मुंबई। महाराष्ट्र की महायुति सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार और विभागों के बंटवारे की घोषणा में देरी हो रही है। सत्ता में आने के 7 दिन बाद भी फडणवीस सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा पाई है। इसी बीच, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर नेताओं के स्थानांतरण और पदों में बदलाव की रणनीति बनानी शुरू कर दी है।
नवनीत राणा: बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण चेहरा
2019 में अमरावती लोकसभा सीट से निर्दलीय सांसद चुनी गई नवनीत राणा 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हुईं। हालांकि, जिले में कुछ नेताओं और कार्यकर्ताओं के विरोध के बावजूद वह पार्टी में आईं और बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ीं। लेकिन कांग्रेस के बलवंत वानखेड़े ने उन्हें हराया।
नवनीत राणा ने अपनी आक्रामक राजनीति के जरिए बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। खासतौर पर उद्धव ठाकरे सरकार के दौरान उन्होंने हनुमान चालीसा के मुद्दे को चर्चा में लाकर बीजेपी की विचारधारा को आगे बढ़ाया। लोकसभा में हारने के बावजूद राणा संसद में वापस आने की कोशिश में हैं।
अनिल बोंडे की वापसी राज्य में संभव
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कृषि मंत्री अनिल बोंडे, जो वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं, को वापस महाराष्ट्र लाने की योजना पर चर्चा चल रही है। बोंडे अमरावती में बीजेपी के मजबूत चेहरा हैं और उनकी नेतृत्व क्षमता ने जिले में पहली बार पार्टी के पांच विधायकों को जीत दिलाने में मदद की है। फडणवीस कैबिनेट में उन्हें फिर से मंत्री बनाए जाने की संभावना है।
एक्सचेंज प्लान की रणनीति
बीजेपी नेतृत्व अनिल बोंडे को दिल्ली से महाराष्ट्र में लाने और उनकी जगह नवनीत राणा को राज्यसभा भेजने पर विचार कर रहा है।
• नवनीत राणा की संभावना: अगर उन्हें राज्यसभा में भेजा जाता है, तो उन्हें अनिल बोंडे के कार्यकाल के शेष साढ़े तीन साल मिलेंगे। महायुति सरकार की मजबूत स्थिति को देखते हुए उनकी जीत लगभग सुनिश्चित मानी जा रही है।
• अनिल बोंडे की भूमिका: मंत्री पद के अनुभव और आक्रामक नेतृत्व क्षमता के कारण बोंडे को कैबिनेट में जगह मिल सकती है।
कांग्रेस के लिए नई चुनौती
अगर नवनीत राणा राज्यसभा पहुंचती हैं, तो अमरावती से कांग्रेस सांसद बलवंत वानखेड़े के लिए राजनीतिक चुनौतियां बढ़ सकती हैं। वानखेड़े ने नवनीत राणा को लोकसभा चुनाव में हराया था, लेकिन राणा की संसद वापसी उनके प्रभाव को कमजोर कर सकती है।
राजनीतिक समीकरण
महाराष्ट्र विधान परिषद की 6 सीटें खाली हैं, जिससे अनिल बोंडे को मंत्री पद के लिए विधानमंडल का सदस्य बनाने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी। इस बदलाव से बीजेपी को राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर लाभ मिलने की संभावना है।
BJP का यह “एक्सचेंज प्लान” नवनीत राणा को संसद में वापस लाने और अनिल बोंडे को महाराष्ट्र की राजनीति में मजबूत भूमिका देने की रणनीति है। यह कदम पार्टी को राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती देने में कारगर साबित हो सकता है।