अजब-गजबदिल्ली

ऐसा होगा धरती का आखिरी दिन! वो 5 भविष्यवाणियां…जिससे पूरी दुनिया में मची सनसनी

पृथ्वी के अंत की भविष्यवाणी कई मामलों में की जा चुकी है। इसे लेकर अलग-अलग अवधारणाएं हैं, जिनके बारे में आप शायद जानते भी होंगे। चलिए जानते हैं उन तर्कों के बारे में, जो हरी-भरी पृथ्वी अस्तित्व खत्म होने को लेकर दिए जाते रहे।
पृथ्वी का जन्म कैसे हुआ यह तो सभी जानते होंगे लेकिन पृथ्वी का अंत कैसे होगा यह कोई नहीं जानता। इस बारे में कई तर्क और अटकलें हैं। आइए अब जानते हैं ऐसी ही 5 धारणाओं के बारे में।
पिछले दिनों इस भविष्यवाणी पर चर्चा हुई थी कि पृथ्वी 21 दिसंबर 2012 को खत्म हो जाएगी। इससे लोग दहशत में आ गये। 2012 के समय, माया कैलेंडर 3114 ईसा पूर्व में शुरू हुआ था। इसकी आखिरी तारीख 21 दिसंबर 2022 है। लोगों को लगा कि यह आखिरी दिन है और यह पृथ्वी के अंत की भविष्यवाणी थी।
साल 2000 में भी यह आशंका जताई गई थी कि पृथ्वी खत्म हो जाएगी। उस समय एक कंप्यूटर बग था। सभी ने सोचा कि यह दुनिया भर के कंप्यूटरों पर हमला करेगा और उन्हें नष्ट कर देगा। चूंकि ये 1 जनवरी 2000 को सामने आया था, इसलिए कुछ कंप्यूटरों में समस्याएँ थीं, लोगों को लगा कि ये धरती को खत्म कर देगा।
दुनिया के सबसे प्रसिद्ध ज्योतिषी नास्त्रेदमस ने भी 1555 में पृथ्वी के अंत की भविष्यवाणी की थी। उन्होंने घटनाओं को लेकर लेस प्रोफाइटिस नामक पुस्तक भी लिखी थी। ये दुनिया के अंत की भविष्यवाणी करती है, हालांकि ये सच नहीं था।
1806 में इंग्लैंड के लीड्स में एक मुर्गी थी। यह देखकर सभी आश्चर्यचकित रह गए कि जो अंडे वह देती है उस पर यीशु मसीह लिखा हुआ आ रहा है। उस समय यह बात काफी फैल गई थी कि ईसा मसीह यह संदेश भेज रहे हैं कि इससे दुनिया खत्म हो जाएगी। अंत में पता चलता है कि ये सब मुर्गे का मालिक ही लिख रहा है।
वर्ष 1000 में कुछ ईसाई धार्मिक नेताओं का मानना था कि यीशु मसीह वापस आएंगे और दुनिया खत्म हो जाएगी। हालांकि ये भविष्यवाणी भी गलत निकली।

Related posts

‘दुनिया तब कहती भारत बदल रहा है’, मॉस्को में भारतीय समुदाय से मिले PM मोदी, बताया तीसरे टर्म सरकार के बड़े लक्ष्य

Clearnews

आप नेता स्वाति मालीवाल से मारपीट के मामले में बिभव कुमार को कोर्ट में पेश करेगी पुलिस, अंतरिम जमानत याचिका रद्द

Clearnews

दिल्ली में जंतर-मंतर बना विपक्ष का अखाड़ा, पहलवानों के प्रदर्शन की आड़ में सेकी जा रही हैं राजनीतिक रोटियां

Clearnews