जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में एक सत्र के दौरान पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन ने बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि एक वक्त अमेरिका के कदम पीछे खींचने से क्वॉड का गठन नहीं हो पाया था। आखिरकार एक दशक बाद 2017 में क्वॉड वजूद में आ पाया।
भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान रणनीतिक तौर पर काफी अहम और हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर केंद्रित गठबंधन ‘क्वॉड’ के सदस्य हैं। लेकिन एक वक्त जब चीन के विरोध के बाद ये गठबंधन बनते-बनते रह गया था। इतना ही नहीं, खुद अमेरिका पीछे हटा था और तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह से कहा था कि वह जापानी प्रधानमंत्री को इस गठबंधन के लिए प्रोत्साहित न करें। ये दावा किया है पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन ने। 17वें जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में सरन ने कहा कि अमेरिका की वजह से ही एक वक्त श्क्वॉडश् साझेदारी ठंडे बस्ते में चली गई थी क्योंकि वह चीन को नाराज नहीं करना चाहता था।
पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन ने दावा किया कि श्क्वॉडश् गठबंधन के गठन के लिए भारत को राजी करने वाला अमेरिका चाहता था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपने जापानी समकक्ष से कहें कि वह हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर केंद्रित इस राजनयिक गठबंधन को ‘प्रोत्साहित न करें’। शनिवार को जयपुर साहित्य महोत्सव (जेएलएफ) के 17वें संस्करण में सरन ने कहा कि अमेरिका ने क्वॉड पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा था कि उसे ईरान और उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रमों के मुद्दे पर चीन को अपने पक्ष में रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने तर्क दिया था कि ‘न तो चीन और न ही रूस क्वाड से बहुत खुश है।’
ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका की राजनयिक साझेदारी क्वॉड चीन के विरोध के बाद ठंडे बस्ते में चली गई थी। वैश्विक मामलों में चीन के बढ़ते प्रभाव के बाद 10 वर्षों के अंतराल पर 2017 में इसे बहाल किया गया था।
सरन ने कहा, ‘हमारे प्रधानमंत्री डॉ। मनमोहन सिंह की आधिकारिक तोक्यो यात्रा से पहले हमारे अमेरिकी मित्रों ने मुझसे संपर्क कर कहा था, श्कृपया अपने प्रधानमंत्री से कहें कि वे क्वॉड पर आबे (तत्कालीन जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे) को प्रोत्साहित न करें। वह इसपर आगे बढ़ना चाहेंगे। यह समय नहीं है कि हम ऐसा करें।’ वर्ष 2004 और 2006 के बीच विदेश सचिव रहे सरन ने शनिवार को जेएलएफ में ‘हार्ट ऑफ द मैटर: क्वॉड एंड द न्यू इंडो-पैसिफिक विजन’ नाम के सत्र के दौरान ये टिप्पणी की।
अमेरिकी रुख से आश्चर्यचकित सरन ने कहा कि उन्होंने अमेरिकी अधिकारी से दो बातें पूछीं, ‘जापान आपका सहयोगी है, आप खुद उनसे बात क्यों नहीं करते?’ और ‘आप ही लोगों ने हमें समझाया कि यह एक बेहतरीन मंच है, अब आप पीछे हटने की कोशिश क्यों कर रहे हैं?’
सरन ने कहा कि अमेरिकी अधिकारी ने जवाब दिया, ‘हमें आज चीन की जरूरत है, क्योंकि हमारे सामने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सामने ईरान परमाणु मुद्दा है। हमारे सामने उत्तर कोरिया को लेकर छह-पक्षीय वार्ता भी है, जिसे हम पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं… ऐसा नहीं है कि हम पीछे हट रहे हैं, लेकिन फिलहाल हमें इंतजार करना चाहिए।’