भरतपुर राजा मानसिंह हत्याकांड का मामला
जयपुर। प्रदेश के बहुचर्चित भरतपुर रियासत के राजा मानसिंह हत्याकांड में 11 पुलिसकर्मी दोषी करार दिए गए हैं। इस मामले में 35 साल बाद फैसला आया, तीन लोगों को बरी कर दिया गया है। न्यायालय 22 जुलाई को सजा का ऐलान करेगा।
भरतपुर के राजा मानसिंह और उनके दो साथियों ने 20 फरवरी 1985 को रियासत का झंड़ा उतारने से नाराज होकर अपनी जोंगा जीप से तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर की डीग में होने वाली सभा के मंच को तोड़ दिया था। बाद में उन्होंने माथुर के हेलीकॉप्टर को भी जोंगा से टक्कर मार कर क्षतिग्रस्त कर दिया था।
इसके बाद 21 फरवरी को पुलिस मुठभेड़ में इन तीनों की मृत्यु हो गई थी। 22 फरवरी को मानसिंह की अंत्येष्टि में भारी संख्या में लोग शामिल हुए और पुलिस के इस एनकाउंटर पर नाराजगी जताई। इस मामले में सियासी बवाल भी हुआ था। ऐसे में सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।
जयपुर सीबीआई कोर्ट में 18 पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। वादी की ओर से सुप्रीम कोर्ट की शरण लेकर मुकद्दमे को राजस्थान से बाहर स्थानांतरित करने की मांग की गई।
1 जनवरी 1990 को सुप्रीम कोर्ट ने मुकद्दमा जिला एवं सत्र न्यायाधीश मथुरा स्थानांतरित कर दिया। मामले की पिछली सुनवाई 9 जुलाई को हुई थी और 21 जुलाई फैसले पर सुनवाई की तिथि निर्धारित की गई थी।
मथुरा कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद आरोपी डिप्टी एसपी कान सिंह भाटी, एसएचओ डीग वीरेंद्र सिंह, सुखराम, आरएसी के हेड कांस्टेबल जीवाराम, भंवर सिंह, कांस्टेबल हरि सिंह, शेर सिंह, छतर सिंह, पदमाराम, जगमोहन, एएसआई रवि शेखर दोषी करार दिए गए।
इन सभी को धारा 148, 149, 302 के तहत दोषी माना गया है। इन सभी को कस्टडी में ले लिया गया है। वहीं पुलिस लाइन के हेड कांस्टेबल हरि किशन, कांस्टेबल गोविंद प्रसाद, इंस्पेक्टर कान सिंह सिरवी पर आरोप साबित नहीं होने पर अदालत ने इन्हें बरी कर दिया है।