मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मंत्रिमंडल के 26 मंत्री चुनाव मैदान में हैं। इनमें से 21 मंत्री सीधे मुकाबले में, 4 त्रिकोणीय और 1 मंत्री चतुष्कोणीय मुकाबले में फंसे हैं। मौजूदा हालात में इनमें से सिर्फ चार मंत्री सुरक्षित नजर आ रहे हैं।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मंत्रिमंडल के 26 मंत्री इस बार चुनाव मैदान में हैं। इनमें से 21 मंत्री सीधे मुकाबले में, 4 त्रिकोणीय और 1 मंत्री चतुष्कोणीय मुकाबले में फंसे हुए हैं। इनमें चार ही सुरक्षित नजर आ रहे हैं। वहीं, 11 मंत्री तो बेहद कड़े मुकाबले में फंसे हैं। 11 मंत्री ऐसे हैं, जो अपनी सीट बचाने को जूझ रहे हैं। मंत्रियों की सीट में से एक पर निर्दलीय मजबूत नजर आ रहा है।
ऐसे में पार्टी कई मंत्रियों की सीटों पर बड़े नेताओं के दौरे भी करा रही है। गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित 30 मंत्री बनाए गए थे। इनमें से 4 मंत्री चुनाव से बाहर हैं। इनमें दो मंत्री लालचंद कटारिया और हेमाराम चौधरी चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे। महेश जोशी का टिकट काटा गया है। वहीं, राजेन्द्र गुढ़ा को मंत्री पद से पहले ही बर्खास्त कर दिया था।
सीधे मुकाबले में फंसे मंत्री
सरदारपुरा
कांग्रेस – अशोक गहलोत
भाजपा – महेन्द्र सिंह राठौड़
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने भाजपा ने नए चेहरे के रूप में महेन्द्र सिंह राठौड़ को मैदान में उतारा है। दोनों में आमने-सामने का मुकाबला है। मुख्यमंत्री गहलोत लगातार पांच बार इस सीट पर जीत चुके हैं। यह उनका छठा चुनाव है। वहीं, भाजपा के राठौड़ का पहला चुनाव है, वे जोधपुर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रह चुके हैं।
कोलायत
कांग्रेस – भंवरसिंह भाटी
भाजपा – अंशुमान सिंह
मंत्री भंवरसिंह भाटी का भाजपा के अंशुमान सिंह से सीधा मुकाबला है। क्षेत्र में बजरी अवैध खनन व रॉयल्टी में भ्रष्टाचार का बड़ा मुद्दा है। लोगों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ रहा है। उधर, भाजपा के अंशुमान कोलायत को भ्रष्टाचार मुक्त करने के नाम पर चुनाव लड़ रहे हैं। वे पहली बार मैदान में हैं। उनके दादा देवीसिंह भाटी मंत्री रह चुके हैं।
अलवर ग्रामीण
कांग्रेस – टीकाराम जूली
भाजपा – जयराम जाटव
मंत्री टीकाराम जूली और भाजपा के जयराम जाटव के बीच कड़ा मुकाबला है। दोनों ही उम्मीदवार दो-दो बार इस सीट से विधायक रह चुके हैं, लेकिन जूली मंत्री रहते कराए गए कामों को लेकर विकास के नाम पर वोट मांग रहे हैं। वहीं, जाटव स्थानीय और बाहरी के मुद्दे को भुनाने का प्रयास कर रहे हैं।
कामां
कांग्रेस – जाहिदा खान
भाजपा – नौक्षम चौधरी
मंत्री जाहिदा भाजपा की नौक्षम चौधरी से सीधे मुकाबले में फंसी हैं। क्षेत्र में भ्रष्टाचार कई साल से बड़ा मुद्दा रहा। लोगों को राहत नहीं मिली, इससे जनता में कुछ नाराजगी है। जनता की नाराजगी की वजह से ही उन्हें टिकट मिलने में देरी हुई, लेकिन अब मजबूती से जुटी हैं। उधर, भाजपा ने नौक्षम चौधरी के रूप में नया चेहरा उतारा है।
सिविल लाइंस
कांग्रेस – प्रतापसिंह खाचरियावास
भाजपा – गोपाल शर्मा
मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास भाजपा के गोपाल शर्मा से सीधे मुकाबले में हैं। प्रतापसिंह दो बार यहां से चुनाव जीत चुके हैं। गोपाल शर्मा का नया चेहरा है। खाचरियावास की क्षेत्र में पुरानी पकड़ है। लेकिन अब गोपाल शर्मा भी पार्टी संगठन के बल पर पूरी ताकत झोंककर अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटे हैं।
