जयपुर। प्रदेश में चल रहे सियासी संग्राम के बीच पायलट गुट की ओर से हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका पर निर्णय अब 24 जुलाई को होगा। उच्च न्यायालय ने सुनवाई पूरी कर फैसले को सुरक्षित रख लिया है। हाइकोर्ट ने विधानसभा स्पीकर को भी 24 जुलाई तक किसी तरह की कार्रवाई नहीं करने का अनुरोध किया है। अब 24 जुलाई को ही इस मामले में फैसला आएगा।
इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी ने भी साफ कर दिया है कि वह भी फैसले का इंतजार करेंगे और हाइकोर्ट का निर्णय आने के बाद ही कोई कार्रवाई करेंगे। कहा जा रहा है कि न्यायपालिका और विधायिका के बीच तालमेल बनाए रखने व एक दूसरे का सम्मान करने की दृष्टि से स्पीकर ने यह फैसला लिया है।
सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी की याचिका पर विधानसभा अध्यक्ष ने 19 विधायकों को नोटिस जारी किए थे। नोटिस जारी होने के बाद पायलट गुट के विधायकों ने उच्च न्यायालय में याचिका लगाकर नोटिसों को गलत बताया था। दोनों पक्षों के वकीलों ने 17 से 21 जुलाई तक न्यायालय के सामने अपने तर्क रखे।
पायलट गुट के वकील हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी ने विधायकों की अयोग्यता संबंधी नोटिस पर अंतरिम रोक लगाने के लिए तर्क दिए कि किसी व्यक्ति का विरोध करना सरकार गिराने की श्रेणी में नहीं आता है।
इस बात की भी दलील दी गई कि मुख्य सचेतक महेश जोशी की याचिका पर विधानसभा अध्यक्ष ने तत्काल नोटिस जारी किया, जबकि 4 महीने पहले बीजेपी विधायक मदन दिलावर ने बीएसपी विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के नियम को गलत बताते हुए उनको अयोग्य करने की मांग की गई थी, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है, जो यह दर्शाता है कि उनके मामले में निष्पक्षता के साथ कार्रवाई नहीं हो रही है।
विधानसभा अध्यक्ष के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि विधायिका के मामले में न्यायपालिका दखल नहीं कर सकता है। इसलिए यह याचिका खारिज होने के योग्य है। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब कुछ भी करने की स्वतंत्रता नहीं है।
संविधान ने विधानसभा के संचालन का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष को दिया है और यह नियम संविधान का हिस्सा है कि अध्यक्ष के पास विधायकों को अयोग्य घोषित करने का अधिकार है, जिसकी न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती है। यह पूरा मामला विधायिका का है और इसे अध्यक्ष के ऊपर छोड़ देना चाहिए।