जयपुर

अब भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई से पहले लेनी होगी विभाग से अनुमति

भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम के संबंध में केंद्र सरकार की एसओपी को राज्य में किया लागू

जयपुर। राजस्थान में अब भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई या पूछताछ से पूर्व संबंधित विभाग से इसकी अनुमति लेनी होगी, क्योंकि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2018 की धारा 17 (ए) के क्रम में जारी मानक प्रक्रिया को प्रदेश में भी लागू किया है।

मानक प्रक्रिया के अनुसार लोक सेवकों द्वारा शासकीय कार्यों के दौरान लिए गये निर्णयों के संबंध में शिकायत प्राप्त होने पर एसीबी द्वारा पूछताछ, जांच एवं अनुसंधान के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गये हैं। उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार की अनुपालना में इस मानक प्रक्रिया को मध्यप्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मिजोरम, पंजाब सहित अन्य राज्य इसे पहले ही लागू कर चुके है।

मानक प्रक्रिया में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अधिकारियों के स्तर एवं समकक्ष लोक सेवकों के स्तर निर्धारित किए गए हैं। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अधिकारी को प्रथमतः किसी भी लोक सेवक के विरूद्ध पूछताछ, जांच एवं अनुसंधान शुरू करने से पहले निर्धारित प्रपत्र में संबंधित प्रशासनिक विभाग के सक्षम प्राधिकारी से अनुमति लेनी होगी। अब एसीबी के अधिकारी इन दिशा-निर्देशाें के अनुरूप ही संबंधित से अनुसंधान एवं जांच आदि की कार्यवाही कर सकेंगे।

गृह विभाग की ओर से जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार मंत्रीगण, विधायक, सातवें वेतन आयोग के तहत पे लेवल 15 और इससे ऊपर के लोक सेवक, विभिन्न बोर्ड, आयोग, निगम तथा राजनीतिक इकाइयों के चेयरमैन तथा सदस्यों से एसीबी में कार्यरत डीजी या इसके समकक्ष स्तर के अधिकारी ही सक्षम प्राधिकारी के स्तर से अनुमति प्राप्त करने के उपरांत पूछताछ एवं जांच कर सकेंगे।

इसी प्रकार पे लेवल 21 से 24 तक के लोक सेवकों से पूछताछ के लिए एसीबी के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक या इसके समकक्ष अधिकारी ही सक्षम स्तर से अनुमति प्राप्त कर पूछताछ एवं जांच कर सकेंगे। राज्य सेवा के अधिकारियों के पे लेवल 12 से 20 तक के लोक सेवकों से पूछताछ एवं जांच के लिए पुलिस महानिरीक्षक या पुलिस उप महानिरीक्षक या समकक्ष स्तर के अधिकारी तथा अधीनस्थ, मंत्रालयिक एवं चतुर्थ श्रेणी के लोक सेवकों से पूछताछ एवं जांच के लिए पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक या उप पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी द्वारा संबंधित प्रशासनिक विभाग के सक्षम प्राधिकारी के स्तर से अनुमति प्राप्त करनी होगी। यह मानक प्रक्रिया ट्रेप के प्रकरणों में लागू नहीं होगी।

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