डीग-कुम्हेर
कांग्रेस – विश्वेन्द्र सिंह
भाजपा – शैलेश सिंह
मंत्री विश्वेन्द्र सिंह इस बार भाजपा के शैलेश सिंह से कड़े मुकाबले में फंसे हैं। वे डीग-कुम्हेर को जिला बनवा चुके हैं। अब चुनाव में उसे भुनाने का प्रयास कर रहे हैं। कुम्हेर की कुछ पंचायतों के भरतपुर से डीग जिले में शामिल किए जाने को लेकर लोगों में आक्रोश भी है। वहीं, शैलेश सिंह पिता मंत्री दिगंबर सिंह के कराए कामों को आधार बना रहे हैं।
सिकराय
कांग्रेस – ममता भूपेश
भाजपा – विक्रम बंशीवाल
मंत्री ममता भूपेश भाजपा के विक्रम बंशीवाल से कड़े मुकाबले में फंसी हैं। हालांकि ममता अपने काम के दम पर लोगों से वोट की अपील कर रही हैं, लेकिन उनके समीकरण गड़बड़ाते दिख रहे हैं, उधर भाजपा के विक्रम बंशीवाल बनते-बिगड़ते समीकरणों से उत्साहित हैं और क्षेत्र में सक्रियता से जुटे हैं।
कोटा उत्तर
कांग्रेस – शांति धारीवाल
भाजपा – प्रहलाद गुंजल
मंत्री शांति धारीवाल की भाजपा के प्रहलाद गुंजल से सीधी टक्कर है। धारीवाल कई बार जीते हैं, वहीं गुंजल भी एक बार विधायक बने। धारीवाल टिकट में देरी से प्रचार जल्दी शुरू नहीं कर सके। हालांकि कोटा में विकास कार्य खूब कराए। उसी के आधार पर जनता से वोट मांग रहे हैं। उधर, गुंजल को गुटबाजी खत्म होने से राहत मिली है।
बागीदौरा
कांग्रेस – महेन्द्रजीत सिंह मालवीय
भाजपा – कृष्णा कटारा
मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीया की भाजपा की कृष्णा कटारा से सीधी टक्कर है। बागीदौरा में क्षेत्र में कामकाज की वजह से कुछ नाराजगी है, लेकिन बाहरी क्षेत्र में मालवीया मजबूत दिख रहे हैं। भाजपा ने कृष्णा कटारा को नए चेहरे के रूप में उतारा है। उन्हें महिला होने का कुछ लाभ जरूर मिल सकता है।
खाजूवाला
कांग्रेस – गोविंद राम मेघवाल
भाजपा – विश्वनाथ मेघवाल
मंत्री गोविंदराम मेघवाल भाजपा के विश्वनाथ मेघवाल से सीधे मुकाबले में फंसे हैं। मंत्री रहते लोगों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्र में जिप्सम व अन्य खनिज के अवैध खनन का मुद्दा लंबे समय से है, लोगों की नाराजगी है। वहीं, भाजपा के विश्वनाथ को लेकर अभी कोई नाराजगी का माहौल नहीं दिख रहा।
भरतपुर
आरएलडी – सुभाष गर्ग
भाजपा – विजय बंसल
मंत्री सुभाष गर्ग भाजपा के विजय बंसल से सीधे मुकाबले में फंसे हैं। गर्ग पांच साल में कराए कामों को वोट के लिए आधार बना रहे हैं, लेकिन रीट भर्ती गड़बड़ी और उनके कुछ समर्थकों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते परेशानी भी हो रही है। वहीं भाजपा के बंसल पर क्षेत्र में कम सक्रिय रहने के आरोप लगते आए हैं। भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगे।
लालसोट
कांग्रेस – परसादी लाल मीणा
भाजपा – रामविलास मीणा
मंत्री परसादीलाल मीणा की भाजपा के रामविलास मीणा से सीधी टक्कर है। हालांकि मंत्री रहते चिकित्सा विभाग के तबादलों को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में ही नाराजगी है। प्रचार के शुरुआती दौर में उन्हें एक गांव में लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ा। वहीं, भाजपा के रामविलास दूसरी बार मैदान में हैं। पिछला चुनाव मामूली अंतर से हारे थे।
अंता
कांग्रेस – प्रमोद जैन भाया
भाजपा – कंवरलाल मीणा
मंत्री प्रमोद जैन भाया भाजपा के कंवरलाल मीणा से सीधे मुकाबले में फंसे हैं। हालांकि गत पांच वर्षों से अपने ही विधायक के भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे रहने के कारण क्षेत्र में उन्हें परेशानी हो रही है। कुछ विरोध भी हुआ है। क्षेत्र में गोसेवा के चलते पहचान है। वहीं, भाजपा ने कंवरलाल मीणा को उतारा है, वे पहले मनोहरथाना से विधायक रहे हैं।
