जयपुर

ट्रॉमा की बड़ी वजह-सड़क दुर्घटनाएं, सड़क सुरक्षा नियमों का पालन कर ऐसी घटनाओं में लाई जा सकती है कमी

जयपुर। ट्रॉमा के प्रमुख कारणों में सड़क दुघर्टनाएं हैं। अचानक से लगने वाले गहरे आघात या अन्य क्षति के चलते ट्रॉमा की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है।

इस बारे में जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से हर वर्ष 17 अक्टूबर को मनाए जाने वाले ‘विश्व ट्रॉमा दिवस’ पर सवाई मान सिंह मेडिकल कॉलेज के न्यूरोसर्जन प्रोफेसर मनीष अग्रवाल कहते हैं कि बढ़ती सड़क दुर्घटनाए और हादसों में घायल होना मौत और अपंगता के प्रमुख कारण हैं। डॉ. अग्रवाल और उनकी टीम द्वारा पिछले माह एक सितम्बर से 16 सितम्बर 2022 के बीच न्यूरोसर्जरी वार्ड में भर्ती ऐसे 330 मरीजों पर एक अध्ययन किया, जिनमें अधिकांश मरीज़ के सिर में चोट लगी थी। इनमें 250 सड़क दुर्घटनाओं में घायल हुए थे। उन्होंने बताया कि हैं कि इन 250 घायलों में 124 ऐसे थे जो बिना हेलमेट पहने दुपहिया वाहन चला रहे थे। तथा घायलों में 36 ऐसे भी थे जो पैदल जा रहे थे और उन्हें किसी वाहन ने टक्कर से सिर में चोट लगी थी।

डॉ. अग्रवाल अध्ययन की जानकारियों को साझा करते हुए आगे कहते हैं कि सड़क दुर्घटनाओं में घायल हेने वाले 138 लोगों की आयु 15 से 35 वर्ष के बीच थी, जबकि 89 घायलों की उम्र 35 से 55 वर्ष के बीच थी। इन घायलों में 20-25 फ़ीसदी ऐसे थे जो बड़ी अपंगता जैसे पक्षाघात, मानसिक आघात, बोलने की समस्या, देखने की समस्या, लम्बे समय तक कोमा, लगातार सिरदर्द, चक्कर आने, ध्यान केन्द्रित करने असक्षमता से पीड़ित हैं। बच्चों में सीखने-समझने की सामान्य कठिनाई देखने को मिली सड़क दुर्घटनाओं के कारण अशक्त होने का प्रभाव राष्ट्रीय उत्पादकता पर भी पड़ता है क्योंकि घायलों में ज्यादातर युवा होते हैं जिन पर परिवार, समाज, राज्य औरराष्ट्र पर की जिम्मेदारी होती है ।

डॉ. अग्रवाल बताया कि ऐसी सड़क दुर्घटनाओं के बाद मरीजों को एक घंटे में अस्पताल पहुंचाना बहुत जरूरी है क्योंकि यही वह समय है जिसे “गोल्डन ऑवर” कहते हैं। डॉ. अग्रवाल आगे कहते हैं कि लोगों को लगातार कड़ाई से जागरूक करना जरूरी है ताकि वे सड़क सुरक्षा मानकों का पालन करें और ट्रॉमा जैसी परिस्थिति से बचने के लिए सावधानी बरतें। हर नागरिक को यातायात नियमों का पालन करना चाहिए।

मुख्यमंत्री चिरंजीवी जीवन रक्षा योजना शुरू करने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की प्रशंसा करते हुए डॉ. अग्रवाल ने कहा कि यह एक सर्वाेत्तम और विशाल योजना है। इसमें सड़क दुर्घटना में घायल किसी भी व्यक्ति को, बिना दस्तावेज या पहचान के सरकारी या निजी अस्पताल में 72 घंटे तक मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया जाएगा। यह स्वर्णिम समय होता है जब घायलों को इलाज मुहैया होगा। उन्होंने राजस्थान सरकार की ओर से 5,000 रुपए की प्रोत्साहन राशि और प्रशंसा पत्र देने योजना की भी सराहना की।

Related posts

राजस्थानः रति सक्सेना मीरा पुरस्कार और भरत चंद्र शर्मा रांगेय राघव पुरस्कार से सम्मानित

Clearnews

अहमदाबाद (Ahmedabad) ले जाए जा रहे हवाला (hawala)के 1.48 करोड़ उदयपुर (Udaipur)में पकड़े, तीन गिरफ्तार

admin

चिकित्सा सुधार की दिशा में बड़ा कदम, मेडिकल एज्यूकेशन सोसायटी का पुनर्गठन

admin