सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम-वीवीपैट से 100 फीसदी मिलान को लेकर दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया। जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि केवल अटकलों के आधार पर चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाने की अनुमति नहीं दे सकते। कोर्ट ने याचिकाओं को खारिज कर दिया। हालांकि, कुछ नए निर्देश भी दिए हैं।
लोकसभा चुनाव में दूसरे फेज की वोटिंग संपन्न हो चुकी है। अभी पांच चरणों का चुनाव बाकी है, 4 जून को रिजल्ट आएगा। इस चुनावी घमासान के बीच ईवीएम को लेकर भी काफी चर्चा रही। सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम-वीवीपैट के 100 फीसदी मिलान की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी। हालांकि, सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को वीवीपैट से हर वोट के वेरिफिकेशन की मांग वाली अर्जियों को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से ही वोटिंग होगी। इस फैसले से मतदाताओं के लिए कुछ भी नहीं बदला। हालांकि, उम्मीदवारों को चुनाव के बाद 5 फीसदी ईवीएम के सत्यापन की अनुमति होगी। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने कुछ जरूरी परिवर्तन के भी आदेश दिए हैं। हम बताते हैं कि जजमेंट में क्या बदला है और क्या नहीं।
100 परसेंट वेरिफिकेशन की याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम की गिनती के साथ वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) पर्चियों के 100 फीसदी सत्यापन की याचिका को खारिज कर दिया। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि तीन दलीलें पेश की गई। इसमें एक दलील थी कि पेपर बैलेट प्रणाली पर फिर लौटना चाहिए। वीवीपैट मशीन पर्चियों को सत्यापन के लिए मतदाताओं को दिया जाना चाहिए, इसे गिनती के लिए मतपेटी में डाला जाना चाहिए। इसके अलावा ईवीएम और वीवीपैट पर्चियों का 100 फीसदी मिलान होना चाहिए। हमने मौजूदा प्रोटोकॉल, तकनीकी पहलुओं और रिकॉर्ड में मौजूद आंकड़ों का हवाला देते हुए उन सभी दलीलों को खारिज कर दिया है।
एससी के फैसले से वोटर्स के लिए क्या बदला?
वोटर्स यानी मतदाताओं के लिए, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से कोई बदलाव नहीं आया है। ईवीएम के जरिए वोटिंग की प्रक्रिया चलती रहेगी। इसमें 100 फीसदी मशीनें वीवीपैट यूनिट से जुड़ी होंगी। इसके अलावा, मौजूदा प्रावधानों के अनुसार, ईवीएम के साथ वोटों के वेरिफिकेशन के लिए पांच रैंडम सेलेक्ट विधानसभा क्षेत्रों या सेगमेंट की वीवीपैट पर्चियों की गिनती की जाएगी। याचिकाकर्ता एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने वीवीपैट पर्चियों के 100 फीसदी मिलान की मांग की थी। हालांकि, कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।