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“मेरे करियर को बर्बाद कर दिया, धर्म परिवर्तन का दबाव डाला”: शाहिद अफरीदी पर भड़के पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर दानिश कनेरिया

नयी दिल्ली। पूर्व पाकिस्तानी लेग स्पिनर दानिश कनेरिया ने एक बार फिर पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव और अपने क्रिकेट करियर के साथ हुई नाइंसाफी को लेकर बड़ा बयान दिया है। अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी में एक कांग्रेसनल ब्रीफिंग के दौरान उन्होंने पाकिस्तान में अपने साथ हुए भेदभाव और मानसिक प्रताड़ना की पूरी कहानी साझा की।
दानिश कनेरिया ने पाकिस्तान के लिए 61 टेस्ट और 18 वनडे खेले हैं और वे पाकिस्तान की ओर से खेलने वाले आखिरी हिंदू खिलाड़ी हैं। अपने बयान में उन्होंने कहा, “हम सब यहां इकट्ठा हुए और बताया कि पाकिस्तान में हमारे साथ कैसे व्यवहार किया गया। हमने भेदभाव का सामना किया और आज हमने उसके खिलाफ आवाज उठाई।”
उन्होंने कहा, “मुझे बहुत भेदभाव का सामना करना पड़ा। मुझे मेरे देश में वो इज़्ज़त और बराबरी नहीं मिली जिसकी मैं हकदार था। इस वजह से आज मैं अमेरिका में हूं। हम यहां इसलिए बोल रहे हैं ताकि अमेरिका को पता चले कि हमने कितना सहा है और इस पर कोई ठोस कदम उठाया जाए।”
शाहिद अफरीदी पर धर्म परिवर्तन का आरोप
दानिश कनेरिया ने एक बार फिर अपने पुराने आरोप को दोहराते हुए कहा कि शाहिद अफरीदी ने उन्हें बार-बार इस्लाम कबूल करने के लिए दबाव डाला। उन्होंने बताया, “शाहिद अफरीदी बार-बार मुझसे कहते थे कि इस्लाम अपना लो। उन्होंने मुझे बहुत परेशान किया और टीम के कई खिलाड़ियों ने मेरे साथ खाना खाने से भी मना कर दिया।”
इनज़माम और शोएब अख्तर ने दिया साथ
कनेरिया ने बताया कि पाकिस्तान टीम में सिर्फ इनज़माम-उल-हक और शोएब अख्तर जैसे खिलाड़ियों ने उनका साथ दिया। उन्होंने कहा, “जब मैं काउंटी क्रिकेट भी खेल रहा था और प्रदर्शन अच्छा था, तब भी अफरीदी और कुछ अन्य खिलाड़ी मुझे परेशान करते रहे। लेकिन, इनज़माम भाई ने हमेशा मेरा समर्थन किया। वो कभी मुझसे धर्म को लेकर कुछ नहीं कहते थे।”
करियर और मजबूरी
दानिश कनेरिया ने 276 अंतरराष्ट्रीय विकेट (261 टेस्ट, 15 वनडे) लिए थे और 2004 के बाद का समय उनका सुनहरा दौर माना जाता है। लेकिन उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद उनका करियर अचानक रुक गया। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने उनके ऊपर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया, और इसके बाद उन्होंने कभी वापसी नहीं की।
अब अमेरिका में बस चुके कनेरिया ने अपने अनुभव साझा कर यह साफ कर दिया है कि उनके अनुसार, धार्मिक पहचान की वजह से उन्हें पूरा न्याय और सम्मान नहीं मिल पाया।

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