सपोटरा
कांग्रेस – रमेश चंद मीणा
भाजपा – हंसराज मीणा
मंत्री रमेश मीणा भाजपा के हंसराज से कड़े मुकाबले में फंसे हैं। रमेश मीणा तीन बार से लगातार चुनाव जीत रहे हैं। क्षेत्र में पकड़ है, लेकिन बोलचाल का तरीका सख्त होने से लोगों में कुछ नाराजगी है। वहीं भाजपा ने हंसराज को पहली बार मैदान में उतारा है। पहले वे बसपा से चुनाव लड़ चुके हैं। मतदाताओं पर भी पकड़ है।
बीकानेर पश्चिम
कांग्रेस – बी.डी. कल्ला
भाजपा – जेठानंद व्यास
मंत्री बी.डी. कल्ला के सामने भाजपा ने नए चेहरे के रूप में जेठानंद व्यास को उतारा है। वे धर्म यात्रा निकालने की वजह से चर्चा में रहे हैं। हिन्दूवादी चेहरे के रूप में पहचान है। विहिप और संघ के कार्यकर्ता रहे हैं। एक माह पहले ही भाजपा में आए हैं। वहीं, कल्ला को कुछ नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन वे इसे खत्म करने में जुटे हैं।
वैर
कांग्रेस – भजनलाल जाटव
भाजपा – बहादुर सिंह कोली
मंत्री भजनलाल जाटव भाजपा के बहादुर सिंह कोली से कड़े मुकाबले में फंसे हैं। उनके पीडब्ल्यूडी मंत्री रहते भ्रष्टाचार के आरोप लगे। इससे परेशानी हो रही है। हालांकि वे अपने सड़क व अन्य कराए कामों को आधार बना रहे हैं। उधर, भाजपा के बहादुर सिहं कोली पहले सांसद-विधायक रह चुके हैं। जाना-पहचाना चेहरा है।
हिंडोली
कांग्रेस – अशोक चांदना
भाजपा – प्रभुलाल सैनी
मंत्री चांदना की भाजपा के प्रभुलाल सैनी से कड़ी टक्कर है। सैनी भी भाजपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं। दोनों उम्मीदवार स्थानीय हैं। चांदना हिंडोली क्षेत्र के हैं, वहीं सैनी हिंडोली विधानसभा से सटे बॉर्डर के गांव के हैं। इसी वजह से दोनों सीधे मुकाबले में हैं और हार-जीत का अंतर बड़ा नहीं रहने की संभावना है।
बांसवाड़ा
कांग्रेस – अर्जुनसिंह बामनिया
भाजपा – धनसिंह रावत
मंत्री अर्जुन बामनिया भाजपा के धनसिंह रावत से सीधे मुकाबले में फंसे हैं। बामनिया मंत्री रहते लोगों से संपर्क में कम रहे। इससे नाराजगी है। विकास कार्य कराने में भी आगे रहे। उधर, पूर्व सांसद धनसिंह रावत मजबूती से प्रचार में जुटे हैं। यहां संघ का होल्ड ठीक-ठाक होने से उन्हें इसका फायदा मिल सकता है।
पोकरण
कांग्रेस – सालेह मोहम्मद
भाजपा – महंत प्रतापपुरी महाराज
मंत्री सालेह मोहम्मद की भाजपा के महंत प्रतापपुरी से सीधी टक्कर है। वे धर्मगुरु होने के साथ जातिगत समीकरण उनके पक्ष में हैं। लेकिन मंत्री बनने के बाद लोगों के कामकाज नहीं होने से लोगों में नाराजगी भी है। वहीं, भाजपा के प्रतापपुरी हिन्दूवादी चेहरा है। पिछला चुनाव भी वे मात्र 872 वोटों से हारे थे। अब सहानुभूति दिख रही है।
निंबाहेड़ा
कांग्रेस – उदयलाल आंजना
भाजपा – श्रीचंद कृपलानी
मंत्री उदयलाल आंजना भाजपा के श्रीचंद कृपलानी से कड़ी टक्कर में फंसे हैं। इस सीट पर पिछले कुछ चुनावों से एक बार आंजना और फिर कृपलानी की जीत की परंपरा चल रही है। आंजना काम के बल पर वोट मांग रहे हैं। वहीं, हिन्दुत्व चेहरे के रूप में कृपलानी का भी दबदबा है। पिछले कार्यकाल में मंत्री रहते कराए कामों को वे गिना रहे हैं।
मांडल
कांग्रेस – रामलाल जाट
भाजपा – उदयलाल भड़ाना
मंत्री रामलाल जाट की भाजपा के उदयलाल भड़ाना से सीधी टक्कर है। मंत्री ने अपने क्षेत्र में काम जरूर कराए हैं, लेकिन खनन व अन्य के भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते उन्हें परेशानी हो सकती है। उन्हें भितरघात का भी खतरा है। उधर, भाजपा के भड़ाना केंद्र सरकार की योजनाओं को लेकर वोट मांग रहे हैं।
