कृषिताज़ा समाचार

किसान 29 दिसम्बर को सरकार से वार्ता को तैयार, आरएलपी ने छोड़ा एनडीए का साथ

नये कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर किसान अड़े हुए हैं और दिल्ली में प्रवेश सीमाओं पर उनका धरना-प्रदर्शन जारी है। उधर, केंद्र सरकार इन कानूनों को रद्द करने की बजाय इनमें आवश्यक संशोधन की बात कर रही है। किसानों और सरकार के बीच छह दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन इसके बाद से सरकार की ओर से दिया गया वार्ता का प्रस्ताव किसान लंबे से ठुकराते आ रहे हैं। शुक्रवार 25 दिसम्बर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छह राज्यो के किसानों से बाच की और देश के किसानों से कहा कि सरकार चौबीसों घंटे किसानों से बातचीत करने को तैयार है। इसके बाद अब किसान संगठनों ने बातचीत फिर से शुरू करने का फैसला किया है और उन्होंने 29 दिसम्बर को अगले दौर की बातचीत करने का प्रस्ताव दिया है।

बातचीत में चाहा एमएसपी गारंटी का मुद्दा

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि 40 किसान यूनियनों के मुख्य संगठन किसान मोर्चा ने विशेष बैठक की और इस बैठक में बातचीत का प्रस्ताव व इसकी तारीख तय की है। उन्होंने बताया कि किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के  तौर-तरीके और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए गारंटी का मुद्दा सरकार के साथ बातचीत के एजेंडे में शामिल होना चाहिए।

आरएलपी ने छोड़ा गठबंधन

उधर, कृषि कानूनों के विरोध में अकाली दल के बाद राजस्थान की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से अलग होने का फैसला किया है। उल्लेखनीय है कि आरएलपी के संयोजक और राजस्थान के नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हुए तीनों संसदीय समितियों से त्यागपत्र दे चुके हैं। बेनीवाल ने राजस्थान-हरियाणा सीमा पर शाहजहांपुर में किसान रैली को संबोधित करते हुए कहा, ” मैं राजग के साथ ‘फेविकोल’ से नहीं चिपका हुआ हूं। आज, मैं खुद को राजग से अलग करता हूं।”  हालांकि उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करने जा रहे हैं।  उन्होंने कहा, ”मैंने कृषि कानूनों के विरोध में एनडीए छोड़ा है। ये कानून किसान विरोधी हैं और इसीलिए मैंने एनडीए छोड़ दिया है।”

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