दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार, 25 दिसम्बर को छह राज्यों के किसानों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये संवाद किया। इस दौरान उन्होंने तीनों नये कृषि कानूनों की मांग पर अड़े किसानों और सरकार के बीच बने गतिरोध की आड़ में राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले दलों को दोषी बताया।
पीएम मोदी ने कहा कि इन सारी बातों के बावजूद सरकार उन लोगों के साथ भी बातचीत करने को तैयार है जो अलग विचारधारा के चलते सरकार के खिलाफ हैं लेकिन यह बातचीत ‘‘तर्कसंगत, तथ्यों और मुद्दों’’ पर आधारित होनी चाहिये। इससे पूर्व उन्होंने भारत के स्वर्गीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस पर ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’ योजना की नयी किस्त में 9 करोड़ से अधिक किसानों के लिए 18,000 करोड़ रुपये की राशि जारी की।
राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले किसानों कर रहे गुमराह
पीएम मोदी ने कहा कि देश उन किसानों की संख्या बहुत अधिक है जिन्होंने नये तीनों कृषि कानूनों का स्वागत किया है और जो इसके फायदे भी उठा रहे हैं। उन्होंने तर्क दिया कि हाल कि दिनों में असम, राजस्थान ओर जम्मू एवं कश्मीर सहित विभिन्न राज्यों में हुए स्थानीय निकाय के चुनावों में भाजपा को जीत मिली और इन चुनावों में अधिकतर मतदाता किसान ही थे। उन्होंने कहा कि देश की जनता ने जिन राजनीतिक दलों को नकार दिया है वे अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए किसानों को गुमराह करने मे लगे हैं। ऐसे लोगों से देश को सतर्क रहने की जरूरत है।
मुद्दों से भटक रहा है किसान आंदोलन
उधर, देश की राजधानी में प्रवेश की सीमाओं पर शुक्रवार को भी किसान प्रदर्शन करते रहे और उनका यह प्रदर्शन आगे भी जारी रहने वाला है। इन सबके बीच सरकार की ओर से दावा किया गया कि बहुत से राज्यों के किसान संगठनों के नेताओं ने नये कृषि कानूनों को लेकर सरकार को समर्थन देने की बात कही है। वे नये कृषि कानून में किसी भी किस्म के फेरबदल बात को ना मानने के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि इस आंदोलन की आड़ में वास्तव में प्रधानमंत्री मोदी का विरोध करने वाले अपनी खीझ निकाल रह हैं। केंद्र सरकार को किसानों के हित मे चौबीसों घंटे बातचीत को तैयार है लेकिन किसान बातचीत को तैयार नहीं हो रहे हैं। इसी संदर्भ में प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों से किये संवाद में भी कहा कि जब किसान आंदोलन की शरुआत हुई थी तब नये कृषि कानूनों को लेकर उनकी पज पर एमएसपी सहित कुछ वाजिब चिंताएं थीं लेकिन बाद में इसमें राजनीतिक लोग आ गए और उन्होंने किसानों के कंधों पर बंदूक रखकर चलाना आरंभ कर दिया और असंबंद्ध मुद्दों को उठाना आरंभ कर दिया।
राजस्थान में भी किसान सम्मेलन
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राजस्थान में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने आमेर विधानसभा क्षेत्र के महेशवास में किसान सम्मेलन में भाग लेकर किसानों से संवाद किया और मोदी सरकार के कल्याणकारी कृषि सुधार कानून के फायदे बताए। इस अवसर उन्होंने कहा कि किसान भाइयों को उनकी उपज की लागत का 1.5 गुना एमएसपी देने का काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। उन्होंने कहा कि जब 2013-14 में कांग्रेस की सरकार थी तो देश में खेती का बजट 21 हजार करोड़ रुपए हुआ करता था और आज खेती का बजट 1.34 लाख करोड़ रुपए है यह इसीलिए है क्योंकि मोदी सरकार चाहती है, हिंदुस्तान का किसान समृद्ध बने एवं नवाचार करें।
दूसरी ओर, केंद्र में एनडीए में शामिल रही राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) नये कृषि कानूनों का विरोध कर रही है और इसके लिए आरएलपी संयोजक व नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व में राजस्थान के किसान कोटपूतली में एकत्र हो रहे हैं। आरएलपी की ओर से जानकारी दी गई है कि राजस्थान के विभिन्न जिलों से आ रहे लोग कोटपूतली में एकत्रित होकर 26 दिसम्बर को सुबह 11:30 बजे शाहजापुर बॉर्डर की तरफ कूच करेंगे ।