अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को सुप्रीम कोर्ट के एसोसिएट जस्टिस के रूप में नियुक्त करने की संभावना पर चर्चा हो रही है। यह विचार दक्षिण कैरोलिना के प्रतिनिधि सभा के डेमोक्रेटिक सदस्य बकरी सेलर्स ने रखा है। सेलर्स ने सुझाव दिया कि हैरिस, जिन्होंने लॉ में डॉक्टरेट किया है और महत्वपूर्ण कानूनी अनुभव रखा है, सुप्रीम कोर्ट में एसोसिएट जस्टिस की भूमिका के लिए एक उपयुक्त उम्मीदवार हो सकती हैं। उनके पास अभियोजन, महापौर कार्यालय और अटॉर्नी जनरल के पद पर कार्य करने का अनुभव है।
सेलर्स ने बताया कि यदि निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन वर्तमान एसोसिएट जस्टिस सोनिया सोटोमयोर को, जो 70 वर्ष की हैं और स्वास्थ्य कारणों से अदालत छोड़ सकती हैं, इस्तीफा देने के लिए मनाने में सफल रहते हैं, तो बाइडन हैरिस की नियुक्ति कर सकते हैं। न्यूजवीक के अनुसार, बाइडन यह कदम तब उठा सकते हैं जब डोनाल्ड ट्रंप जनवरी में राष्ट्रपति पद संभालने वाले हैं। बकरी सेलर्स के अनुसार, “यह एक उपयुक्त योजना हो सकती है, जिससे लाभ मिल सकता है।”
जस्टिस सोटोमयोर का स्वास्थ्य चिंता का विषय बना हुआ है क्योंकि उन्हें टाइप 1 मधुमेह जैसी गंभीर बीमारी है। ऐसी रिपोर्टें हैं कि कुछ डेमोक्रेट जस्टिस सोटोमयोर को इस्तीफा देने का आग्रह कर रहे हैं ताकि उनके स्थान पर किसी युवा उम्मीदवार को नियुक्त किया जा सके। यदि सोटोमयोर इस्तीफा देती हैं, तो बाइडन को नए जज नियुक्त करने का अवसर मिल सकता है। हालांकि, यह बाइडन के लिए चुनौतीपूर्ण भी हो सकता है क्योंकि कमला हैरिस का राजनीतिक संबंध उन्हें एक निष्पक्ष न्यायधीश के रूप में चुनने में समस्या खड़ी कर सकता है।
इस चर्चा के बीच, हाल ही में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप से हार गईं। 5 नवंबर को हुए इस चुनाव में ट्रंप की जीत ने अमेरिका की संघीय सरकार में रिपब्लिकन पार्टी के सत्ता में लौटने का मार्ग प्रशस्त किया है। आगामी 20 जनवरी को ट्रंप ओवल ऑफिस में अपनी जिम्मेदारी संभालेंगे। चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद, हैरिस ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए हार को स्वीकार किया, जबकि राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी ट्रंप को उनकी जीत के लिए बधाई दी।
इस नई स्थिति के मद्देनजर, कमला हैरिस की सुप्रीम कोर्ट में संभावित नियुक्ति की चर्चा राजनीतिक हलकों में जोर पकड़ रही है। कुछ डेमोक्रेट मानते हैं कि बाइडन को यह निर्णय लेकर इतिहास बनाना चाहिए, जबकि अन्य इसे चुनौतीपूर्ण कदम मानते हैं। अगर यह नियुक्ति होती है, तो इससे अमेरिकी न्यायपालिका में एक ऐतिहासिक कदम जुड़ेगा, जहां एक भारतीय-अमेरिकी महिला उच्चतम न्यायालय की सदस्य बनेगी।