रों का कहना है कि यदि नगर निगम प्रशासन स्वतंत्र इंजीनियर की रिपोर्ट के आधार पर बीवीजी को भुगतान करना शुरू कर दे तो कंपनी जयपुर से भागती नजर आएगी। कंपनी स्वतंत्र इंजीनियर को डेटा उपलब्ध नहीं करा रही है। नोटिस देने के बावजूद कंपनी पूरा डेटा उपलब्ध नहीं कराएगी, क्योंकि उसके कार्यों की पोल खुलने का डर है। जबकि हकीकत यह है कि कंपनी शहर में मात्र 25 से 30 फीसदी काम करके 50 फीसदी भुगतान उठा रही थी। अब यदि स्वतंत्र इंजीनियर की रिपोर्ट पर उसके भुगतान में 20 से 25 फीसदी कटौति होती है तो कंपनी जयपुर में काम नहीं कर पाएगी।

एक साल बाद नजर आई बीवीजी की कमियां
जयपुर की सफाई व्यवस्था को लेकर सिविल लाइंस विधायक और खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने बड़ा बयान दिया और कहा कि बीवीजी कंपनी को हड़ताल करने का कोई हक नहीं है। कंपनी के भ्रष्ट तौर-तरीकों को बंद करने की जिम्मेदारी मेयर की है। मेयर को आगे बढ़कर कंपनी के भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए। मंगलवार को वह स्वयं हेरिटेज निगम के अधिकारियों से बात करेंगे। दोनों निगमों को कंपनी पर सख्त कार्रवाई कर सफाई व्यवस्था सुनिश्चित करें।

उठ रहे कई सवाल
खाचरियावास के इस बयान के बाद हेरिटेज महापौर मुनेश गुर्जर ने भी रटा-रटाया बयान दे दिया कि बीवीजी कंपनी को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि महापौर को एक साल बाद और मंत्रीजी को ढाई साल बाद बीवीजी की कमियां क्यों दिखाई दी? क्या इससे पहले कंपनी सही काम कर रही थी? यदि सही काम नहीं हो रहा था तो फिर पहले कंपनी को बाहर का रास्ता पहले क्यों नहीं दिखाया गया?

बदहाल सफाई के लिए सरकार और निगम होगा दोषी
निगम सूत्रों का कहना है कि नगर निगम हेरिटेज में बीवीजी के कार्यों की निगरानी और सत्यापन के लिए स्वतंत्र इंजीनियर की नियुक्ति तो हो चुकी है, लेकिन उसने अभी तक काम शुरू नहीं किया है। यदि कंपनी को बाहर का रास्ता दिखाना पड़ा तो स्वतंत्र इंजीनियर की रिपोर्ट के अभाव में निगम के उपायुक्तों, एसआई, सीएसआई की रिपोर्ट पर कार्रवाई करनी होगी। ऐसे मे शहर में पिछले एक वर्ष के दौरान हेरिटेज क्षेत्र में सफाई व्यवस्था की बदहाली के लिए सरकार और हेरिटेज निगम दोषी ठहराए जाएंगे, क्योंकि उपायुक्त, एसआई और सीएसआई तो लगातार कंपनी के खिलाफ रिपोर्ट देते आ रहे हैं।

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