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राजस्थान में खत्म होंगे 10-12 नए जिले..! गहलोत का फैसला बदलेगी भजनलाल सरकार

राजस्थान में भाजपा सरकार पिछली कांग्रेस सरकार की ओर से बनाए गए 17 नए जिलों की समीक्षा कर रही है। इस मामले में 5 मंत्रियों की एक समिति रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी, जिसके परिणामस्वरूप कुछ जिलों को उपखंडों में वापस लाया जा सकता है। ऐसे में गहलोत सरकार में बने 17 जिलों में से दूदू, खैरथल-तिजारा जैसे 10 से 12 जिलों पर गाज गिरती हुई नजर आ सकती है।
दूदू को ग्राम पंचायत से सीधा जिला बना दिया गया था। यह राजस्थान का सबसे छोटा जिला है जिसके अंतर्गत सिर्फ तीन पुलिस थाने आते हैं। दूदू प्रदेश का सबसे छोटा जिला है। इसी तरह खैरथल-तिजारा सहित अन्य कुछ जिले ऐसे हैं, जिनका क्षेत्रफल काफी छोटा है। पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने 17 नए जिले बनाए थे जिनमें दूदू, खैरथल-तिजारा, कोटपूतली-बहरोड, सांचैर, फलोदी, शाहपुरा सहित अन्य जिले शामिल हैं। प्रदेश की भजनलाल सरकार पूर्ववर्ती सरकार के इस फैसले की समीक्षा करने जा रही है। समीक्षा के लिए 5 मंत्रियों की एक कमेटी बनाई गई है। यह कमेटी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। इसके बाद सरकार कई जिलों को दिए गए जिले के दर्जे को समाप्त करने का निर्णय ले सकती है। दूदू, खैरथल-तिजारा सहित कुल 10 से 12 जिले ऐसे बताए जा रहे हैं, जिन पर गाज गिरना लगभग तय है।
जिला मुख्यालय बन सकते हैं उपखंड क्षेत्र
वर्तमान में प्रदेश में 50 जिले हैं। पहले 33 जिले थे। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सालभर पहले 17 नए जिले बना दिए थे। जयपुर और जोधपुर के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र को अलग-अलग जिलों में बांट दिया था। मौजूदा सरकार का मानना है कि कांग्रेस शासन ने आनन-फानन में जिले बना दिए। जहां जिला बनाने की मांग और जरूरत भी नहीं थी। इसके बावजूद भी जिला घोषित कर दिया गया। राजस्व विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार 10 से 12 जिलों का सीमांकन और आबादी जिला बनाने के पैमाने पर फिट नहीं बैठ रही। ऐसे में भजनलाल सरकार पूर्ववर्ती सरकार के फैसले को रिव्यू कर रही है। रिव्यू के बाद 10 से 12 जिलों को उपखंड क्षेत्र में बदला जा सकता है।
इन जिलों पर गिर सकती है गाज
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने जो 19 जिले बनाए थे। उनमें अनूपगढ़, बालोतरा, ब्यावर, डीग, डीडवाना-कुचामन, दूदू, फलौदी, गंगापुर सिटी, जयपुर शहर, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर शहर, जोधपुर ग्रामीण, केकड़ी, कोटपूतली-बहरोड़, खैरथल-तिजारा, नीमकाथाना, सलूम्बर, सांचैर और शाहपुरा (भीलवाड़ा) शामिल हैं। जयपुर और जोधपुर जिले के दो-दो हिस्से कर दिए थे। ऐसे में नए जिलों की संख्या 17 मानी जाती है। इन 17 जिलों में से 10 से 12 जिलों का दर्जा मौजूदा सरकार समाप्त कर सकती है। दूदू (जयपुर), खैरथल-तिजारा (अलवर), शाहपुरा (भीलवाड़ा), सांचैर (जालोर), डीग (भरतपुर), गंगापुर सिटी (सवाईमाधोपुर), कोटपूतली-बहरोड़ (जयपुर), सलूम्बर (उदयपुर), नीमकाथाना (सीकर), केकड़ी (अजमेर), अनूपगढ़ (बीकानेर) और फलोदी (जोधपुर) ऐसे जिले माने जा रहे हैं, जो सीमांकन और आबादी के लिहाज से फिट नहीं बैठ रहे हैं। इन 12 जिलों को उपखंड क्षेत्र में बदला जा सकता है।
पुलिस महकमा भी लिख चुका सरकार को पत्र
नई सरकार के सत्ता में आने के बाद पुलिस विभाग की ओर से सरकार को पत्र लिखा गया था। उस पत्र में दूदू और खैरथल-तिजारा को दिए गए जिले का दर्जा हटाने की मांग की गई थी। पुलिस महकमे का तर्क है कि दूदू जिले के अंतर्गत सिर्फ 3 पुलिस थाने आते हैं। वहां डिप्टी एसपी का पद ही पर्याप्त है। यह क्षेत्र इतना छोटा है कि वहां एडिशनल एसपी और एसपी लगाने की जरूरत ही नहीं है। इसी तरह खैरथल-तिजारा में भी अलग से एडिशनल एसपी और एसपी लगाने को उचित नहीं माना था। इस आधार पर सरकार ने अन्य छोटे जिलों पर समीक्षा करने का निर्णय लिया है।
राजनैतिक लाभ के लिए बना दिए जिले – बैरवा
राज्य सरकार ने डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा की अध्यक्षता में पांच मंत्रियों की कमेटी बनाई है। बैरवा इस कमेटी के संयोजक हैं जबकि कैबिनेट मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़, पीएचईडी मंत्री कन्हैयालाल चैधरी, राजस्व मंत्री हेमंत मीणा और जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत को सदस्य बनाया है। डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा का कहना है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने राजनैतिक लाभ लेने के लिए आनन फानन में जिले बना दिए। पुलिस और प्रशासनिक दृष्टि से आवश्यकता नहीं होने पर भी छोटे-छोटे शहरों को जिला बना दिया। ऐसे में पूरे मामले की समीक्षा की जा रही है।

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