कोटपूतली
कांग्रेस – राजेन्द्र यादव
भाजपा – हंसराज पटेल गुर्जर
निर्दलीय – मुकेश गोयल (भाजपा बागी)
मंत्री राजेन्द्र यादव भाजपा के हंसराज पटेल से सीधे मुकाबले में फंसे हैं। हालांकि यहां से भाजपा के बागी मुकेश गोयल भी निर्दलीय मैदान में हैं, जो मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के प्रयास में जुटे हैं। फिलहाल मंत्री यादव को प्रचार में कुछ जगह लोगों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ रहा है। वहीं, भाजपा के हंसराज पटेल अपने समाज के ही रामस्वरूप कसाना को बिठाकर अपनी स्थिति मजबूत करने का प्रयास किया है। कोटपूतली यादव और गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र हैं। यही वजह है कि दोनों कड़ी टक्कर में फंसे हैं।
झुंझुनूं
कांग्रेस – बृजेन्द्र सिंह ओला
भाजपा – बबलू चौधरी
निर्दलीय – राजेन्द्र भामूं (भाजपा बागी)
शेखावाटी की इस महत्वपूर्ण सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है। मंत्री बृजेन्द्र सिंह ओला लगातार तीन बार से जीतते आ रहे हैं। इस सीट पर ओला परिवार का लंबे समय से दबदबा चला आ रहा है। ओला के मंत्री रहते लोगों की कोई फिलहाल नाराजगी भी नहीं दिख रही। इस बार ओला का मुकाबला भाजपा के बबलू चौधरी से है। वे गोसेवा के चलते क्षेत्र में सक्रिय रहे। वे केंद्र सरकार के कामों के आधार पर जनता से वोट मांग रहे हैं। वहीं, भाजपा से बागी होकर निर्दलीय मैदान में उतरे राजेन्द्र भामूं मुकाबले का त्रिकोणीय बना रहे हैं।
दौसा
कांग्रेस – मुरारीलाल मीणा
भाजपा – शंकर लाल शर्मा
निर्दलीय – राधेश्याम नांगल
सामान्य वर्ग की इस सीट पर मंत्री मुरारीलाल मीणा का सीधा मुकाबला तो भाजपा के शंकरलाल शर्मा से है। लेकिन निर्दलीय राधेश्याम नांगल से वोटों में सेंध का डर सता रहा है। फिर भी मुरारीलाल मंत्री रहते कराए कामों के आधार पर प्रचार में जुटे हैं। उधर, सामान्य श्रेणी की इस सीट पर भाजपा के शंकरलाल को सामान्य वर्ग के वोटों से उम्मीद है। हालांकि तीनों प्रत्याशी क्षेत्र में सक्रिय हैं। बड़े नेताओं की सभाओं से अभी क्षेत्र में कुछ समीकरण बनते-बिगड़ते भी नजर आ रहे हैं।
बानसूर
कांग्रेस – शकुंतला रावत
भाजपा – देवी सिंह शेखावत
असपा – रोहिताश्व शर्मा
मंत्री शकुंतला रावत से भाजपा के देवीसिंह शेखावत का सीधा मुकाबला है, लेकिन पूर्व मंत्री व भाजपा बागी रोहिताश्व शर्मा अब असपा से टिकट लेकर मैदान में हैं और मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के लिए ताकत लगा रहे हैं। पिछले चुनाव में भी रावत त्रिकोणीय मुकाबले में जीती थी। अब रावत मंत्री रहते कराए कामों के आधार पर लोगों से वोट मांग रही हैं। अपने गुर्जर वोट बैंक को भी खुश करने के प्रयास जारी है। लेकिन भाजपा के देवीसिंह से मुकाबला सीधा है।
कोटपूतली
कांग्रेस – सुखराम विश्नोई
भाजपा – देवजी पटेल
बसपा – शमशेर अली
निर्दलीय – जीवाराम चौधरी(निर्दलीय 49 हजार वोट)
सांचोर
सांचोर सीट चतुष्कोणीय मुकाबले में फंसी दिख रही है। मंत्री सुखराम विश्नोई के सामने भाजपा ने सांसद देवजी पटेल को उतारा है। वहीं, बसपा के शमशेर अली व निर्दलीय जीवाराम चौधरी मुकाबले को रोचक बना रहे हैं। मंत्री के सामने निर्दलीय जीवाराम टक्कर में दिख रहे हैं। गत चुनाव में भी निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़े और 49 हजार वोट लिए। इस बार भी भाजपा के वोटों में सेंध लगाते दिख रहे हैं।