नयी दिल्ली। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2021-22 की नई शराब नीति के कारण दिल्ली सरकार को ₹2000 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ। यह नीति आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार द्वारा बनाई गई थी। मंगलवार को दिल्ली विधानसभा में बीजेपी नेता और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने यह रिपोर्ट पेश की।
रिपोर्ट के 10 प्रमुख बिंदु:
1. विशेषज्ञ पैनल की सिफारिशें नजरअंदाज की गईं
शराब नीति तैयार करने के लिए गठित विशेषज्ञ पैनल की सिफारिशों को पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने खारिज कर दिया।
2. गैर-अनुरूप क्षेत्र (Non-Conforming Areas) में शराब ठेके खोलने में देरी से नुकसान
गैर-अनुरूप क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोलने के लिए समय पर अनुमति नहीं ली गई, जिससे ₹941.53 करोड़ का नुकसान हुआ।
3. लाइसेंस शुल्क में ₹890.15 करोड़ का घाटा
जोन में दुकानों के सरेंडर और फिर से टेंडर न करने के कारण लाइसेंस शुल्क में ₹890.15 करोड़ का नुकसान हुआ।
4. कोविड के दौरान लाइसेंसियों को अनुचित रियायत देने से ₹144 करोड़ का नुकसान
कोविड लॉकडाउन के चलते लाइसेंसधारियों को अनुचित रियायत देने से ₹144 करोड़ का घाटा हुआ।
5. शराब की गुणवत्ता जांच में लापरवाही
कई शराब थोक विक्रेताओं ने अनिवार्य गुणवत्ता परीक्षण नहीं कराया, जिससे BIS (Bureau of Indian Standards) मानकों का पालन सुनिश्चित नहीं हो पाया।
6. ESCIMS प्रणाली में वित्तीय अनियमितताएं
Excise Supply Chain Information Management System (ESCIMS) के जरिए ₹24.23 करोड़ का अनुचित लाभ दिया गया।
शराब की बोतलों की बारकोड स्कैनिंग के बिना भुगतान कर दिया गया। साल 2013 से 2022 के बीच बारकोड सत्यापन ₹65.88 करोड़ था, जबकि ₹90.11 करोड़ का भुगतान किया गया।
7. 2017-21 की शराब नीति में भी अनियमितताएं
लाइसेंस जारी करने से पहले वित्तीय स्थिति, सॉल्वेंसी, आपराधिक पृष्ठभूमि और थोक मूल्य डेटा की जांच नहीं की गई।
एक ही निदेशक वाली कंपनियों को कई लाइसेंस जारी कर दिए गए, जिससे नीति का उल्लंघन हुआ।
8. शराब की कीमत निर्धारण में पारदर्शिता की कमी
थोक विक्रेताओं (L1 लाइसेंसधारियों) को Ex-Distillery Price (EDP) निर्धारित करने का अधिक अधिकार दिया गया, जिससे कीमतों में हेरफेर हुई।
दिल्ली में ऊंचे EDP के कारण शराब की बिक्री घटी और सरकार को एक्साइज राजस्व का नुकसान हुआ।
9. शराब तस्करी रोकने में विफलता
• Excise Intelligence Bureau (EIB) शराब तस्करी रोकने में नाकाम रहा।
• देशी शराब (65%) की सबसे अधिक जब्ती हुई, लेकिन प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई।
• निरीक्षणों के लिए कोई मानक प्रक्रिया लागू नहीं की गई।
10. नई शराब नीति (2021-22) में पारदर्शिता की कमी
विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को अनदेखा कर सरकारी नियंत्रण के बजाय निजी थोक विक्रेताओं को प्राथमिकता दी गई।
कैबिनेट और उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना कई अहम फैसले लिए गए।
खुदरा लाइसेंस केवल 22 कंपनियों तक सीमित रखे गए, जिससे बाजार पर एकाधिकार स्थापित हुआ।
CAG रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि दिल्ली की नई शराब नीति के कारण सरकार को भारी वित्तीय नुकसान हुआ, पारदर्शिता की कमी रही, और नीति निर्माण में अनियमितताएं पाई गईं।