जयपुर

राजस्थान सरकार को तीन साल बाद अस्पतालों से फैलने वाले प्रदूषण की आई याद

मुख्यमंत्री ने दी 20 करोड़ रूपए की स्वीकृति-अस्पतालों में स्थापित होंगे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट

जयपुर। सरकार के काम पांवों पर नहीं चलते हैं, बल्कि कीड़ों की तरह बरसों तक रेंगत रहते हैं और इसका खामियाजा सभी को भुगतना पड़ता है। इसका ताजा उदाहरण राजधानी जयपुर समेत प्रदेश के प्रमुख शहरों में बिना पर्यावरण मानकों को पूरा कर दशकों से चल रहे बड़े अस्पतालों का है। जब यह बड़े अस्पताल सरकार के हों, तो किसे पर्यावरण मानकों का ध्यान रहता है।

अस्पतालों को प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण माना जाता है। अस्पताल से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण नहीं किया जाए, तो यह आम जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ के साथसाथ पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंचाता है और हमेशा संक्रमण की तलवार लटकी रहती है। क्लियर न्यूज ने 28 नवंबर 2020 को ‘पर्यावरण मानकों को पूरा किए बिना 2 साल से चल रहा है राजस्थान का सबसे बड़ा कोविड डेडिकेटेड हॉस्पिटल आरयूएचएस’ खबर प्रकाशित कर बताया कि आरयूएचएस अस्पताल पिछले दो वर्षों से बिना पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की संचालन सहमति के चल रहा है।

क्लियर न्यूज ने यह भी बताया था कि आरयूएचएस ही नहीं प्रदेश के कई बड़े सरकारी अस्पताल दशकों से पर्यावरण मानकों की धज्जियां उड़ाकर चल रहे हैं। इन अस्पतालों में मेडिकल वेस्ट के वैज्ञानिक निस्तारण की कुछ हद तक व्यवस्था की गई है, लेकिन इन अस्पतालों से निकलने वाले सीवर के पानी के ट्रीटमेंट के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। दशकों से यह संक्रमित सीवर का पानी सीवर लाइनों के जरिए जमीन में, नदीनालों में जा रहा है और पर्यावरण को प्रदूषिक कर रहा है।

सरकारी अस्पतालों की इस अंधेरगर्दी को दूर करने में सरकार को तीन साल लग गए। अब राजस्थान सरकार ने अस्पतालों के लिक्विड एवं सॉलिड वेस्ट के निस्तारण के लिए बनने वाले सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट हेतु 20 करोड़ रूपए के बजट को मंजूरी दी है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की इस स्वीकृति से प्रदेश के बड़े अस्पतालों आरयूएचएस, एसएमएस अस्पताल, जनाना अस्पताल, महिला चिकित्सालय जयपुर, महात्मा गांधी अस्पताल जोधपुर, पीबीएम अस्पताल बीकानेर तथा चिकित्सा महाविद्यालय कोटा से संबद्ध अस्पतालों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित होंगे तथा अस्पतालों के लिक्विड़ एवं सॉलिड वेस्ट का निस्तारण किया जा सकेगा।

पर्यावरण की दृष्टि से अत्यन्त आवश्यक इन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स का निर्माण आरयूआईडीपी द्वारा किया जाएगा। प्लांट के निर्माण के लिए लागत का 50 प्रतिशत व्यय चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा तथा 50 प्रतिशत राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल द्वारा वहन किया जाएगा।

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