कूटनीतिदिल्ली

तख्तापलट के बाद मोहम्मद युनुस ने संभाली बांग्लादेश के नये प्रधानमंत्री पद की कुर्सी, भारत के पीएम मोदी ने दी बधाई

तख्तापलट के बाद जैसी कि अटकलें लग रही थीं, बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन हो गया है और मोहम्मद युनूस के हाथों में सत्ता चली गयी है। उन्होंने आज, गुरुवार, 8 अगस्त को बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ले ली है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश के नए मुखिया को बधाई दी है और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं की सुरक्षा की बात भी कही है।
पीएम मोदी ने मोहम्मद युनिस के लिए कहा, “प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस को उनकी नई ज़िम्मेदारी संभालने पर मेरी शुभकामनाएं। हम उम्मीद करते हैं कि जल्द ही सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी, जिससे हिंदुओं और अन्य सभी अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। भारत शांति, सुरक्षा और विकास के लिए दोनों देशों के लोगों की साझा आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बांग्लादेश के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।”
उल्लेखनीय है कि मोहम्मद युनुस का अंतरिम सरकार चलाने के लिए बांग्लादेश का प्रधानमंत्री बनना तय माना जा रहा था। उनके पीएम पद की शपथ लेने से पहले राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने अंतरिम सरकार बनाने के लिए संसद को भंग करने का ऐलान किया।.यही नहीं छात्र आंदोलन के कोऑर्डिनेटर ने नोबल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को सरकार का मुख्य सलाहकार बनाने का आह्वान किया। इसके बाद बांग्लादेश की सेना ने मोहम्मद युनुस को देश की कमान सौंपने का फैसला किया।
कौन हैं नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद युनुस
मोहम्मद यूनुस का जन्म 28 जून, 1940 को चटगांव में हुआ। वे बांग्लादेश में समेत विश्वभर में सामाजिक उद्यमी, एक बैंकर, एक अर्थशास्त्री और सामाजिक नेता के रूप में जाने जाते हैं। उन्हें साल 2006 में इंटरनेशनल लेवल पर सबसे ज्यादा प्रसिद्धि हासिल हुई थी। युनुस को ग्रामीण बैंक के माइक्रोक्रेडिट और माइक्रोफाइनेंस में अग्रणी काम के लिए नोबेल शांति पुरस्कार नवाजा गया था। युनुस की इस पहल के जरिये ग्रामीण बैंक छोटे उद्यमियों को ऋण प्रदान करती हैं। उन्होंने साल 1983 में ग्रामीण बैंक की स्थापना की थी। युनुस के इस गरीबी उन्मूलन के लिए गए कामों के लिए दुनियाभर में सराहना हुई थी क्योंकि इसकी वजह से बांग्लादेश में बड़ी संख्या में लोग जीवनस्तर के ऊपर उठाने में सफल हुए।
इसके अलावा यूनुस ने साल 2012 से 2018 तक स्कॉटलैंड में ग्लासगो कैलेडोनियन यूनिवर्सिटी के चांसलर के रूप में काम किया। वे इससे पहले चटगांव यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर थे। उन्होंने ग्रामीण अमेरिका और ग्रामीण फाउंडेशन में भी अहम भूमिका निभाई है। साल 1998 से 2021 तक वह संयुक्त राष्ट्र फाउंडेशन के बोर्ड सदस्य रहे।
अगर प्रोफेसर यूनुस की शैक्षिक पृष्ठभूमि की बात करें तो उन्होंने वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र से स्टडी की। इससे पहले उन्होंने ढाका यूनिवर्सिटी में पढ़ाई, जहां से उन्होंने बाद में पीएचडी की उपाधि भी प्राप्त की। उन्होंने मिडिल टेनेसी स्टेट यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के सहायक प्रोफेसर के रूप में अपना एकेडमिक करियर शुरू किया था।
युनुस को नोबेल समेत मिल चुके हैं कई पुरुस्कार
नोबेल पुरुस्कार के अलावा मोहम्मद यूनुस को साल 2009 में ‘यूनाइटेड स्टेट्स प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम’ से सम्मानित किया गया था। साथ ही उन्हें 2010 में ‘कांग्रेसनल गोल्ड मेडल’ से भी नवाजा गया था।
मोहम्मद युनुस पर लगे हैं ये आरोप
प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस के ऊपर कई आरोप हैं। जिसमें से एक आरोप 23 लाख डॉलर गबन करने का है। इस मामले में अदालत ने उन्हें जेल की भी सजा सुनाई है। उल्लेखनीय है कि ग्रामीण टेलीकॉम के पास देश के सबसे बड़े मोबाइल फोन ऑपरेटर ग्रामीणफोन में 34.2 फीसदी की हिस्सेदारी है, जो नॉर्वे की टेलीकॉम दिग्गज टेलीनॉर की सहायक कंपनी है। इसके अलावा, इन आरोपों में उन पर 250 मिलियन से ज्यादा का गबन और मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है।

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